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इस समय मौसम में हो रहे बदलाव के कारण अस्पतालों में वायरल फीवर, टाइफाइड, डेंगू, और डायरिया के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ये बीमारियां न केवल बड़ों को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि बच्चे भी जल्दी इनकी चपेट में आ रहे हैं, जो चिंता का विषय है। डॉक्टरों का कहना है कि टाइफाइड और डेंगू की समय पर जांच करना बहुत जरूरी है, क्योंकि इन बीमारियों का जल्दी पता नहीं चलने पर स्थिति बिगड़ सकती है। कई बार डेंगू जानलेवा भी हो सकता है।

वायरल फीवर और डेंगू के लक्षण
यदि किसी को वायरल फीवर या डेंगू हो गया है, तो निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं:

तेज बुखार: अचानक बुखार बढ़ सकता है।
शरीर में दर्द: मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द हो सकता है।
सिरदर्द: सिर में तेज दर्द महसूस हो सकता है।
उल्टी: पेट खराब होने की स्थिति में उल्टी हो सकती है।
कमजोरी: शरीर में कमजोरी महसूस हो सकती है।
सांस लेने में तकलीफ: कभी-कभी सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
गले में खराश: लंबे समय तक गले में खराश रह सकती है।
टायफाइड के लक्षण
टायफाइड के मरीजों में निम्नलिखित लक्षण पाए जा सकते हैं:

लगातार बुखार: ज्यादा बुखार आना और ठंड लगना।
सिरदर्द: लगातार सिर में दर्द।
शरीर में दर्द: पूरे शरीर में दर्द महसूस होना।
मांसपेशियों में जकड़न: मांसपेशियों में जकड़न और जोड़ों में अधिक दर्द।
घबराहट: अचानक घबराहट होना।
पाचन तंत्र में समस्या: दस्त, एसिडिटी, और पेट में दर्द।
कैसे बचें इन बीमारियों से
स्वच्छता का ध्यान रखें: अपने हाथों को बार-बार धोएं और सफाई का खास ध्यान रखें।
पानी पिएं: हमेशा साफ और उबला हुआ पानी पिएं।
फलों और सब्जियों का सेवन: ताजे फल और सब्जियां खाएं, जिससे आपकी इम्यूनिटी बढ़े।
वैरियटी फूड्स लें: संतुलित आहार लें, जिससे शरीर को सभी जरूरी पोषक तत्व मिल सकें।
मच्छरों से बचें: डेंगू से बचने के लिए मच्छरों से बचाव करें, मच्छरदानी का उपयोग करें और शरीर पर मच्छर भगाने वाली क्रीम लगाएं।
बच्चों की सुरक्षा: बच्चों को साफ-सुथरे माहौल में रखें और उन्हें बाहर जाने पर सावधानियों के बारे में बताएं।

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आजकल लैपटॉप और अन्य गैजेट्स हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गए हैं। ये हमारे कई काम आसान कर देते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनका इस्तेमाल आपकी मर्दानगी पर भी असर डाल सकता है? खासकर उन पुरुषों के लिए, जिनकी उम्र 30 साल या उससे ज्यादा है। आइए जानते हैं कैसे लैपटॉप आपके प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।

लैपटॉप का इस्तेमाल और प्रजनन क्षमता: हाल ही में एक अध्ययन में पता चला है कि लंबे समय तक लैपटॉप का इस्तेमाल करने से पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। डॉ. रूबी यादव और डाइटिशियन कनिका मल्होत्रा ने बताया है कि लैपटॉप का ज्यादा देर तक गोद में रखकर उपयोग करने से फर्टिलिटी पर असर पड़ सकता है।

हीट और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड का खतरा: डॉ. रूबी यादव के अनुसार, लैपटॉप से निकलने वाली गर्मी और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड से हाइपरथर्मिया हो सकता है। यह स्थिति शुक्राणुओं की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचा सकती है। अगर आप लैपटॉप को गोद में रखते हैं, तो अंडकोष का तापमान बढ़ सकता है। यह तापमान शुक्राणु बनाने के लिए आवश्यक तापमान से अधिक होता है, जिससे स्पर्म काउंट और मोबिलिटी में कमी आ सकती है।

बढ़ती इनफर्टिलिटी की समस्या: स्वास्थ्य रिपोर्ट्स के अनुसार, आजकल लगभग 15 से 20% युवा कपल्स गर्भधारण में कठिनाई का सामना कर रहे हैं। कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि लैपटॉप और मोबाइल फोन का अधिक उपयोग स्पर्म प्रोडक्शन में गिरावट का कारण बन रहा है।

क्या करें?: अगर आप 30 साल के आसपास हैं और परिवार शुरू करने की सोच रहे हैं, तो लैपटॉप को गोद में रखकर इस्तेमाल करने से बचें। इसके बजाय, कुछ सुझाव अपनाएं:

कूलिंग पैड का इस्तेमाल करें: लैपटॉप के नीचे कूलिंग पैड रखने से गर्मी कम हो सकती है।
टेबल पर रखें: हमेशा लैपटॉप को टेबल पर रखें, जिससे अंडकोष का तापमान नियंत्रित रहे।
ब्रेक लें: लंबे समय तक लैपटॉप पर काम करने से बचें। बीच-बीच में ब्रेक लेकर उठें और थोड़ी देर टहलें।

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अच्छी नींद हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है। यह न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखती है, बल्कि सही खान-पान और व्यायाम के साथ मिलकर एक स्वस्थ जीवनशैली का हिस्सा बनती है। अगर किसी को रात में नींद नहीं आ रही है या बार-बार नींद टूट रही है, तो यह लिवर से जुड़ी समस्याओं का संकेत हो सकता है। वास्तव में, नींद की कमी लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी के खतरे को भी बढ़ा सकती है।

लिवर और नींद का संबंध: चीन की हुआझोंग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में एक अध्ययन किया गया, जिसमें यह पाया गया कि नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) और नींद के पैटर्न में गहरा संबंध है। रिसर्च में लगभग 1 लाख से अधिक लोगों को शामिल किया गया। परिणामों से पता चला कि जो लोग अच्छी नींद नहीं ले पाते, उन्हें लिवर की बीमारियों का अधिक खतरा होता है।

नींद की कमी से लिवर सिरोसिस का खतरा: अगर किसी व्यक्ति को लंबे समय तक नींद नहीं आती है, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि उसे लिवर सिरोसिस होने का खतरा बढ़ रहा है। सिरोसिस तब होता है जब लिवर पर लंबे समय तक कोई बीमारी असर डालती है, जिससे लिवर में निशान बनने लगते हैं। ये निशान लिवर के काम करने की क्षमता को कम कर देते हैं। अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो लिवर फेल भी हो सकता है।

क्या है लिवर सिरोसिस?: लिवर सिरोसिस एक गंभीर बीमारी है, जो तब होती है जब लिवर लंबे समय तक खराब स्थिति में रहता है। इस बीमारी में लिवर के स्वस्थ ऊतक धीरे-धीरे खराब हो जाते हैं और उनकी जगह निशान ऊतक ले लेते हैं। जब लिवर सिरोसिस का शिकार होता है, तो लिवर की काम करने की क्षमता कम हो जाती है। इसके लक्षणों में पीलिया, थकान, भूख कम लगना, और पेट में सूजन शामिल हैं।

लिवर को स्वस्थ रखने के लिए उपाय: अच्छी नींद लें: रात में 7-8 घंटे की नींद लेने की आदत डालें।
संतुलित आहार: अपने खाने में ताजे फल, सब्जियां और फाइबर से भरपूर भोजन शामिल करें।
व्यायाम करें: नियमित व्यायाम से लिवर के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
शराब से बचें: शराब का सेवन लिवर के लिए हानिकारक होता है, इसे कम से कम करें या पूरी तरह से बंद करें।
चिकित्सकीय जांच: अगर आपको नींद की समस्या या लिवर से जुड़ी कोई समस्या महसूस हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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दही और अनार के दाने दोनों ही सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। दही में प्रोटीन, कैल्शियम, और विटामिन B6 जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर की ऊर्जा बनाए रखने में मदद करते हैं। दूसरी ओर, अनार के दाने खून बढ़ाने, भूख बढ़ाने, और त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार करने में सहायक होते हैं। तो, चलिए जानते हैं दही और अनार के दानों को मिलाकर खाने के फायदे और नुकसान।

दही और अनार के दानों के फायदे
1. इम्यूनिटी बढ़ाना:
दही और अनार दोनों में विटामिन C भरपूर मात्रा में होता है, जो हमारी इम्यूनिटी को बूस्ट करता है। ये दोनों मौसम के बदलने पर होने वाले संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं।

2. हृदय स्वास्थ्य: इन दोनों में पोटेशियम, मैग्नेशियम, कैल्शियम और फोलेट जैसे मिनरल्स होते हैं, जो दिल की सेहत के लिए जरूरी होते हैं। नियमित रूप से इनका सेवन करने से हार्ट प्रॉब्लम्स का खतरा कम होता है।

3. हड्डियों और मांसपेशियों की सेहत: दही और अनार में प्रोटीन की मात्रा अच्छी होती है, जो हड्डियों को मजबूत बनाती है। इन्हें मिलाकर खाने से मांसपेशियों में ताकत आती है और यह ब्रेन फंक्शन में भी सुधार करते हैं।

4. खून की कमी: दही और अनार के दाने खून को बढ़ाने में मदद करते हैं। अगर आपको हमेशा थकान और कमजोरी महसूस होती है, तो सुबह के नाश्ते में इन दोनों का सेवन करने से फर्क पड़ेगा।

5. त्वचा का स्वास्थ्य: दही और अनार से त्वचा को अंदर से नमी मिलती है, जिससे आपकी त्वचा खिलती-खिलती नजर आती है।

6. पेट की समस्याएं: दही और अनार का रायता पेट की जलन और अन्य पेट संबंधी समस्याओं से आराम दिलाने में मदद करता है।

कैसे खाएं?: आप फ्रेश अनार के दानों को दही, ओट्स चाट, या सलाद में मिलाकर खा सकते हैं। सुबह के नाश्ते में इन्हें शामिल करने से दिनभर ऊर्जा बनी रहती है।

क्या ध्यान रखें?: हालांकि, अगर आपको दही से कोई एलर्जी है या आपको लैक्टोज से समस्या है, तो दही का सेवन करने से बचें। इसके अलावा, अगर आपको अनार से कोई विशेष समस्या है, तो भी इसे खाने से पहले ध्यान रखें।

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म्यूजिक इंडस्ट्री से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। जानी-मानी संबलपुरी गायिका रुकसाना बानो का निधन हो गया है। वे बीते 15 दिनों से AIIMS भुवनेश्वर में जिंदगी की जंग लड़ रही थीं, किन्तु तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। बुधवार, 18 सितंबर को उन्होंने अंतिम सांस ली। रुकसाना के निधन से उनके प्रशंसक एवं समुदाय के लोग सदमे में हैं।

रुकसाना के परिवार का इस मामले में अलग दावा है। उनके अनुसार, रुकसाना को एक प्रतिद्वंद्वी संबलपुरी सिंगर ने आहिस्ता-आहिस्ता जहर देकर मारा है, हालांकि इस दावे की पुष्टि नहीं हुई है। शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, 15 दिन पहले एक गाने की शूटिंग के चलते रुकसाना बीमार पड़ी थीं। 27 अगस्त को उन्हें भवानीपटना के एक चिकित्सालय में भर्ती कराया गया, फिर बोलनगीर भीमा भोई मेडिकल कॉलेज और बाद में बरगढ़ के एक निजी चिकित्सालय में ट्रांसफर किया गया। हालत में सुधार न होने की वजह से उन्हें AIIMS भुवनेश्वर में भर्ती किया गया, किन्तु वहां भी उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। वही जब रुकसाना को बरगढ़ के निजी चिकित्सालय में भर्ती किया गया था, तो डॉक्टर संतोष टेटे ने बताया कि रुकसाना Scrub Typhus से जूझ रही थीं। उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, और उन्हें निमोनिया, लिवर इंफेक्शन, एवं दिल की समस्या भी हुई थी। वे वेंटिलेटर पर थीं।

इस केस के बारे में AIIMS के अफसरों ने कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की है। रुकसाना महज 27 साल की थीं, और उनकी मौत का कारण अभी तक नहीं बताया गया है। रुकसाना के परिवार पर उनके जाने से दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उनकी मां एवं बहन का आरोप है कि पश्चिमी ओडिशा के एक प्रतिद्वंद्वी गायिका ने उन्हें जहर दिया। उनका दावा है कि रुकसाना को पहले भी धमकियां मिली थीं। मीडिया से चर्चा में रुकसाना की बहन रुबी बानो ने कहा कि उनकी बहन को शूट के चलते कोई जूस दिया गया था, जिसे पीकर वे बीमार हुईं। रुकसाना की मां ने एक वीडियो संदेश जारी कर बेटी को इंसाफ दिलाने की गुहार लगाई है।

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महेश भट्ट बॉलीवुड के एक जाने-माने फिल्म निर्देशक और निर्माता हैं, जो अपनी फिल्मों और निजी जिंदगी दोनों के लिए खूब चर्चाओं में रहे हैं। उन्होंने विभिन्न प्रकार की फिल्मों का निर्देशन किया है, जिनमें रोमांटिक, हॉरर, क्राइम, और सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्में शामिल हैं। महेश भट्ट ने अपनी जिंदगी में कई दिलचस्प और विवादास्पद किस्से देखे हैं, और उनका और परवीन बाबी का रिश्ता भी काफी चर्चित रहा है।

महेश भट्ट और परवीन बाबी का प्यार: महेश भट्ट और परवीन बाबी का रिश्ता 1980 के दशक में शुरू हुआ। परवीन बाबी उस समय बॉलीवुड की एक जानी-मानी अभिनेत्री थीं। महेश भट्ट ने कभी अपने रिश्ते को छिपाने की कोशिश नहीं की, बल्कि खुलकर इस बारे में बात की। महेश और परवीन कुछ समय तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहे, लेकिन परवीन बाबी को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याएं थीं, जिससे उनका व्यवहार असामान्य हो गया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, परवीन बाबी को सिज़ोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारी थी, जिसके चलते वह बहुत परेशान रहने लगीं।

महेश भट्ट ने एक बार इंटरव्यू में बताया कि परवीन बाबी का मानसिक स्वास्थ्य धीरे-धीरे बिगड़ता जा रहा था, और कभी-कभी उनका व्यवहार इतना खतरनाक हो जाता कि वे महेश पर हमला तक कर देतीं। लेकिन परवीन को इस बात का एहसास नहीं होता था कि वह ऐसा कर रही हैं। इस स्थिति को देखते हुए, डॉक्टरों ने महेश भट्ट को सलाह दी कि वह परवीन से दूरी बना लें। महेश भट्ट के लिए यह समय काफी मुश्किल था, क्योंकि उन्हें परवीन बाबी से दूर रहना पड़ा, जिससे उनका रिश्ता टूट गया।

फिल्म 'अर्थ' और महेश-परवीन की कहानी: महेश भट्ट की फिल्म 'अर्थ' को काफी हद तक उनके और परवीन बाबी के रिश्ते से प्रेरित माना जाता है। इस फिल्म की कहानी में एक विवाहित व्यक्ति की जिंदगी में आने वाली मुश्किलों को दिखाया गया है, जो किसी और के प्यार में पड़ जाता है। फिल्म को दर्शकों और आलोचकों से बहुत सराहना मिली और इसे राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। यह फिल्म महेश भट्ट की जिंदगी का एक अहम हिस्सा मानी जाती है, क्योंकि इसमें उन्होंने अपनी निजी जिंदगी की झलक दिखाई।

महेश भट्ट की पारिवारिक जिंदगी: महेश भट्ट की निजी जिंदगी भी काफी उतार-चढ़ाव भरी रही है। उन्होंने 1970 में ब्रिटिश मूल की लॉरेन ब्राइट से शादी की, जिन्हें बाद में किरण भट्ट के नाम से जाना गया। इस शादी से उनके दो बच्चे हुए, पूजा भट्ट और राहुल भट्ट। लेकिन कुछ समय बाद महेश और किरण अलग हो गए। फिर 1986 में उन्होंने अभिनेत्री सोनी राजदान से शादी की। सोनी और महेश भट्ट की दो बेटियां हैं, आलिया भट्ट और शाहीन भट्ट। आलिया भट्ट आज बॉलीवुड की सबसे मशहूर और हाईपेड एक्ट्रेसेस में से एक हैं, जबकि पूजा भट्ट ने भी फिल्मों में काफी नाम कमाया है। महेश भट्ट की पारिवारिक जिंदगी और उनके रिश्ते अक्सर सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन उनके योगदान को फिल्म इंडस्ट्री में कभी नहीं भुलाया जा सकता।

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लकी अली की आवाज करोड़ों लोगों को अपना दीवाना बनने के काम करती है. उन्होंने कई बेहतरीन बॉलीवुड गाने बनाए हैं जिन्हें आप अगर सुन लो तो आपका दिन भी बन जाए. लकी ने न तुम जानो न हम से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. इस गाने के लोग दीवाने बन गए थे. इसके उपरांत ऋतिक रोशन की कहो न प्यार है में भी उन्होंने गाने गाए थे. कई वर्षों तक बॉलीवुड में काम करने के बाद उन्होंने इससे दूरी बनाने तक का मन बना लिया था. जिसके बाद उनके फैंस टेंशन में आ गए थे. हालांकि बाद में लकी अली ने दो और दो प्यार के गाने तू है कहां से कमबैक कर लिया.

लकी अली ने वर्ष 2015 में तमाशा के बाद बॉलीवुड से दूरी बनाने का निर्णय कर लिया था. आइए आपको आज इसके पीछे की वजह के बारें में जानकारी देने जा रहे है. लकी अली को लगने लगा था कि इंडस्ट्री में भी चेंज आ रहा है, मॉर्डन फिल्मों के साथ इंस्पिरेशन कम हो रही है और सोसाइटी नेगेटिव बनती जा रही है.

इस वजह से लिया था फैसला: लकी का इस बारें में कहना है कि हाल की फिल्मों में हिंसा और लालच को बढ़ावा दिया गया, जो उनके पर्सनल वैल्यू के अपोजिट रही. उन्होंने बॉलीवुड से दूर रहने का मन बना लिया, उन्होंने उस माहौल से दूरी बनाए रखना पसंद किया जो उनके हिसाब से अपमानजनक सा लगने लगा था. खबरों का कहना है कि लकी अली ने इस बारें में बोला था- 'इस जगह में बदतमीजी बहुत है. बॉलीवुड बदल गया है. आजकल जो फिल्में बन रही हैं उनमें प्रेरणा का अभाव है और मुझे लगता है कि ऐसी फिल्मों से सीखने लायक कुछ भी नहीं है.'

इतना ही ही लकी अली ने ये बात कहने के उपरांत बॉलीवुड में दो और दो प्यार के गाने तू है कहां से कमबैक कर लिया था. उनका ये गाना हिट साबित हुआ है. लकी अली को सुनने के लिए कहां-कहां से आया करते है. वो उनके कॉन्सर्ट का हिस्सा बनना चाहते हैं और लकी अली के कॉन्सर्ट हमेशा हाउसफुल रहते हैं.

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बॉलीवुड एक्ट्रेस उर्वशी रौतेला का नाम अक्सर भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत के साथ जोड़ा जाता है। हालांकि, उर्वशी हमेशा इन अफवाहों को खारिज करती आई हैं। सोशल मीडिया पर उनके और ऋषभ के रिलेशनशिप को लेकर कई मीम्स भी बनते रहते हैं। अब उर्वशी ने इन रिलेशनशिप की अफवाहों पर खुलकर बात की है और बताया कि ये बातें उनके जीवन पर कैसे नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।

उर्वशी का बयान: मीडिया से बात करते हुए उर्वशी ने कहा, “ये अफवाहें और मीम्स का कोई मतलब नहीं है। मैं अपनी पर्सनल लाइफ को पर्सनल ही रखना पसंद करती हूं। मेरा ध्यान मेरे करियर और उस काम पर रहता है जिसके लिए मैं जुनूनी हूं। ऐसे मामलों में पारदर्शिता बनाए रखना और अटकलों के बजाय सच्चाई पर ध्यान केंद्रित करना बहुत जरूरी है। मुझे समझ में नहीं आता कि मीम्स मटेरियल पेज इतने उत्साहित क्यों हो जाते हैं।”

पर्सनल लाइफ की चुनौतियां: उर्वशी ने आगे कहा, “मेरे लिए पर्सनल लाइफ के बारे में लगातार जांच और निराधार अफवाहों से निपटना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। मैं इस बात पर ध्यान केंद्रित करके इससे निपटती हूं कि मैं अपने काम और अपनी व्यक्तिगत विकास को कैसे नियंत्रित कर सकती हूं। मैं अपनी प्राइवेसी बनाए रखते हुए और अटकलों को अपने करियर से विचलित नहीं होने देती। मैं स्पष्टता और ईमानदारी से अफवाहों को संबोधित करने का निर्णय लेती हूं।” उर्वशी ने यह भी बताया कि अपने आप को सपोर्टिव लोगों के साथ रखना और अपने मूल्यों पर टिके रहना उन्हें प्रेशर को मैनेज करने और अपने गोल्स पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।

ऋषभ पंत के साथ लिंकअप की सुर्खियां: उर्वशी रौतेला अक्सर ऋषभ पंत के साथ अपने लिंकअप को लेकर सुर्खियों में रहती हैं। एक बार उन्होंने एक ट्वीट किया था जिसमें कहा गया था कि कोई “आरपी” घंटों से उनका इंतजार कर रहा है, जिसे लोगों ने ऋषभ पंत समझ लिया। इसके बाद उर्वशी ने प्यार और ब्रेकअप को लेकर एक क्रिप्टिक पोस्ट भी साझा किया जब ऋषभ ऑस्ट्रेलिया में मैच खेल रहे थे। हालांकि, बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि “आरपी” उनके को-स्टार राम पोतिनेनी हैं।

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जायद खान ने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत शाहरुख खान की फिल्म ‘मैं हूं ना’ से की थी, जो एक ब्लॉकबस्टर साबित हुई। इस फिल्म ने जायद को फिल्म इंडस्ट्री में पहचान दिलाई। इसके बाद उन्होंने कई और फिल्मों में काम किया, लेकिन ‘मैं हूं ना’ जैसी सफलता फिर नहीं मिली। जब उनकी फिल्मों ने सफलता नहीं पाई, तो जायद पर फ्लॉप एक्टर का टैग लग गया और वे इंडस्ट्री से गायब हो गए। हालांकि, लंबे समय से फिल्में नहीं करने के बावजूद जायद खान एक शानदार जिंदगी जीते हैं, और उनकी संपत्ति लगभग 1500 करोड़ बताई जाती है।

बिना फिल्में किए कैसे बने अमीर?: हाल ही में एक बातचीत में जायद खान ने मनी मैनेजमेंट के महत्व पर जोर दिया। जब उनसे उनकी 1500 करोड़ की नेटवर्थ के बारे में पूछा गया, तो वे हंस पड़े और कहा कि वे समझते हैं कि किसी के फाइनेंस को सही तरीके से मैनेज करना कितना जरूरी है।

फाइनेंशियल एडवाइस: जायद ने महत्वाकांक्षी अभिनेताओं को फाइनेंशियल सलाह देते हुए कहा, “अगर मैं आपको बताऊंगा, तो आपको हैरानी होगी कि आपने पहले इस बारे में क्यों नहीं सोचा। एक कहावत है, 'यदि आप फेरारी खरीद सकते हैं, तो मर्सिडीज खरीदें, और यदि आप मर्सिडीज खरीद सकते हैं, तो फिएट खरीदें।' हम सोशल मीडिया के युग में हैं, जहां आपकी इमेज बहुत मायने रखती है। कुछ लोग वास्तव में अच्छा कर रहे हैं, लेकिन उनमें से 80% ऐसा नहीं कर पा रहे हैं और वे दिवालिया हो रहे हैं। उनके पास ईएमआई और कर्ज होते हैं, और फिर वे बेवकूफी भरी चीजें करते हैं।”

जीवन जीने का सही तरीका: जायद ने कहा, “अपनी क्षमता के भीतर जियो। दिखावा करना कोई मायने नहीं रखता। आपको हर दिन कुछ नया पहनने या अपनी पृष्ठभूमि के बारे में शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है। जीवन में परेशानियां आती रहती हैं। क्या आप उन्हें प्रभावित कर रहे हैं? एक कहावत है, 'मुझे नहीं पता कि सफलता का रास्ता क्या है, लेकिन असफलता का निश्चित तरीका हर किसी को खुश करना है।'” जायद ने यह भी कहा, “आपकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप योद्धा बनना चाहते हैं या परजीवी। दुनिया को योद्धाओं की जरूरत है, परजीवियों की नहीं।” जायद खान को आखिरी बार 2015 में फिल्म ‘शराफत गई तेल लेने’ में देखा गया था। इसके बाद उन्होंने टीवी शो ‘हासिल’ में भी काम किया, लेकिन फिर वे ग्लैमर इंडस्ट्री से दूर हो गए। अब जायद खान एक बार फिर बॉलीवुड में कमबैक करने की कोशिश कर रहे हैं।

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बॉलीवुड फिल्मों के मशहूर अभिनेता गोविंदा की पत्नी सुनीता आहूजा हाल ही में एक पॉडकास्ट में दिखाई दी। इस के चलते उन्होंने जीवन के कई पहलुओं पर चर्चा की। सुनीता ने बताया कि वह पंजाबी परिवार से हैं, तथा उनके ससुराल में बहुत पूजा-पाठ होता था। लेकिन बचपन में वाइन पीने की लालच में उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया और इस बारे में किसी को नहीं बताया। अपने एक इंटरव्यू में सुनीता ने कहा कि उन्होंने अपनी पढ़ाई एक ईसाई स्कूल में की थी, जहां उनके कई ईसाई दोस्त थे। उन्हें यह पता था कि जीसस के खून को वाइन कहा जाता है। इसी लालच में एक दिन उन्होंने अपने माता-पिता को बताए बिना ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया।

पॉडकास्ट में सुनीता ने कहा, “मेरा जन्म बांद्रा में हुआ था। मेरा बपतिस्मा हो चुका है। मैं एक ईसाई स्कूल में पढ़ाई कर रही थी एवं मेरे सभी दोस्त ईसाई थे। एक बच्चे के तौर पर मैंने सुना था कि यीशु के खून में वाइन है। मैंने सोचा, ‘वाइन का मतलब है शराब’। मैं हमेशा बहुत चालाक थी। शराब पीने में कोई बुराई नहीं है, बस थोड़ी सी शराब पीने के लिए मैंने खुद को ईसाई बना दिया।” उन्होंने बताया कि वह आज भी ईसाई धर्म का पालन करती हैं। वह शनिवार को चर्च जाती हैं एवं दरगाह, गुरुद्वारे, और मंदिर भी जाती हैं। जब सुनीता से पूछा गया कि क्या वह अपने पति के लिए लेडी लक हैं, तो उन्होंने कहा कि गोविंदा हीरो बने हैं अपनी मां की पूजा-पाठ के कारण। उनकी मां बहुत गायत्री मंत्र का जाप करती थीं और गोविंदा घर के छोटे थे, उनकी मां उनके लिए बहुत कुछ करती थीं।

सुनीता ने यह भी कहा कि उन्हें शराब पीने का शौक है, जबकि गोविंदा इतना शौकीन नहीं हैं। वह जब एक बीयर पीते हैं, तो सुनीता चार पी लेती हैं। उन्होंने कहा कि वह और उनका बेटा पार्टी करने के लिए घर पर शराब पी लेते हैं, क्योंकि आजकल लोग हर मूमेंट रिकॉर्ड करने लगते हैं, जिससे तरह-तरह की बातें होती हैं। इसलिए घर में बैठकर शराब पीना ज्यादा अच्छा होता है। गौरतलब है कि सुनीता एवं गोविंदा की शादी 1987 में हुई थी। दोनों ने एक वर्ष से अधिक ज्यासमय तक अपने रिश्ते को छिपाए रखा। हालांकि, बेटी टीना के जन्म के बाद उनका रिश्ता सार्वजनिक हुआ। गोविंदा को इंडस्ट्री में शर्मीला माना जाता है, जबकि सुनीता अक्सर मुखर होकर अपनी बातें साझा करती हैं। इस पॉडकास्ट में भी उन्होंने इसी तरह खुलकर बात की।

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पन्ना/पन्ना कलेक्टर सुरेश कुमार के निर्देश पर जिला आबकारी अधिकारी संतोष कुमार सिंह के मार्गदर्शन में आबकारी उपनिरीक्षक वृत्त पवई मुकेश पाण्डेय द्वारा पन्ना अमानगंज मार्ग पर एक आरोपी को 300 पाव देशी सादा शराब के साथ गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। आबकारी उपनिरीक्षक मुकेश पाण्डेय ने बताया कि विश्वस्त सूचक से सूचना मिली थी, कि पन्ना-अमानगंज मार्ग पर सड़क किनारे एक व्यक्ति एक बोरी में अवैध शराब लिए किसी वाहन का इंतजार कर रहा है। सूचना की पुष्टि किये जाने के उपरांत अनुबंधित वाहन से पन्ना-अमानगंज मार्ग पर पहुँचे तो एक व्यक्ति एक बोरी (झाल) में कुछ सामान रखे खड़ा था। उससे पूछताछ करने पर उसने अपना नाम रामाधार पटेल पिता भगवान दास पटेल, उम्र 28 वर्ष निवासी कुम्हारी थाना पवई बताया। आरोपी के पास बोरी की विधिवत तलाशी लिए जाने पर खाकी रंग के कागज के छह कार्टूनों में 300 पाव अवैध देशी मदिरा सादा होना पाया गया। कुल मात्रा 54 लीटर कीमती 21000 रूपये अनुमानित बरामद की गयी। आरोपी के पास उक्त शराब के सम्बंध में कोई भी परमिट या लायसेंस नही पाया गया। अतः आरोपी को मध्य प्रदेश आबकारी अधिनियम की धारा 34 (2) के अपराध में गिरफ्तार कर माननीय सीजेएम न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। जहाँ न्यायालय द्वारा न्यायिक अभिरक्षा में जिला जेल पन्ना भेजा गया। आरोपी से पूछताछ में पता चला कि आरोपी के द्वारा अवैध शराब का कारोबार अपने साथी छोटू पटेल पिता पप्पू पटेल, उम्र 22 वर्ष निवासी कुम्हारी थाना पवई के साथ मिलकर किया जाता है। वह उक्त मार्ग पर उसी का इंतजार कर रहा था, इतने पकड़ा गया। प्रकरण की विवेचना जारी है, प्रकरण में और भी आरोपियों की संलिप्तता से इनकार नही किया जा सकता है। इस कार्यवाई में आबकारी उपनिरीक्षक मुकेश पाण्डेय के हमराह स्टाफ में नगर सैनिक मोतीलाल प्रजापति, फोटोलाल प्रजापति, श्रीमती कौशल्या बाई और सोनू बुंदेला, सुहेल खान सम्मिलित रहे।

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बॉलीवुड फिल्म जगत की जानी मानी मशहूर अभिनेत्री आलिया भट्ट इंडस्ट्री की टॉप एक्ट्रेस में से एक हैं। उन्होंने रणबीर कपूर से शादी करने का सपना पूरा किया है, तथा उनके एक बेटी, राहा, भी है। दोनों अपने करियर पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और साथ में खुश हैं। मगर आलिया भट्ट ने रणबीर कपूर के साथ शादी के ख्वाब कब से देखना शुरू किया, यह एक दिलचस्प कहानी है। आलिया को इस बात की चिंता नहीं थी कि रणबीर उस वक़्त जिस रिश्ते में थे, उनकी दोस्त थीं। आलिया ने करण जौहर के चैट शो 'कॉफी विद करण' में अपने भविष्य की योजनाएं पहले ही साझा की थीं।

शो के चौथे सीजन में आलिया ने खुलकर अपने दिल की बात रखी। उन्होंने रणबीर की प्रशंसा करते हुए आगे चलकर उनसे शादी करने की इच्छा व्यक्त की। इस पर करण ने उनसे पूछा कि क्या उन्होंने अपने पिता को इस बारे में बताया है और क्या नीतू कपूर को उनके प्लान के बारे में जानकारी है। करण ने यह भी पूछा कि क्या कैटरीना कैफ को उनके प्लान के बारे में पता है। आलिया ने बिना किसी झिझक के कहा कि हर कोई उनके प्लान के बारे में जानता है, लेकिन रणबीर को इस बारे में अभी तक जानकारी नहीं है। उस वक़्त रणबीर कपूर का नाम कटरीना कैफ के साथ जोड़ा जा रहा था, लेकिन आलिया अपने सपनों में खोई हुई थीं।

कई लोग सोच रहे थे कि आलिया शायद मजाक कर रही हैं, क्योंकि वे उस वक़्त कैटरीना की करीबी दोस्त थीं। मगर आलिया ने जो कहा, वह करके भी दिखाया। रणबीर ने दीपिका पादुकोण एवं कैटरीना कैफ के साथ अपने ब्रेकअप के बाद आलिया के लिए अपने दिल की धड़कन को महसूस किया। दोनों ‘ब्रह्मास्त्र’ की शूटिंग के चलते करीब आए और अपने प्यार को शादी में बदल दिया। कुछ महीनों पश्चात् ही रणबीर और आलिया माता-पिता बन गए। हाल ही में रणबीर ने बताया कि उन्होंने इंडस्ट्री की दो बड़ी एक्ट्रेस को डेट किया था, फिर उन्हें प्ले बॉय का टैग मिल गया। दीपिका ने भी कई बार अपने ब्रेकअप का दर्द साझा किया है, मगर अब वह भी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुकी हैं और हाल ही में एक बेटी को जन्म दिया है।

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पितृपक्ष एक ऐसा समय होता है जब हम अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यह 15 दिनों का समय, जो 18 सितंबर 2024 से शुरू होकर 2 अक्टूबर 2024 तक चलेगा, पितरों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए विशेष अनुष्ठानों को करने का होता है। इस दौरान लोग अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण जैसे धार्मिक कार्य करते हैं।

तर्पण क्या है?: तर्पण का मतलब जल अर्पित करना होता है। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, तर्पण में पितरों को जल, दूध, तिल और कुश अर्पित किए जाते हैं। यह कार्य पितृपक्ष के किसी भी दिन किया जा सकता है। इसमें तिल मिले जल से पितरों, देवताओं और ऋषियों को तृप्त किया जाता है। मान्यता है कि इससे पितृ संतुष्ट होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।

पिंडदान क्या है?: पिंडदान को पितरों की आत्मा की मुक्ति के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसका मतलब है कि पितरों को भोजन अर्पित किया जाए ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले। पिंडदान के जरिए पूर्वजों की आत्मा मोह-माया से मुक्त होकर अपनी अगली यात्रा की ओर बढ़ती है। इस कर्मकांड को करने के लिए गया जी को सबसे पवित्र स्थल माना जाता है, हालांकि हरिद्वार, चित्रकूट, पुष्कर जैसी जगहों पर भी पिंडदान किया जाता है।

श्राद्ध क्या है?: श्राद्ध एक विस्तृत कर्मकांड होता है जिसमें ब्राह्मणों द्वारा पिंडदान, हवन, भोजन और दान कराए जाते हैं। इसे पितरों की मुक्ति का मार्ग कहा जाता है। श्राद्ध के दौरान श्राद्धकर्ता को विभिन्न नियमों का पालन करना होता है, जैसे पंचबली अर्पित करना, जिसमें गाय, कौआ, कुत्ता, देवता और चींटियों को भोजन दिया जाता है।

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गुवाहाटी: असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन पर इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग (IUML) के प्रतिनिधियों की मेज़बानी करने एवं अमित शाह सहित भाजपा नेताओं के प्रति 'अनादर दिखाने' का आरोप लगाया है। IUML के एक प्रतिनिधिमंडल ने बृहस्पतिवार को हेमंत सोरेन से उनके आवास पर मुलाकात की, जिसमें पार्टी के सांसद ईटी मोहम्मद बशीर एवं हारिस बीरन, और विधायक मोहम्मद बशीर सम्मिलित थे। मुख्यमंत्री कार्यालय के द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया कि यह एक 'शिष्टाचार मुलाकात' थी।असम के मुख्यमंत्री सरमा, जो इस वर्ष के अंत में होने वाले झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के सह-इंचार्ज हैं, ने सीएम सोरेन पर कटाक्ष करते हुए कहा, "उन्हें मुहम्मद अली जिन्ना द्वारा स्थापित मुस्लिम लीग के प्रतिनिधियों का गर्मजोशी से स्वागत करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है, किन्तु वे अपने राज्य में बीजेपी नेताओं के आने पर आपत्ति जताते हैं।" झारखंड सरकार ने इस महीने की शुरुआत में चुनाव आयोग से अनुरोध किया था कि वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भाजपा नेताओं सरमा एवं शिवराज सिंह चौहान को एक सलाह जारी करने के लिए कहे, जिससे वे आधिकारिक मशीनरी का दुरुपयोग कर 'संकीर्ण राजनीतिक लाभ' के लिए राज्य में 'सांप्रदायिक तनाव भड़काने' से बचें।हिमंत सरमा ने सवाल उठाते हुए कहा, "जिन्ना द्वारा स्थापित IUML के प्रतिनिधिमंडल ने झारखंड के मुख्यमंत्री से मुलाकात की। मैं जानना चाहता हूं कि जिन्ना की पार्टी झारखंड क्यों आई? मुख्यमंत्री केरल के मुस्लिम लीग के प्रतिनिधियों का स्वागत करते हैं, किन्तु भाजपा नेताओं की अनदेखी करते हैं और इसके बजाय चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें आने से रोकने का प्रयास करते हैं। आप जिन्ना की पार्टी के नेताओं को परिवार के साथ चाय और कॉफी क्यों देते हैं?" मुख्यमंत्री सरमा ने यह भी पूछा कि IUML प्रतिनिधिमंडल द्वारा झारखंड के मुख्यमंत्री को सौंपे गए मेमोरेंडम में क्या सामग्री थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि विधानसभा चुनाव के पश्चात् भारतीय जनता पार्टी सूबे में सरकार बनाएगी।'वन नेशन-वन इलेक्शन' मुद्दे पर बोलते हुए सरमा ने कहा कि पूरे विपक्ष का एक एजेंडा है कि पीएम नरेंद्र मोदी का विरोध किस तरह से किया जाए। झारखंड में अब JMM के दिन गिनती के रह गए हैं। हेमंत सोरेन ने 20 सितंबर से झारखंड में होने वाली भाजपा की 'परिवर्तन यात्राओं' पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अन्य राज्यों के नेता 'गिद्धों की तरह मंडराते एवं सांप्रदायिक तनाव फैलाते दिखाई देंगे।'

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ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को एक क्रूर ग्रह के रूप में माना जाता है, क्योंकि वे व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। अगर आपने जीवन में अच्छे कर्म किए हैं, तो शनि देव आपको अच्छा फल देंगे। लेकिन अगर आपसे गलती या बुरे कर्म हुए हैं, तो शनि देव की दृष्टि से बचना मुश्किल है, और आपको इसका दंड मिल सकता है।

शनि देव की नाराजगी का प्रभाव: अगर शनि देव किसी से नाराज हो जाते हैं, तो उस व्यक्ति के जीवन में कई तरह की समस्याएं शुरू हो जाती हैं। सबसे पहले, मेहनत करने के बावजूद भी उस व्यक्ति को सफलता नहीं मिलती। रिश्तों में खटास आ जाती है, और कभी-कभी रिश्ते टूट भी जाते हैं। साथ ही आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी बढ़ने लगती हैं। इसलिए, यह जरूरी है कि हम कोई ऐसा काम न करें जिससे शनि देव नाराज हो जाएं।

शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का असर: कुंडली में अगर शनि की स्थिति कमजोर हो या साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही हो, तो यह भी कई मुश्किलें ला सकती हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन चिंता की बात नहीं है, कुछ ज्योतिषीय उपाय करके शनि देव को प्रसन्न किया जा सकता है और इन मुश्किलों को कम किया जा सकता है।

शनि देव को प्रसन्न करने के उपाय: शनिवार के दिन पूजा: शनि देव की कृपा पाने के लिए शनिवार के दिन उनकी पूजा करें। इसके साथ हनुमान जी की भी पूजा करें, इससे सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी।

पीपल वृक्ष की पूजा: शनिवार को पीपल के पेड़ के पास जाएं, उसमें जल अर्पित करें और सरसों तेल का दीप जलाएं। इससे शनि देव की नाराजगी कम हो सकती है।

माफी मांगें: अगर आपसे किसी तरह की गलती हो गई है, तो शनि देव से माफी मांगें। सही कर्म करने का संकल्प लें और अपनी गलतियों का पश्चाताप करें। इससे शनि देव का आशीर्वाद मिलेगा।

बेजुबान पशुओं और जरूरतमंदों की सेवा: शनि देव को खुश करने के लिए कभी भी बेजुबान पशुओं, मजदूर वर्ग, असहाय और बुजुर्गों को परेशान न करें। उनकी मदद करें और हमेशा सही काम करें।

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पितृपक्ष हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण समय होता है, जिसमें पितरों (पूर्वजों) का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। यह समय भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विन मास की प्रतिपदा तक चलता है तथा अमावस्या पर समाप्त होता है। इन 15 दिनों में अपने पितरों का श्राद्ध किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में पितर पृथ्वी पर आते हैं, तृप्त होकर अपने कुल को आशीर्वाद देकर वापस जाते हैं। तर्पण कुतुप काल में करना श्रेष्ठ माना गया है, जो आमतौर पर सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक का समय होता है।

तर्पण का समय (कुतुप काल)
तर्पण का सही समय कुतुप काल माना गया है। यह समय आमतौर पर दोपहर 11 बजे से 1 बजे तक होता है। इस समय किए गए तर्पण को सबसे श्रेष्ठ और प्रभावी माना जाता है। इसके पीछे यह मान्यता है कि इस समय सूर्य का प्रभाव अधिक होता है, जिससे पितरों को तर्पण शीघ्र प्राप्त होता है और वे तृप्त होते हैं।

तर्पण और श्राद्ध के लिए आवश्यक सामग्री
श्राद्ध और तर्पण के लिए कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है, जिनका उपयोग पितरों को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। ये सामग्री पवित्र मानी जाती हैं और इनके बिना तर्पण अधूरा माना जाता है। ये सामग्री इस प्रकार हैं:
तांबे का चौड़ा बर्तन: इसमें तर्पण का जल रखा जाता है।
जौ और तिल: तर्पण के समय जल में मिलाकर अर्पित किए जाते हैं।
चावल: पितरों के तर्पण के लिए उपयोग होता है।
गाय का कच्चा दूध: इसे पवित्र माना जाता है और तर्पण के लिए आवश्यक है।
गंगाजल: इसे तर्पण के जल में मिलाया जाता है।
सफेद फूल: सफेद फूल पितरों की शांति का प्रतीक होते हैं।
कुशा घास: इसे तर्पण के दौरान हाथ में रखा जाता है, जो अनुष्ठान को पूर्णता प्रदान करता है।
गाय के गोबर से बने कंडे: अग्यारी के लिए आवश्यक होते हैं।
घी: अग्यारी में चढ़ाने के लिए उपयोग होता है।
खीर, पूरी, गुड़: पितरों को भोग स्वरूप अर्पित किया जाता है।
तांबे का लोटा: इससे तर्पण के समय जल अर्पित किया जाता है।


श्राद्ध और तर्पण की विधि
श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और स्नान करके शुद्ध हो जाना चाहिए। इसके बाद पितरों का ध्यान किया जाता है और पूरे अनुष्ठान की शुरुआत की जाती है। श्राद्ध के दिन विशेष ध्यान रखा जाता है कि तर्पण के बाद ही कुछ खाया जाए, और सबसे पहले योग्य ब्राह्मण को भोजन कराया जाए।

तर्पण के लिए तांबे के बर्तन में जौ, तिल, चावल, गाय का कच्चा दूध, गंगाजल, सफेद फूल और पानी मिलाकर रखा जाता है। फिर तांबे के लोटे में जल भरकर व्यक्ति दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके घुटनों के बल बैठता है। हाथ में कुशा घास लेकर दाहिने हाथ के अंगूठे से 11 बार जल अर्पित किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान व्यक्ति को अपने पितरों का ध्यान करना चाहिए और उनकी शांति और तृप्ति की प्रार्थना करनी चाहिए।

अग्यारी और भोग की विधि
तर्पण के बाद अग्यारी दी जाती है, जिसमें गाय के गोबर से बने कंडे जलाए जाते हैं। इसमें खीर और पूरी का भोग अर्पित किया जाता है, जो पितरों को समर्पित होता है। इसके बाद अंगूठे से जल अर्पित किया जाता है। यह क्रिया पितरों को तृप्ति देने के लिए की जाती है, जिससे वे संतुष्ट होकर आशीर्वाद प्रदान करें।

अग्यारी और भोग के बाद जो भी खाना बनाया गया हो, उसका अंश पांच स्थानों पर देवताओं, गाय, कुत्ते, कौवे और चींटी के लिए निकाला जाता है। यह पितरों के साथ-साथ अन्य जीव-जंतुओं के प्रति भी सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करने का तरीका है।

ब्राह्मण भोजन और दक्षिणा
तर्पण और भोग के बाद किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है। यह माना जाता है कि ब्राह्मण को भोजन कराने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। ब्राह्मण को भोजन कराकर उसे दक्षिणा दी जाती है। दक्षिणा में वस्त्र, धन या अन्य सामग्रियां दी जा सकती हैं। इसके बाद ही श्राद्ध कर्म पूर्ण माना जाता है।

पितृपक्ष का समापन
पितृपक्ष का समापन अमावस्या के दिन होता है, जिसे सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। इस दिन वे लोग भी तर्पण कर सकते हैं जिन्होंने किसी कारणवश पूरे पितृपक्ष में तर्पण नहीं किया हो। यह दिन उन सभी पितरों के लिए समर्पित होता है, जिनका श्राद्ध किसी विशेष तिथि को नहीं किया गया।

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हिंदू धर्म में पितृ पक्ष या श्राद्ध का समय विशेष महत्व रखता है। यह 15 दिनों की अवधि होती है, जिसमें श्रद्धालु अपने पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर से होती है और इसका समापन 2 अक्टूबर को होता है। इस दौरान श्राद्ध, पिंडदान और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है ताकि पितर की आत्मा को शांति मिल सके।पितृ पक्ष में तुलसी का उपायतुलसी को हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है, और इसे मां लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। ज्योतिषियों का मानना है कि पितृ पक्ष के दौरान तुलसी से जुड़ा उपाय करना अत्यंत शुभ होता है। इससे पितर प्रसन्न होते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।उपाय की विधिस्थान का चयन: सबसे पहले, अपने घर में तुलसी के गमले के पास एक कटोरी रखें।गंगाजल का उपयोग: एक छोटी कटोरी में गंगाजल लें। हथेली में गंगाजल लेकर अपने पितरों के नाम का स्मरण करें। इसे 5 या 7 बार दोहराएं।बाबा विश्वनाथ का नाम: फिर, बाबा विश्वनाथ का नाम लेते हुए धीरे-धीरे गंगाजल को कटोरी में डालें।प्रार्थना: हाथ जोड़कर माता तुलसी और पितरों को याद करें। इस दौरान मन में शुद्ध विचार रखें।गंगाजल का अर्पण: अंत में, वह गंगाजल तुलसी के पौधे में डाल दें।उपाय के लाभनकारात्मक ऊर्जा का नाश: इस उपाय से घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है, जिससे वातावरण में शांति और सकारात्मकता आती है।पितरों की प्रसन्नता: पितरों को इस विधि के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है, और वे परिवार के सदस्यों पर आशीर्वाद बरसाते हैं।स्वास्थ्य लाभ: तुलसी के पौधे का नियमित देखभाल करने से घर में स्वास्थ्य और समृद्धि का संचार होता है।पितृ पक्ष के दौरान तुलसी के उपाय को अपनाना न केवल पितरों के प्रति श्रद्धा दर्शाता है, बल्कि यह परिवार में सकारात्मकता और स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है। इसलिए, इस पवित्र अवसर पर इस सरल और प्रभावी उपाय को अवश्य करें।

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फेंगशुई, जो चीनी वास्तु शास्त्र के रूप में जाना जाता है, जीवन में संतुलन और समृद्धि लाने का एक प्राचीन तरीका है। इसमें जल, अग्नि, पृथ्वी, लकड़ी और धातु को पंचतत्व माना गया है। इन तत्वों का संतुलन बनाए रखने के लिए फेंगशुई में कई सुझाव और उपाय बताए गए हैं, जो जीवन में सुख-समृद्धि और आरोग्य लाने में सहायक होते हैं। मान्यता है कि क्रिस्टल बॉल, एक्वेरियम, फव्वारे, बांसुरी, मेंडेरियन डक, फेंगशुई मेढ़क, लाफिंग बुद्धा जैसी वस्तुएं घर में रखने से परिवार में खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। फेंगशुई के अनुसार, इन वस्तुओं के अलावा बागुआ दर्पण को भी विशेष महत्व दिया गया है, क्योंकि यह घर में नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और सकारात्मकता लाने का एक प्रमुख साधन माना जाता है।

बागुआ दर्पण क्या होता है?
बागुआ दर्पण फेंगशुई का एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो एक अष्टकोणीय आकार का विशेष प्रकार का दर्पण होता है। इसके आठ कोण होते हैं, जिनमें तीन-तीन रेखाएं बनी होती हैं। इन रेखाओं में कुछ पूरी और कुछ टूटी होती हैं। फेंगशुई में पूरी रेखाओं को "यांग" और टूटी रेखाओं को "यिन" कहा जाता है। यांग और यिन ऊर्जा के दो विरोधी लेकिन परस्पर पूरक सिद्धांत हैं, जो जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। बागुआ दर्पण में कोई केंद्र नहीं होता है, जिससे यह पूरे वातावरण को प्रभावित करने में सक्षम होता है।

बागुआ दर्पण को अक्सर घर के मुख्य द्वार या बेडरूम के दरवाजे पर लाल धागे से बांधकर लगाया जाता है। लाल धागा, फेंगशुई में, सुरक्षा और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इसे लगाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती और सकारात्मक माहौल बना रहता है।

बागुआ दर्पण लगाने के लाभ
1. नकारात्मक ऊर्जा को दूर करना:
बागुआ दर्पण को लगाने से घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम हो जाता है। यह घर के अंदर आने वाली सभी प्रकार की नकारात्मकता को प्रतिबिंबित कर उसे दूर भेज देता है, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। खासकर उन घरों में जहां बाहरी वास्तु दोष होते हैं, जैसे तिराहा, चौराहा, या किसी दूसरी दिशा में घर होना, वहां बागुआ दर्पण का उपयोग अत्यधिक लाभकारी माना गया है।


2. वास्तु दोष को ठीक करना:
फेंगशुई के अनुसार, घर के मुख्यद्वार पर बागुआ दर्पण लगाना वास्तु दोष को समाप्त करने में सहायक होता है। मुख्यद्वार पर इस दर्पण को लगाने से घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक ऊर्जा को रोकने में मदद मिलती है। इसे मुख्यद्वार के ठीक केंद्र में लगाना चाहिए ताकि घर में सभी दिशाओं से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सके।

3. बुरी शक्तियों से सुरक्षा:
बागुआ दर्पण को बुरी शक्तियों और नकारात्मक प्रभावों से बचाव के लिए भी प्रभावी माना गया है। इसे घर के दरवाजे या खिड़कियों के बाहर लगाया जाता है ताकि यह बाहरी बुरी शक्तियों को दूर रख सके। खासकर उन घरों में जो किसी श्मशान, अस्पताल, या शत्रु के घर के समीप स्थित होते हैं, वहां बागुआ दर्पण का उपयोग नकारात्मक ऊर्जा को घर से दूर रखने में मदद करता है।

4. दक्षिण दिशा में घर होने पर लाभ:
अगर घर दक्षिण दिशा की ओर हो तो, बागुआ दर्पण लगाना अत्यधिक शुभ माना गया है। दक्षिण दिशा को फेंगशुई में अग्नि तत्व का प्रतिनिधि माना जाता है, और यह दिशा कभी-कभी नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है। ऐसे में, बागुआ दर्पण दक्षिण दिशा से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा को रोकने का काम करता है।

बागुआ दर्पण लगाने के तरीके
फेंगशुई में बागुआ दर्पण का सही तरीके से उपयोग करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इसे लगाने के कुछ विशेष नियम और उपाय होते हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर ही इसे घर या ऑफिस में लगाया जाना चाहिए:

मुख्यद्वार के केंद्र में लगाएं: फेंगशुई के अनुसार, बागुआ दर्पण को घर के मुख्यद्वार के ठीक ऊपर केंद्र में लगाया जाना चाहिए। यह स्थान सबसे उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि यहां से घर में प्रवेश करने वाली सारी ऊर्जा को नियंत्रित किया जा सकता है।

लाल धागे से बांधें: बागुआ दर्पण को लगाते समय इसे लाल धागे से बांधकर लगाना चाहिए। लाल रंग शुभता और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है, और यह दर्पण की ऊर्जा को और भी प्रभावी बनाता है।

बेडरूम में न लगाएं: बागुआ दर्पण को बेडरूम के अंदर नहीं लगाना चाहिए। इसे दरवाजे के बाहर लगाया जाना चाहिए, ताकि यह कमरे के बाहर से ही नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सके।

खिड़कियों के पास लगाएं: अगर आपके घर में खिड़कियों से नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर रही हो, तो बागुआ दर्पण को खिड़की के बाहर लगाना भी फायदेमंद हो सकता है।

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स्वप्न शास्त्र के अनुसार, सपनों का विभिन्न मौकों पर अलग-अलग अर्थ होता है। पितृ पक्ष के दौरान देखे गए सपनों का भी विशेष महत्व है, क्योंकि ये सपने पितृ की आत्मा की स्थिति और उनकी तृप्ति का संकेत देते हैं। पितृ पक्ष में कुछ सपने अशुभ माने जाते हैं और इनका अर्थ यह हो सकता है कि पितृ अशांत या नाराज हैं। इस लेख में हम उन सपनों के बारे में विस्तार से जानेंगे जो पितृ पक्ष के दौरान शुभ नहीं माने जाते और जिनसे सावधान रहना आवश्यक है।

पितृ पक्ष में आएं ये सपने तो हो जाएं सावधान
1. डूबने का सपना
यदि आप पितृ पक्ष के दौरान सपने में खुद को या किसी और को नदी, तालाब, या समुद्र में डूबते हुए देखते हैं, तो यह सपना शुभ नहीं माना जाता। इसका मतलब है कि पितृ अशांत हैं और उनकी आत्मा को शांति नहीं मिल रही है। इस प्रकार का सपना आने पर घर परिवार में नकारात्मक परिवर्तन हो सकते हैं, जैसे कि झगड़े, तनाव, या किसी बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसे लेकर सतर्क रहना आवश्यक है और पितरों की तृप्ति के लिए आवश्यक उपाय करने चाहिए।

2. बंजर स्थान का दिखना
सपने में यदि आप बंजर और सूखे हुए स्थान देखते हैं, तो यह संकेत है कि आपके पितृ आपसे नाराज हैं। बंजर स्थान का दिखना यह भी दर्शाता है कि आपने अपने पितरों के तर्पण, श्राद्ध आदि कार्यों की अनदेखी की है। इस प्रकार के सपने के बाद समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। विशेष रूप से, उन लोगों को जो अपने पितरों का तर्पण या श्राद्ध कर्म नहीं करते, इस तरह का सपना अधिक संभावित होता है।

3. सपने में रोते पितरों को देखना
यदि आप सपने में अपने पूर्वजों को रोते हुए देखते हैं, तो यह एक चेतावनी का संकेत हो सकता है। यह सपना तब आता है जब आपके पितृ आपके कर्मों के कारण या श्राद्ध और तर्पण की कमी के कारण भटक रहे हैं। इस प्रकार के सपने के बाद आपको पितरों के श्राद्ध और तर्पण कर्म तुरंत करना चाहिए ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके और आपके जीवन में समस्याओं का समाधान हो सके।

4. पितृ पक्ष में बिना सिर वाले या अधूरे शरीर का दिखना
पितृ पक्ष के दौरान यदि आप सपने में बिना सिर या अधूरे शरीर वाले किसी व्यक्ति को देखते हैं, तो यह पितरों की अतृप्ति को दर्शाता है। इस प्रकार के सपने का मतलब है कि आपके पितृ की आत्मा को शांति नहीं मिली है और इसके परिणामस्वरूप आपको मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। घर परिवार में भी विभिन्न समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस स्थिति में भी पितरों के लिए श्राद्ध और तर्पण करना आवश्यक है।

5. सपने में अचानक पितरों का छिप जाना
यदि पितृ पक्ष के दौरान आप सपने में देखें कि कोई पितृ आपको एक झलक दिखाकर अचानक छुप गया, तो यह सपना भी चिंता का विषय हो सकता है। यह संकेत है कि पितरों की आत्मा को शांति नहीं मिली है और आपको मसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। इस स्थिति में अपने इष्ट देवता से पितरों की शांति की प्रार्थना करें और आवश्यक पितृ कर्म करें।

6. सपने में खुद को फंसा हुआ पाना
पितृ पक्ष के दौरान यदि आप सपने में देखें कि आप कहीं फंसे हुए हैं और बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है, तो यह सपना एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है। इसका मतलब है कि पितृ आपको अपनी तृप्ति के लिए श्राद्ध और तर्पण करने की आवश्यकता का संकेत दे रहे हैं। यह सपना यह भी दर्शाता है कि आपके किसी पितृ की आत्मा अशांत और परेशान है। ऐसे सपने के बाद पितृ कर्म करने से उन्हें शांति मिल सकती है और आपके जीवन में समस्याओं में कमी आ सकती है.

7. सपने में भूत-प्रेत का दिखना
यदि आप पितृ पक्ष के दौरान भूत-प्रेत या आत्माओं को सपने में देखते हैं, तो यह भी पितरों की नाराजगी का प्रतीक हो सकता है। जब पितृ अशांत होते हैं, तो वे सपनों में आकर आपको भी अशांत कर सकते हैं। ऐसे सपने के बाद तुरंत पितृ कर्म करने चाहिए, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके और आपकी समस्याएं दूर हो सकें।

पितृ पक्ष के दौरान देखे गए सपनों का विशेष महत्व होता है और ये सपने पितरों की आत्मा की स्थिति को दर्शाते हैं। यदि आप इन सपनों में से कोई भी सपना देखते हैं, तो इसका मतलब हो सकता है कि पितृ आपसे प्रसन्न नहीं हैं। इस स्थिति में आपको तुरंत पितरों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण कर्म करना चाहिए। विशेष रूप से, पितृ अमावस्या के दिन यह कर्म करना आपके पितरों की आत्मा को शांति प्रदान कर सकता है और आपके जीवन में शांति और सुख की स्थिति ला सकता है।

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पितृपक्ष 17 सितंबर से शुरू हो चुका है और इसका समापन आश्विन मास की अमावस्या तिथि पर होगा। यह एक महत्वपूर्ण समय होता है जब हम अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस अवधि में पितरों के नाम का तर्पण और पिंडदान किया जाता है। भारतीय संस्कृति में यह माना जाता है कि पितर इस दौरान धरती पर आते हैं, ताकि अपने परिवार को आशीर्वाद दे सकें और उन्हें अपनी उपस्थिति का अहसास करवा सकें।

पितृपक्ष के दौरान शुभ संकेत
पितृपक्ष के दौरान, पितर कुछ संकेत देते हैं, जिन्हें शुभ माना जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख संकेतों का विवरण दिया गया है:

कौवे का छत पर बैठना:
यदि पितृपक्ष के दौरान कौआ आपके घर की छत या आंगन में बैठता है, तो इसे पितरों की प्रसन्नता का संकेत माना जाता है। कौवे को पितरों का प्रतीक माना जाता है, और उनकी उपस्थिति से यह संकेत मिलता है कि वे आपके परिवार की भलाई में रुचि रखते हैं।

पौधों का दोबारा खिल जाना:
यदि आपके घर में कोई मुरझाया हुआ पौधा पितृपक्ष के दौरान अचानक से खिल जाता है या फिर हरा-भरा नजर आने लगता है, तो इसे भी शुभ संकेत माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पितरों की ऊर्जा और आशीर्वाद से यह बदलाव होता है, जिससे परिवार में सकारात्मकता और खुशहाली आती है।

सपने में पितरों का दिखना:
स्वप्न शास्त्र के अनुसार, यदि आप पितृपक्ष के दौरान सपने में अपने मृत रिश्तेदारों या पूर्वजों को देखते हैं, तो यह पितरों की खुश होने का संकेत है। सपनों में उनके दर्शन आपके जीवन में मार्गदर्शन और सुरक्षा का संकेत देते हैं।

घर में काली चींटियों का दिखना:
पितृपक्ष के दौरान घर में काली चींटियों का आना भी एक शुभ संकेत है। ऐसा माना जाता है कि जब ये चींटियां आपके घर में आती हैं, तो यह दर्शाता है कि आपके पितर आपसे प्रसन्न हैं और आपके जीवन में सुख और समृद्धि आने वाली है।


किसी जरूरतमंद का आपसे अन्न मांगना:
यदि पितृपक्ष के दौरान कोई गरीब या जरूरतमंद आपसे खाने के लिए मांगता है या प्रार्थना करता है, तो इसे भी शुभ संकेत माना जाता है। यह संकेत है कि आपके पितर आपके साथ हैं और आपके अच्छे कर्मों की सराहना कर रहे हैं।

जानवर का भोजन ग्रहण करना:
पितृपक्ष में यदि कोई जानवर आपके घर का भोजन ग्रहण कर रहा है, तो इसे भी शुभ माना जाता है। यह दर्शाता है कि पितर आपसे खुश हैं और आपके जीवन में खुशियों का संचार होने वाला है। जानवरों की उपस्थिति आपके जीवन में सकारात्मकता और आशीर्वाद का प्रतीक होती है।

पितृपक्ष एक विशेष समय है, जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस दौरान मिलने वाले संकेत हमारे जीवन में पितरों के आशीर्वाद का प्रतीक होते हैं। इन संकेतों को समझना और उनका सम्मान करना हमारे लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये हमारे जीवन में सकारात्मकता और खुशहाली लाने में सहायक होते हैं।

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जब बात आती है मूवी इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा फीस लेने की, तो शाहरुख खान और रजनीकांत का नाम सबसे ऊपर आता है। लेकिन अब इन दोनों को एक साउथ के एक्टर ने पीछे छोड़ दिया है, और वो हैं तमिल एक्टर थलापति विजय। विजय बॉक्स ऑफिस पर राज करते हैं और उनकी फिल्मों ने कई रिकॉर्ड तोड़े हैं। अब वो सिर्फ सबसे ज्यादा कमाई करने वाले एक्टर ही नहीं, बल्कि सबसे ज्यादा फीस लेने वाले एक्टर भी बन गए हैं।

थलापति विजय की नई फिल्म: थलापति विजय इन दिनों अपनी आने वाली फिल्म थलापति 69 की शूटिंग कर रहे हैं, जो उनकी लास्ट फिल्म भी होगी। हाल ही में रिलीज हुई उनकी फिल्म गोट ने भी बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया था। इसी फिल्म के लिए उन्होंने 200 करोड़ की फीस ली थी।

फीस में हुई बढ़ोतरी: अब विजय ने अपनी फीस बढ़ाकर 275 करोड़ रुपये कर दी है, जिससे वो भारत के सबसे महंगे एक्टर बन गए हैं। खबरों का कहना है कि उन्होंने शाहरुख खान को भी पीछे छोड़ दिया है, जो एक फिल्म के लिए 250 करोड़ चार्ज करते हैं। यह खबर उनके फैंस के लिए बेहद रोमांचक है और इंडस्ट्री में नई हलचल मचा रही है।

राजनीति में कदम: थलापति विजय सिर्फ फिल्मों में ही नहीं, बल्कि राजनीति में भी कदम रखने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में अपनी राजनीतिक पार्टी तमिलनाडु विक्ट्री कॉर्पोरेशन की घोषणा की है। इससे यह साफ हो गया है कि वे एक्टिंग के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी रुचि रखते हैं।

थलापति 69: आखिरी फिल्म: थलापति 69 के निर्देशक एच विनोद हैं और यह फिल्म अगले साल अक्टूबर में रिलीज होने वाली है। इस फिल्म के साथ ही थलापति विजय अपने करियर का एक नया अध्याय शुरू करने जा रहे हैं। उन्होंने अब तक 30 साल से ज्यादा समय में 68 फिल्में की हैं, और अब उनकी 69वीं फिल्म होने वाली है। थलापति विजय ने अपने करियर में कई हिट फिल्में दी हैं और भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में उनकी खास पहचान बनी हुई है। उन्होंने हमेशा अपने फैंस के दिलों में एक खास जगह बनाई है और उनकी मेहनत ने उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाया है।

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आमिर खान की फिल्मों की खास बात यह है कि वे जिस फिल्म में काम करते हैं, वो ज्यादातर बॉक्स ऑफिस पर सफल रहती है। ऐसी ही एक फिल्म है 'रंग दे बसंती', जो 2006 में रिलीज हुई थी और जबरदस्त हिट साबित हुई थी। खास बात ये है कि इस फिल्म में शाहरुख खान और ऋतिक रोशन को कास्ट करने की कोशिश की गई थी, लेकिन दोनों ने फिल्म करने से मना कर दिया था।

शाहरुख-ऋतिक को किया गया था अप्रोच: राकेश ओमप्रकाश मेहरा, जो इस फिल्म के डायरेक्टर हैं, उन्होंने शाहरुख खान को लेफ्टिनेंट अजय सिंह राठौड़ के रोल के लिए और ऋतिक रोशन को करण सिंघानिया के रोल के लिए अप्रोच किया था। राकेश ने एक इंटरव्यू में बताया था कि फिल्म की स्टारकास्ट काफी बड़ी थी और उन्हें हर एक्टर से नौ महीने का समय चाहिए था। उन्होंने कहा, "मैंने ऋतिक से बात की थी, उन्हें स्क्रिप्ट पसंद आई थी, लेकिन उनके पास समय नहीं था। वहीं, शाहरुख को भी अजय राठौड़ के रोल के लिए अप्रोच किया था, मगर उनके साथ डेट्स मैच नहीं हो पाईं। शाहरुख के साथ हम ज्यादा सवाल नहीं कर सकते थे, हमारा एक हेल्दी रिलेशनशिप है।"

आर माधवन और सिद्धार्थ को किया गया कास्ट: शाहरुख और ऋतिक के इनकार के बाद, राकेश ने आर माधवन और सिद्धार्थ को इन महत्वपूर्ण किरदारों के लिए कास्ट किया। फिल्म में आमिर खान के साथ शर्मन जोशी, अतुल कुलकर्णी, कुणाल कपूर और सोहा अली खान भी अहम किरदारों में नजर आए। इसके अलावा, अनुपम खेर, किरण खेर, ओम पुरी और वहीदा रहमान जैसे वरिष्ठ कलाकारों ने भी फिल्म में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।

'रंग दे बसंती' की सफलता: फिल्म 'रंग दे बसंती' ने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया, बल्कि ऑडियंस का भी दिल जीत लिया। फिल्म ने भारत में लगभग 53 करोड़ रुपये का कारोबार किया और वर्ल्डवाइड 97 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया था। इस फिल्म ने चार नेशनल अवॉर्ड भी जीते थे, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया।

ऑस्कर में एंट्री लेकिन नॉमिनेशन में फेल: इस फिल्म को भारत की ओर से 79वें अकादमी अवॉर्ड्स (ऑस्कर) में बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म के लिए भेजा गया था। हालांकि, यह फिल्म ऑस्कर के नॉमिनेशन तक पहुंचने में सफल नहीं हो सकी। बावजूद इसके, 'रंग दे बसंती' आज भी भारतीय सिनेमा की सबसे यादगार फिल्मों में से एक मानी जाती है। 'रंग दे बसंती' सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि युवाओं के दिलों में देशभक्ति की अलख जगाने वाली कहानी थी, जिसने आज भी लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई हुई है।

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साउथ सिनेमा के दिग्गज अभिनेता रजनीकांत का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत तेलुगू फिल्मों से की थी, लेकिन बाद में तमिल, कन्नड़, मलयालम, मराठी और हिंदी फिल्मों में भी काम किया। आज रजनीकांत अरबों के मालिक हैं, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब वे बस कंडक्टर हुआ करते थे।

उनकी मेहनत, लगन और कड़ी मशक्कत ने उन्हें भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े स्टार्स में से एक बना दिया। 73 साल की उम्र में भी रजनीकांत मुख्य भूमिका में नजर आते हैं, और उनकी फिल्में देखने के लिए सिनेमाघरों में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है।

रजनीकांत के करियर की शुरुआत और संघर्ष

रजनीकांत का शुरुआती करियर चुनौतियों से भरा रहा। जब उन्होंने 70 के दशक में तेलुगू सिनेमा में कदम रखा, तो उन्हें छोटे-मोटे रोल मिलते थे। बाद में उन्होंने कुछ फिल्मों में विलेन का किरदार भी निभाया, लेकिन उनका सपना हमेशा से हीरो बनने का था।

हालांकि, उन्हें अपने लिए सही मौका नहीं मिल रहा था। तभी उन्होंने एक शानदार योजना बनाई। रजनीकांत ने प्रोड्यूसर्स से संपर्क किया और अमिताभ बच्चन की ब्लॉकबस्टर फिल्मों का तेलुगू वर्जन बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसमें वे खुद मुख्य किरदार निभाना चाहते थे।

अमिताभ बच्चन की फिल्मों ने बदली किस्मत

रजनीकांत की किस्मत तब बदली जब उन्होंने अमिताभ बच्चन की ब्लॉकबस्टर फिल्म डॉन का तेलुगू रीमेक 'बिल्ला' बनाया। इस फिल्म में रजनीकांत ने डबल रोल किया और यह फिल्म सुपरहिट साबित हुई। इसके बाद रजनीकांत ने अमिताभ बच्चन की और भी सफल फिल्मों के रीमेक बनाए और साउथ के सुपरस्टार बन गए।

रजनीकांत ने अमिताभ की 'अमर अकबर एंथोनी', 'जंजीर', 'दीवार', 'कसमे वादे', और 'लावारिस' जैसी फिल्मों का साउथ रीमेक बनाया, जो दर्शकों को खूब पसंद आईं। बाद में रजनीकांत ने अमिताभ बच्चन के साथ 'हम' और 'अंधा कानून' जैसी फिल्मों में भी काम किया, जिससे उनकी लोकप्रियता और भी बढ़ गई।

रजनीकांत का स्टारडम और फीस

आज 73 साल की उम्र में भी रजनीकांत का स्टारडम कायम है। वे तमिल और तेलुगू सिनेमा के सबसे बड़े सितारों में से एक हैं। उनकी तुलना कमल हासन और थलपति विजय जैसे बड़े एक्टर्स से की जाती है। 2023 में आई एक फिल्म के लिए रजनीकांत ने करीब 200 करोड़ रुपये की फीस चार्ज की थी, जिससे वे एशिया के सबसे महंगे एक्टर बन गए। उन्होंने इस मामले में शाहरुख खान, सलमान खान, आमिर खान, अक्षय कुमार और प्रभास जैसे सुपरस्टार्स को भी पीछे छोड़ दिया। रजनीकांत की कुल संपत्ति करीब 500 करोड़ रुपये आंकी जाती है। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें सिनेमा की दुनिया में वो मुकाम दिलाया, जहां पहुंचना हर किसी के बस की बात नहीं होती।

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टेलीविज़न की जानी मानी मशहूर अभिनेत्री शमा सिकंदर सोशल मीडिया पर अपने प्रशंसकों के साथ अक्सर फोटोज शेयर करती रहती हैं। उनके इंस्टाग्राम पर 3.2 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स हैं। हाल ही में, शमा ने एक सुपरस्टार पर गलत तरीके से छूने का आरोप लगाया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि उस सुपरस्टार ने एक विज्ञापन की शूटिंग के चलते इम्प्रोवाइज करने के बहाने उन्हें गलत तरीके से छुआ। हालांकि, उन्होंने उस सुपरस्टार का नाम नहीं बताया।

अपने एक इंटरव्यू में शमा सिकंदर ने कहा, "मैं एक बॉलीवुड सुपरस्टार के साथ विज्ञापन शूट कर रही थी, जिसमें मैं उनकी पत्नी का किरदार निभा रही थी। गले लगाना शूटिंग का हिस्सा नहीं था, लेकिन मुझे लगा कि वो मुझे किसी भी प्रकार गले लगाना चाहते हैं। कई बार, लोगों की ऊर्जा से ही पता चल जाता है कि वो क्या चाह रहे हैं। इस शूट में उन्हें मुझे ज्वैलरी पहनानी थी तथा जब मैं उनकी तरफ झुकी, तो उन्होंने मुझे गले लगाया। मुझे उस पल बहुत अजीब लगा। इससे पहले गले लगते वक़्त मैंने ऐसा कभी महसूस नहीं किया था।"

शमा ने बताया कि सुपरस्टार होते हुए भी इस प्रकार की स्थिति देखकर वो हैरान रह गई थीं। उन्होंने कहा, "मैंने कई लोगों के साथ काम किया है, और मेरे दोस्तों में भी लड़के सम्मिलित हैं। फिर भी, मेरे लिए यह बहुत अजीब था। मैं यह सोचकर हैरान थी कि सुपरस्टार होकर वो ऐसा क्यों करेंगे। मैं उनसे पहली बार मिली थी, मगर मुझे वो पहली बार सामान्य नहीं लगा। मैं कभी भी उनके साथ काम नहीं करूंगी, भले ही मैं बड़ी स्टार बन जाऊं।" शमा सिकंदर टीवी की दुनिया की एक प्रमुख स्टार हैं और फिल्मों में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रही हैं।

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टीवी की जानी मानी मशहूर अभिनेत्री निया शर्मा ने हाल ही में अपना बर्थडे सेलिब्रेट किया। उनकी करीबी दोस्त अंकिता लोखंडे ने अपने घर पर इस विशेष मौके के लिए पार्टी आयोजित की थी। निया का बर्थडे अंकिता, खानजादी और विक्की जैन ने बड़े धूमधाम से मनाया। इस के चलते का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें निया शर्मा येलो ऑउटफिट में मस्तीभरे अंदाज में डांस करती दिखाई दे रही हैं।

निया का ऑउटफिट बहुत बोल्ड थी, जिसके कारण उनका एक Oops मोमेंट भी कैमरे में कैद हो गया। हालांकि, निया पर इसका कोई असर नहीं पड़ा तथा वह विक्की जैन के साथ जमकर मस्ती और डांस करती रहीं। वीडियो में अंकिता लोखंडे दोनों का वीडियो बनाते हुए नजर आ रही हैं, जबकि विक्की जैन निया के पास खड़े होकर बर्थडे सॉन्ग गा रहे हैं। आसपास कई लोग मौजूद थे, जो इस सेलिब्रेशन का हिस्सा बनकर काफी एंजॉय कर रहे थे।
हालांकि, इस Oops मोमेंट के चलते निया को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा है। प्रशंसक इस वीडियो को बार-बार देख रहे हैं तथा इस पर चर्चा कर रहे हैं। निया को इस वर्ष फिर अपने बर्थडे पर ट्रोल्स का सामना करना पड़ रहा है, विशेषकर Oops मोमेंट को लेकर उन्हें आलोचना झेलनी पड़ रही है।

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कल, 20 सितंबर 2024 को, नेशनल सिनेमा डे धूमधाम से मनाया गया है। इस खास मौके पर दर्शकों को एक शानदार तोहफा मिला है। अब आप सिर्फ 99 रुपये खर्च कर थिएटर में अपनी पसंदीदा फिल्में देख सकते हैं। इस खास अवसर की घोषणा मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने अपने ट्विटर अकाउंट पर की है, जो सिनेमा प्रेमियों के लिए किसी खुशखबरी से कम नहीं है। आइए जानते हैं कि आप कौन-कौन सी फिल्मों का मजा महज 99 रुपये में ले सकते हैं।

1. नवरा माझा नवसाचा (नवंबर 2004): इस फिल्म का निर्देशन सचिन पिलगांवकर ने किया है और इसमें खुद सचिन पिलगांवकर और सुप्रिया पिलगांवकर ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। यह एक मनोरंजक मराठी फिल्म है, जिसमें अशोक सराफ और अली असगर जैसे कलाकार भी अहम भूमिकाओं में नजर आते हैं।

2. कहां शुरू कहां खत्म (20 सितंबर 2024): सौरभ दासगुप्ता द्वारा निर्देशित यह लेटेस्ट फिल्म आज ही रिलीज हुई है। इसमें ध्वनि भानुशाली, आशिम गुलाटी और राजेश शर्मा ने मुख्य किरदार निभाए हैं। यदि आप नई फिल्मों के शौकीन हैं, तो इस रोमांटिक-ड्रामा को महज 99 रुपये में थिएटर में देखने का मौका बिल्कुल न गंवाएं।

3. नेवर लेट गो (20 सितंबर 2024): इस रोमांचक फिल्म का निर्देशन एलेक्जेंडर अजा ने किया है। फिल्म में मुख्य भूमिका में हैं हैले बेरी और एंथनी बी जेनकिंस। यह फिल्म अपनी थ्रिल और सस्पेंस के लिए मशहूर है और आज 99 रुपये में इसे देखने का सुनहरा मौका है।

4. युधरा (20 सितंबर 2024): रवि उदयावर द्वारा निर्देशित इस फिल्म में राघव जुयाल, मालविका मोहनन और सिद्धांत चतुर्वेदी ने अहम किरदार निभाए हैं। एक्शन और थ्रिल से भरपूर यह फिल्म आज ही सिनेमाघरों में रिलीज हुई है और आपको इसे बड़े पर्दे पर देखने का मौका 99 रुपये में मिल रहा है।


5. द बकिंघम मर्डर्स (13 सितंबर 2024): इस मर्डर मिस्ट्री फिल्म का निर्देशन हंसल मेहता ने किया है। करीना कपूर, कीथ एलन और रणवीर बरार इसमें मुख्य भूमिका में हैं। इस रोमांचक कहानी को भी आज आप सिर्फ 99 रुपये में देख सकते हैं।

6. ट्रांसफॉर्मर्स वन (20 सितंबर 2024): अगर आप साइंस-फिक्शन फिल्मों के दीवाने हैं, तो ट्रांसफॉर्मर्स वन आपके लिए परफेक्ट है। इसका निर्देशन जोश कूली ने किया है और फिल्म में क्रिस हेम्सवर्थ, स्कारलेट जोहानसन और लॉरेंस फिशबर्न जैसे सितारे हैं। आज ही यह फिल्म 99 रुपये में सिनेमाघरों में देखी जा सकती है।

7. स्त्री 2: सरकटे का आतंक (15 अगस्त 2024): सुपरहिट फिल्म स्त्री का सीक्वल स्त्री 2 भी आज 99 रुपये में देख सकते हैं। अमर कौशिक द्वारा निर्देशित इस हॉरर-कॉमेडी में राजकुमार राव, श्रद्धा कपूर और पंकज त्रिपाठी जैसे कलाकार हैं। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट है और अभी भी सिनेमाघरों में धूम मचा रही है।

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करीना कपूर खान इन दिनों अपनी लेटेस्ट फिल्म 'द बकिंघम मर्डर्स' को लेकर काफी चर्चा में हैं। हंसल मेहता द्वारा निर्देशित इस इन्वेस्टिगेशन-थ्रिलर फिल्म में करीना की एक्टिंग की काफी तारीफ हो रही है, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई है। फिल्म की कमाई बेहद धीमी रही है, और इसका प्रदर्शन काफी निराशाजनक है। आइए जानते हैं कि इस फिल्म ने सातवें दिन कितना कलेक्शन किया।

'द बकिंघम मर्डर्स' का 7वें दिन का कलेक्शन

करीना कपूर स्टारर 'द बकिंघम मर्डर्स' 13 सितंबर 2024 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। अच्छे प्रमोशन और बज के बावजूद, फिल्म को दर्शकों और क्रिटिक्स से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिलीं। फिल्म को लेकर बनाई गई उम्मीदों के अनुसार, यह पहले ही दिन से संघर्ष करती नजर आई। कमाई के मामले में फिल्म काफी पीछे रही और अब तो फिल्म का कारोबार लाखों में सिमट गया है। रिलीज के पहले दिन 'द बकिंघम मर्डर्स' ने 1.15 करोड़ रुपये की कमाई की थी। दूसरे दिन इसने 1.95 करोड़ रुपये कमाए, जबकि तीसरे दिन 2.15 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया। चौथे दिन से ही फिल्म की कमाई घटने लगी, और फिल्म ने मात्र 80 लाख रुपये का कारोबार किया। पांचवे दिन 75 लाख और छठे दिन सिर्फ 50 लाख रुपये ही कमा पाई। अब, सातवें दिन यानी गुरुवार को फिल्म का कलेक्शन सिर्फ 23 लाख रुपये रहा, जो बेहद कम है।

7 दिनों का कुल कलेक्शन

सात दिनों में 'द बकिंघम मर्डर्स' का कुल कलेक्शन अब 7.53 करोड़ रुपये हो गया है। यह आंकड़ा फिल्म की लागत के मुकाबले बेहद निराशाजनक है, क्योंकि फिल्म का बजट करीब 40 करोड़ रुपये था।

'द बकिंघम मर्डर्स' का बॉक्स ऑफिस पर हाल

फिल्म को एक हफ्ता पूरा हो चुका है, और इसने बॉक्स ऑफिस पर दम तोड़ दिया है। चौथे दिन से ही फिल्म की कमाई लाखों में सिमट गई थी, और अब इसके लिए लाखों की कमाई भी मुश्किल हो गई है। फिल्म ने सात दिन बाद भी 10 करोड़ का आंकड़ा पार नहीं किया है, जिससे साफ है कि अब करीना कपूर की यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अपना सफर खत्म करती नजर आ रही है।

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महाराष्ट्र में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इसके लिए सभी राजनीतिक पार्टियां जोरों-शोरों से तैयारियों में जुटी हुई हैं। लेकिन महायुति (शिवसेना शिंदे गुट, बीजेपी और अजित पवार गुट) में अंदरूनी मतभेद की खबरें आ रही हैं। सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस के बीच कुछ मुद्दों पर विवाद होने की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। लाडली बहन योजना, महामंडल का विस्तार, धर्म से जुड़े बयानों और सीट बंटवारे को लेकर मतभेद सामने आए हैं, जिससे महायुति के अंदर सब कुछ ठीक नहीं लग रहा।

महायुति के नेता क्यों नाराज हैं?: सूत्रों के मुताबिक, लाडली बहन योजना को लेकर सीएम एकनाथ शिंदे, अजित पवार से नाराज हैं। वहीं, हिंदू-मुस्लिम से जुड़ी बयानबाजी पर अजित पवार बीजेपी से नाराज चल रहे हैं। महामंडल के विस्तार को लेकर अजित पवार की नाराजगी सीएम शिंदे के साथ है, जबकि सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर बीजेपी, शिंदे और अजित पवार दोनों से असंतुष्ट है। महायुति में यह आपसी मतभेद कई मौकों पर खुलकर सामने आ चुका है।

महायुति के मतभेदों का असर: 2024 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (MVA) के सामने एनडीए (महायुति) को हार का सामना करना पड़ा था। महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार को ट्रिपल इंजन सरकार कहा जाता है, क्योंकि इसमें शिवसेना शिंदे गुट, बीजेपी और अजित पवार गुट तीनों शामिल हैं। लेकिन इन तीनों दलों के बीच बढ़ते विवाद से सरकार पर बुरा असर पड़ रहा है, जिसका असर आगामी विधानसभा चुनाव में भी देखा जा सकता है। अजित पवार के गुट के सत्ता में आने के बाद से शिंदे गुट के विधायक नाराज हैं, क्योंकि पवार गुट को मंत्रिपद दिए गए थे। अब शिंदे गुट के नाराज विधायकों को महामंडल देकर शांत किया जा रहा है, जिससे अजित पवार असंतुष्ट हो रहे हैं।

हिंदुत्व और बयानबाजी पर विवाद: महायुति सरकार में एकनाथ शिंदे की शिवसेना और बीजेपी हिंदुत्व की राजनीति करती हैं, जबकि अजित पवार सेक्युलर विचारधारा रखते हैं। शिवसेना शिंदे गुट के संजय गायकवाड़, संजय शिरसाट और बीजेपी के नितेश राणे जैसे नेताओं के विवादित बयानों से अजित पवार की पार्टी नाराज है। पवार गुट के कुछ नेताओं ने तो सीधे दिल्ली जाकर इन नेताओं की शिकायत करने की धमकी दी है। उनका मानना है कि कुछ नेताओं की बयानबाजी से महायुति की छवि खराब हो रही है, जिसका असर जनता में नाराजगी के रूप में देखने को मिल सकता है और विधानसभा चुनावों में नुकसान हो सकता है।

सीट बंटवारे और लाडली बहन योजना पर तनाव: लाडली बहन योजना पर भी शिंदे और अजित पवार के बीच मतभेद हैं। पिछले कैबिनेट बैठक में इस योजना को लेकर दोनों के बीच तीखी बहस भी हुई थी। वहीं, सीट बंटवारे को लेकर शिंदे और पवार की मांगों से बीजेपी परेशान हो चुकी है। अब देवेंद्र फडणवीस बीच-बचाव कर स्थिति को संभालने की कोशिश कर रहे हैं ताकि आगामी विधानसभा चुनावों में कोई बड़ी परेशानी न हो।

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इंदौर: मध्य प्रदेश में कांग्रेस किसानों के मुद्दों को लेकर प्रत्येक जिले में न्याय यात्रा निकाल रही है। इंदौर में किसान न्याय यात्रा में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एवं कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी सम्मिलित हो रहे हैं। दोनों नेता ट्रैक्टर पर सवार होकर यात्रा पर निकले हैं। वहीं, पुलिस ने रास्ते में डंपर खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने केवल उसी ट्रैक्टर को निकलने की अनुमति दी, जिस पर दिग्विजय सिंह एवं जीतू पटवारी सवार थे। कांग्रेस की न्याय यात्रा को रोकने के लिए पुलिस ने रास्ता जाम कर दिया, जिससे सैकड़ों राहगीर भी परेशान हुए।

प्रदेश कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन के लिए किसानों की घटती आय एवं उपज के उचित दाम नहीं मिलने को मुद्दा बनाया है। कांग्रेस मांग कर रही है कि सोयाबीन का समर्थन मूल्य 6000 रुपये प्रति क्विंटल किया जाए, तथा सभी फसलों के लिए समर्थन मूल्य गारंटी कानून लागू हो। प्रदेश अध्यक्ष पटवारी और पूर्व मुख्यमंत्री ट्रैक्टर पर सवार होकर रीजनल पार्क से कलेक्टर कार्यालय के लिए रवाना हुए हैं। अन्य कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता भी अलग-अलग दिशाओं से कलेक्टोरेट पहुंच रहे हैं। शुक्रवार को बुरहानपुर में कांग्रेस तथा किसान नेताओं ने किसान और बुनकर न्याय यात्रा का आयोजन किया, किन्तु दावों के अनुरूप इस आंदोलन में भीड़ नहीं जुटा पाए।

निर्धारित समय के अनुसार प्रातः 10 बजे से कांग्रेस शहर अध्यक्ष रिंकू टॉक सहित अन्य नेता किसानों की प्रतीक्षा करते रहे, लेकिन वे नहीं पहुंचे। आखिरकार, प्रातः 11 बजे से शिकारपुरा थाने के पास से न्याय यात्रा शुरू हुई, जो राजपुरा गेट, पांडुमल चौराहा, सुभाष चौक होते हुए कलेक्टर कार्यालय पहुंची। इस रैली में 15 ट्रैक्टर और 5 से 7 अन्य वाहनों के अतिरिक्त कुछ कार्यकर्ता बाइक से भी सम्मिलित हुए। मुश्किल से 100 लोग ही रैली में दिखाई दिए, जिनमें से अधिकांश कांग्रेस नेता एवं कार्यकर्ता थे। कलेक्ट्रेट पहुंचकर दोपहर 12 बजे अपर कलेक्टर वीर सिंह चौहान को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें फसल बीमा, उचित समर्थन मूल्य, और बुनकरों को बिजली बिल में सब्सिडी देने सहित अन्य मांगें रखी गईं।

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कुख्यात इस्लामी आतंकी संगठन ISIS की शाखा IS-K ने हाल ही में अपनी पत्रिका ‘वॉइस ऑफ खुरासान’ के एक अंक में जम्मू-कश्मीर के बारे में जहर उगला है। इस पत्रिका में इस संगठन ने कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनावों के प्रति अपनी बौखलाहट को व्यक्त करते हुए मुस्लिम समुदाय को भड़काने का प्रयास किया है। इसमें कहा गया है कि कश्मीर काफिरों (इस्लाम में गैर-मुस्लिमों के लिए अपमानजनक संबोधन) के नियंत्रण में है और इसके लिए जिहाद (इस्लामी जंग) का समय आ गया है।

पत्रिका में ‘कश्मीर: द पैराडाइज अंडर द कंट्रोल ऑफ इनफिडेल्स’ शीर्षक से कहा गया है कि एक समय था जब इस्लाम ने दुनिया पर राज किया, और भारत से लेकर अंदलूसिया (स्पेन) तक किसी काफिर ने मुस्लिमों का अपमान करने की हिम्मत नहीं की। उस समय अल्लाह की धरती पर अल्लाह की शरीयत का शासन था। इस संदर्भ में, संगठन ने अतीत की घटनाओं को महिमामंडित करते हुए दावा किया है कि काफिर इस गर्वीली उम्माह को जजिया दिया करते थे और इसके हर हुक्म का पालन करते थे। पत्रिका में यह भी बताया गया है कि एक समय जब इस्लाम के अनुयायी एकजुट थे, तब वे अरब प्रायद्वीप से आए युवाओं की तरह अपने समाज की रक्षा के लिए कट्टरपंथी कदम उठाते थे। ISIS ने जोर देकर कहा है कि इस्लाम के अनुयायी एक हाथ में तलवार और दूसरे में कुरान रखते थे, जिससे काफिरों में भय व्याप्त था।

IS-K ने कश्मीर को उत्पीड़न और उजाड़ का प्रतीक बताते हुए लिखा है कि यह पूर्वी तुर्किस्तान की तरह इस्लाम के लोगों के लिए जेल बन गया है। पत्रिका में कहा गया है कि कश्मीर, जिसे कभी धरती का ‘जन्नत’ माना जाता था, अब हिंदू बहुदेववादियों द्वारा शासित है। संगठन ने यह भी दावा किया है कि कश्मीर का प्रत्येक शहर और गाँव गुलामी और उत्पीड़न से कराह रहा है, और हर घर में मुस्लिमों की चीखें सुनाई दे रही हैं। अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद घाटी में लौटे शांति के माहौल से तिलमिलाए इस आतंकी संगठन ने झूठ फैलाया है कि कश्मीर में मुस्लिमों को किसी न किसी बहाने जेलों में डाला जा रहा है और उनके अपहरण की घटनाएँ हो रही हैं। हालांकि, वास्तविकता इसके बिल्कुल विपरीत है, जहाँ चुनाव प्रक्रिया में स्थानीय लोगों ने शानदार भागीदारी की है।

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बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार प्राइवेट एवं सरकारी संस्थानों में नौकरी करने वाली महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। सरकार महिलाओं को पीरियड्स के चलते वर्ष में 6 दिनों की छुट्टी देने पर विचार कर रही है। इस सिलसिले में श्रम मंत्रालय द्वारा गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें मासिक 6 दिन की छुट्टी की सिफारिश की गई है। समिति की अध्यक्ष डॉ. सपना ने रिपोर्ट में वर्ष में 6 दिन की मासिक छुट्टी का सुझाव दिया है। कर्नाटक के मंत्री संतोष लाड ने बताया कि समिति की बैठक शनिवार को होगी तथा इसे एक प्रक्रिया के तहत सरकार की मंजूरी से गुजरना होगा। वे इस प्रस्ताव को लेकर बहुत सकारात्मक हैं।

वही इस वर्ष जुलाई में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र से महिला कर्मचारियों के लिए पीरियड लीव पर एक मॉडल नीति बनाने का आदेश दिया था। न्यायालय ने यह भी कहा था कि नियोक्ताओं के लिए ऐसी छुट्टी देना अनिवार्य बनाना महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी के लिए प्रतिकूल होगा। भारत में पीरियड लीव के लिए कोई केंद्रीय कानून या नीति नहीं है। 2020 में जोमैटो ने पीरियड लीव की घोषणा की थी, जिसके तहत प्रत्येक वर्ष 10 दिन की पेड लीव मिलती है। तत्पश्चात, कई स्टार्टअप्स ने भी ऐसी छुट्टियां देने की शुरुआत की। भारत में सिर्फ 3 राज्यों—बिहार, केरल, और सिक्किम—में पीरियड लीव से संबंधित नियम हैं।

बिहार पहला राज्य था, जिसने 1992 में अपने महिला कर्मचारियों को हर महीने दो दिन की पीरियड लीव का अधिकार दिया। यह छुट्टी 45 वर्ष की उम्र तक उपलब्ध है। बीते वर्ष जनवरी में, केरल के सीएम पिनराई विजयन ने सरकारी विश्वविद्यालयों की छात्राओं के लिए पीरियड लीव का ऐलान किया था एवं 75 प्रतिशत की जगह 73 प्रतिशत अटेंडेंस अनिवार्य कर दी गई थी। इस वर्ष मई में, सिक्किम उच्च न्यायालय ने रजिस्ट्री में काम करने वाली सभी महिला कर्मचारियों को पीरियड लीव देने का फैसला लिया है। हालांकि, केंद्रीय स्तर पर इस संबंध में कोई कानून या नीति नहीं है।

पीरियड लीव पर राजनीति
संसद में कई बार इस विषय पर प्राइवेट बिल पेश किए गए, लेकिन उन्हें अनदेखा कर दिया गया। बीते वर्ष दिसंबर में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा था कि पीरियड्स के लिए छुट्टी की आवश्यकता नहीं है, यह कोई बीमारी नहीं है। उनका तर्क था कि इस पर कोई प्रस्ताव नहीं है। भारत में लंबे वक से पेड पीरियड लीव की मांग उठती रही है, लेकिन इस पर सहमति नहीं बन सकी। केंद्र सरकार भी पेड पीरियड लीव का विरोध करती है, यह कहते हुए कि इससे महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी कम हो सकती है। कुछ का तर्क है कि इससे कंपनियां महिलाओं को नौकरी पर रखने से बचेंगी।

इसके अतिरिक्त, यह भी कहा जाता है कि पेड पीरियड लीव का गलत फायदा उठाया जा सकता है। हालांकि, आंकड़े इसका खंडन करते हैं। जापान के सरकारी सर्वे के मुताबिक, 2017 में सिर्फ 0.9 प्रतिशत महिलाओं ने पीरियड लीव ली थी। इसी तरह, दक्षिण कोरिया में भी 20% से कम महिलाओं ने इस छुट्टी के लिए आवेदन किया था।

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गुना: मध्य प्रदेश के गुना में स्थित प्राचीन हनुमान टेकरी मंदिर में डकैती की वारदात हुई। इस मामले में अपराधियों को पुलिस रिमांड पर लिया गया है। पूछताछ के चलते अपराधियों ने खुलासा किया कि उनकी गैंग का मुख्य निशाना अधिकतर हनुमान मंदिर होते थे। उन्होंने न केवल टेकरी मंदिर, बल्कि श्योपुर के छिमछिमा हनुमान मंदिर समेत कई अन्य स्थानों पर भी चोरी की वारदातों को अंजाम दिया था। इस गैंग का नाम "कालबेलिया" है।

गैंग के मुखिया बाबूलाल कालबेलिया के पास से दो दर्जन से ज्यादा लाल किताबें मिली हैं, जिनमें बड़े लेन-देन का हिसाब-किताब दर्ज है। इन किताबों में कई मोबाइल नंबर भी लिखे हुए हैं, जिनकी जांच पुलिस कर रही है। रिमांड के चलते कई अहम खुलासे हुए, जिनमें से एक यह है कि कालबेलिया गैंग के सदस्य इतने शातिर हैं कि अब तक किसी भी मामले में उनकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी। 24 अगस्त की रात हनुमान टेकरी मंदिर में डकैती की वारदात को अंजाम दिया गया था। इस मामले में राजस्थान के एक ज्वैलर समेत कालबेलिया गैंग के 8 सदस्यों को नामजद आरोपी बनाया गया था। इनमें से 3 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। यह मामला अत्यधिक संवेदनशील था, जिस पर ग्वालियर रेंज के आईजी अरविंद सक्सेना ने 30 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया था। साथ ही पुलिस अधीक्षक संजीव सिंहा ने एसआईटी (SIT) का गठन किया था। एसआईटी टीम ने 20 दिन की कड़ी मेहनत के पश्चात् हनुमान टेकरी मंदिर डकैती का खुलासा किया।

वही इस शातिर गैंग की गिरफ्तारी के पश्चात् केंद्रीय मंत्री एवं गुना के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पुलिस को धन्यवाद दिया है। सिंधिया ने 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "टेकरी सरकार की जय! यह गुना के प्रत्येक निवासी के लिए अत्यंत हर्ष का विषय है कि हनुमान टेकरी मंदिर से चोरी किए गए भव्य आभूषण फिर से टेकरी सरकार में स्थापित कर दिए गए हैं। इस सफलता के लिए मध्य प्रदेश और राजस्थान की पुलिस तथा प्रशासन का धन्यवाद। आपके सहयोग से टेकरी सरकार की सकारात्मक ऊर्जा और दिव्यता फिर से प्रकट हुई है। हमने एसआईटी के साथ मिलकर 20 दिनों तक दिन-रात निगरानी तथा जांच की, जिससे इस पवित्र धरोहर को सुरक्षित वापस लाया जा सके। इस सफल मिशन के लिए पूरी टीम का फिर से धन्यवाद।"

गुना के पुलिस अधीक्षक संजीव सिंहा ने बताया कि बदमाशों ने चोरी के अनोखे तरीके अपनाए थे। CCTV फुटेज में कुछ ऐसे सबूत मिले हैं जो जांच में उपयोगी साबित हुए हैं। बदमाशों के पास से 12 से अधिक लाल किताबें मिली हैं, जिनमें बड़े स्तर पर लेन-देन का उल्लेख है। मामले में आगे की कार्रवाई जारी है।

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा, जिसमें प्रदेश में बाढ़ की स्थिति की जानकारी दी एवं केंद्रीय कोष से तत्काल फंड जारी करने का अनुरोध किया। इसके साथ ही ममता बनर्जी ने दामोदर घाटी निगम (DVC) द्वारा एकतरफा पानी छोड़े जाने की वजह से दक्षिण बंगाल के कई जिलों में आई बाढ़ का जिक्र करते हुए DVC के साथ सभी संबंध तोड़ने की चेतावनी भी दी।

ममता बनर्जी ने चिट्ठी में लिखा कि 2009 के पश्चात् से राज्य दामोदर नदी एवं आसपास के क्षेत्रों में भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है। उन्होंने पीएम से इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर संबंधित मंत्रालयों को निर्देश देने का अनुरोध किया ताकि बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए उचित कदम उठाए जा सकें।
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि DVC द्वारा संचालित मैथन और पंचेत बांधों के संयोजन से अचानक लगभग 5 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से राज्य के कई हिस्सों में बाढ़ आई, जिससे बड़े पैमाने पर तबाही हुई है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि DVC द्वारा इसी प्रकार एकतरफा पानी छोड़ा जाता रहा तो राज्य सरकार उनके साथ हुए समझौतों को समाप्त कर देगी।

केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा था कि DVC से पानी छोड़ते समय सभी मानदंडों का पालन किया गया था। सरकार ने पश्चिम बंगाल सरकार के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि बाढ़ के लिए DVC जिम्मेदार है तथा इसे "मानव निर्मित बाढ़" बताना दुर्भाग्यपूर्ण है। बंगाल सरकार के आरोपों पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि बांधों से पानी छोड़ने की जानकारी सभी संबंधित अधिकारियों को समय पर दे दी गई थी तथा यह निर्णय दामोदर घाटी जलाशय विनियमन समिति (DVRRC) की सलाह के पश्चात् लिया गया, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार, झारखंड सरकार, केंद्रीय जल आयोग और DVC के प्रतिनिधि सम्मिलित हैं।

वास्तव में, 14-15 सितंबर को पश्चिम बंगाल के गंगा क्षेत्र में दबाव के चलते दामोदर घाटी क्षेत्र में भारी बारिश हुई थी, तथा 15-16 सितंबर को झारखंड के ऊपरी क्षेत्रों में भी भारी बारिश दर्ज की गई। फिर DVC तथा झारखंड के तेनुघाट बांध से पानी छोड़ा गया, जिसका प्रभाव बंगाल के कई क्षेत्रों में महसूस किया गया। पानी छोड़े जाने के कारण बंगाल की कई नदियों में उफान आ गया।

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मुरादाबाद: यूपी के मुरादाबाद में भारतीय जनता पार्टी के मेयर विनोद अग्रवाल, पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर आयोजित रक्तदान शिविर में पहुंचे। रक्तदान के लिए उन्होंने अपनी आस्तीन ऊपर की, चिकित्सक ने इंजेक्शन निकाला तथा मेयर के हाथ में पुश बॉल दी गई। तत्पश्चात, फोटोशूट हुआ और मेयर हंसते हुए वहां से चले गए। यह पूरी घटना वहां उपस्थित लोगों ने अपने कैमरों में कैद कर ली। बिना रक्तदान किए मेयर के चले जाने का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिस पर लोग जमकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

17 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी का जन्मदिन था तथा इस मौके पर देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। मुरादाबाद में भी रक्तदान शिविर लगाया गया, जिसमें मेयर विनोद अग्रवाल भी शामिल हुए। वीडियो के वायरल होने के पश्चात् मेयर ने स्पष्टीकरण दिया कि वे डायबिटीज़ के मरीज हैं। उन्होंने कहा कि रक्तदान करने की उनकी इच्छा थी, किन्तु चिकित्सक ने उन्हें शुगर की समस्या की वजह से रक्तदान करने से मना कर दिया। सोशल मीडिया पर मेयर के वीडियो को जमकर शेयर किया जा रहा है। इस वीडियो में विनोद अग्रवाल चिकित्सालय में रक्तदान के लिए पहुंचे थे और रक्तदान के लिए बेड पर लेट गए थे।

चिकित्सक ने इंजेक्शन निकाला एवं यह देख कार्यकर्ताओं ने उनकी वीडियो बनानी शुरू कर दी। किन्तु रक्तदान से पहले ही फोटोशूट करवाकर मेयर हंसते हुए वहां से चले गए। किसी ने यह वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया, फिर यह वायरल हो गया। यह घटना पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर को आयोजित रक्तदान शिविर की है, जहां बड़ी संख्या में भाजपा नेता मौजूद थे। वायरल वीडियो 22 सेकंड का है। वीडियो में डॉक्टर पहले मेयर विनोद अग्रवाल का बीपी चेक करते हैं तथा इसके बाद इंजेक्शन निकालते हैं, किन्तु रक्तदान की प्रक्रिया पूरी नहीं होती। मेयर के हाथ में पुश बॉल पकड़ाई गई, किन्तु रक्तदान किए बिना ही वे उठ गए। इस के चलते वह जोर-जोर से हंसते हुए डॉक्टर से कहते हैं, "रहने दीजिए, हम तो बस ऐसे ही आए हैं।" यह बोलते हुए वे बेड से उठकर वहां से चले जाते हैं।

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जम्मू: जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने पीएम नरेंद्र मोदी के आरोपों का कड़ा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने सरकार बनाने के लिए पीडीपी के दरवाजे पर दस्तक दी थी तथा पीएम को यह बात याद होनी चाहिए। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अब्दुल्ला परिवार के कारण कश्मीर आज भारत का हिस्सा है। यदी उस वक़्त अब्दुल्ला खानदान ने पाकिस्तान का एजेंडा लागू किया होता, तो जम्मू-कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा होता तथा स्वतंत्र होता।

श्रीनगर में मीडिया से चर्चा करते हुए महबूबा ने कहा कि भाजपा को शेख अब्दुल्ला के परिवार का आभारी होना चाहिए, क्योंकि उमर अब्दुल्ला ने उनके एजेंडे को यहां लागू किया। उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी को याद होगा कि पीडीपी के साथ सरकार बनाने के लिए बीजेपी 2-3 महीने तक उनके दरवाजे पर रही थी। महबूबा मुफ्ती ने आगे कहा कि बीजेपी सरकार बनाने के लिए उनकी शर्तों को मानने के लिए तैयार थी, जिनमें अनुच्छेद 370 से छेड़छाड़ न करने, सड़कें खोलने, AFSPA हटाने, तथा पाकिस्तान एवं अलगाववादियों से बातचीत शामिल थी। उन्होंने यह भी बताया कि बीजेपी ने एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल बातचीत के लिए बुलाया था। अब जबकि बीजेपी उमर अब्दुल्ला को मंत्री बनाने के लिए आई थी, महबूबा ने बीजेपी की आलोचना करते हुए कहा कि अब वे कैसी बातें कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को शेख परिवार का आभार मानना चाहिए, जिनके प्रयासों से जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा बना। जब उमर अब्दुल्ला भाजपा के मंत्री थे, तब उन्होंने पोटा (POTA) कानून लाया था, तथा बीजेपी ने उन्हें देशभर में दिखाने की कोशिश की थी कि कश्मीर मुद्दा केवल आतंकवाद से जुड़ा है और इसे पाकिस्तान पर हमला करके सुलझाया जाना चाहिए। पीएम मोदी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए महबूबा ने कहा कि बीजेपी हर मोर्चे पर विफल रही है। उन्होंने 2 करोड़ नौकरियों एवं 10 साल में 20 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था, किन्तु अब वे हिंदू-मुस्लिम मुद्दों, मुसलमानों की लिंचिंग तथा मस्जिदों को तोड़ने के बाद पाकिस्तान का मुद्दा उठा रहे हैं। यह उनकी असफलता को छिपाने का प्रयास है। हाल ही में एक चुनावी जनसभा में पीएम मोदी ने कहा था कि तीन परिवारों (नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी) ने जम्मू-कश्मीर को बर्बाद कर दिया है।

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મહીસાગર જિલ્લાના લુણાવાડા નગરપાલિકા ખાતે સેવા સેતુ કાર્યક્રમ યોજાયો

લાભાર્થીઓને ઘર આંગણે વિવિધ વિભાગ હેઠળની ૫૫ જેટલી યોજનાઓનો લાભ આપવામાં આવ્યો
રાજ્ય સરકારની પ્રજાલક્ષી યોજનાઓનો લાભ પ્રજાને સતત મળતો રહે અને વહીવટમાં કાર્યક્ષમતા, પારદર્શકતા, સંવેદનશીલતા તથા જવાબદારીપણાની ભાવના વધુ સુદૃઢ બને તે માટે રાજ્ય સરકાર દ્વારા વ્યક્તિગત સેવાઓ લોકોને તેમના રહેઠાણના નજીકના સ્થળે તે જ દિવસે પ્રાપ્ત થઈ શકે તેવા ઉમદા હેતુ સાથે સેવા સેતુ કાર્યક્રમનો પ્રારંભ કરવામાં આવ્યો હતો. તા. ૧૭ સપ્ટેમ્બરથી ૩૧ ઓક્ટોબર ૨૦૨૪ દરમિયાન સમગ્ર રાજ્યમાં ગામોના જૂથમાં સેવાસેતુ કાર્યક્રમના દસમા તબક્કાનો પ્રારંભ કરવામાં આવ્યો છે.

જે અંતર્ગત આજ રોજ લુણાવાડા નગરપાલિકા ખાતે સેવા સેતુ કાર્યક્રમ યોજાયો હતો. લાભાર્થીઓને વિવિધ વિભાગ હેઠળ ૫૫ જેટલી યોજનાઓનો લાભ આપવામાં આવ્યો હતો. સેવા સેતુ દ્વારા સરકાર અરજદારોને દ્વારે પહોંચી છે. પારદર્શિતા સાથે સંવેદનશીલતાનો સમન્વય સેવા સેતુમાં જોવા મળી રહ્યો છે. અગાઉના તબક્કાઓમાં સેવા સેતુ દ્વારા લાખો લોકોને એક જ દિવસમાં સ્થળ પર તેમના પ્રશ્નોના નિવારણ મળ્યા છે ત્યારે આ દસમાં સેવા સેતુ દ્વારા પણ લોકોને તમામ સેવાઓનો લાભ ઝડપી મળે તે રાજ્ય સરકાર સુનિશ્ચિત કરી રહી છે.

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🪴અખિલ વિશ્વ ગાયત્રી પરિવાર વડોદરા🪴

🌷🌷🌷🌷યુવા ગોષ્ઠિ 🌷🌷🌷🌷
અખિલ વિશ્વ ગાયત્રી પરિવાર વડોદરા યુવા પ્રકોષ્ઠ દ્વારા આગામી સુરત મુકામે યુવા શિબિર તા ૧૪-૧૫-૧૬ ડીસેમ્બર ૨૦૨૪ મા સંપન્ન થવા જઈ રહી છે સાથે યુવા જોડો અભિયાન ને વેગ આપવા યુવા ગોષ્ઠિ નુ આયોજન
તારીખ:- ૨૨-૯-૨૦૨૪ રવિવાર
સમય:- ૩ થી ૬
સ્થળઃ - ધ ગ્રાન્ડ ગાયત્રી હોલ
બીએમસી ચેમ્બર
સુભાનપુરા વડોદરા
સમસ્ત શાખા ઓ મા થી યુવા દંપતી ઓ ને તેમજ યુવા દીકરા,દીકરી ઓને પધારવા હાર્દિક આમંત્રણ
અખિલ વિશ્વ ગાયત્રી પરિવાર વડોદરા
યુવા પ્રકોષ્ઠ - સમન્વય સમિતિ
ગાયત્રી ચેતના કેન્દ્ર
યુગ નિર્માણ ગાયત્રી પરિવાર ટ્રસ્ટ
આઈવરી ટેરેસ અલકાપુરી વડોદરા
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टोहाना, 20 सतंबर- आज अनुभवी स्वास्थ्य मित्र संगठन हरियाणा की मासिक बैठक श्री गुरु रविदास धर्मशाला रतिया रोड टोहाना पर ब्लॉक प्रधान गुरदीप सिंह ढिल्लों रत्ताथेह की देख रेख में जॉइंट प्रभारी जगमोहन अरोड़ा व ज़िला फतेहाबाद प्रधान अजायब सिंह फतेहपुरी की अध्यक्षता में संपंन हुई। इस सफल मीटिंग के मंच की संचलना करते हुऐ भरत सिंह मंघेड़ा जनरल सैक्टरी ब्लॉक कार्यकारणी ने ब्लॉक कार्यकारणी सदस्यों को मंच पर अपने विचार पेश करने के लिए आमंत्रित किया जिस में जगत नडैल, जगसीर अमानी, जोरा सिंह समैण, पवन पिरथला, दर्शन कन्हड़ी, मंजीत सिंह टोहाना, जगमोहन अरोड़ा, संदीप खान के इलावा कार्यकारणी सदस्यों ने गांवों में नशीली दवाई के प्रचलन पर कहा कि सभी साथी सरकारी हिदायत के मुताबिक साफ सुथरा काम करें। जगमोहन अरोड़ा टोहाना ने संगठन की मजबूती के लिए अपने तजुर्बे के हिसाब से ठोस सुझाव पेश किया जिसकी पूरे संगठन के साथीयों ने सराहना की। इस बैठक में गांव गांव से सैकड़ों की संख्या में पहुंचे स्वास्थ्य मित्तरों का ब्लॉक प्रधान गुरदीप सिंह ढिल्लों ने स्वागत किया। अनुभवी स्वास्थ्य मित्र संगठन हरियाणा के ज़िला फतेहबाद के प्रधान अजायब सिंह फतेहपुरी ने पिछले दिनों टोहाना ब्लॉक के एक गांव में नशीली दवाईयां के पकड़े जाने पर संगठन के अपने साथीयों को आग्रह किया कि वो अपने काम को पूर्ण स्वश्ता से करें, कोई भी साथी सरकार की हिदायतों के खिलाफ कार्य ना करे, जो ऐसा काम करता पाया जाता है तो संगठन ना आज उसके साथ है और ना कल साथ होगा। जिलाध्यक्ष अजायब सिंह फतेहपुरी ने कहा कि नशे का कार्य करने वाला संगठन का साथी नहीं हो सकता। हमारा कार्य है समाज की बुराइयों को दूर करके स्वश्ता फैलाना। संगठन के साथी संगठन के नियमों अनुसार कार्य करें। इस मीटिंग में ज़िला कार्यकारणी के दिलबाग सिंह दीवाना, संदीप खान, मंजीत सिंह, राम सिंह बुयान, ब्लॉक कार्यकारणी से रमनदीप सिंह ढेर, जगसीर अमानी, जगत नडैल, विनोद कुमार म्योंद, जोरा सिंह समैण, संदीप भाटिया ललोदा, सुरेन्द्र अकांवाली, सतनाम शकरपुरा के इलावा कार्यकारणी के मैंबर व सदस्य हाजिर रहे।

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बाभळेश्वर :रयत शिक्षण संस्था येणार्‍या आव्हानांना यशस्वीपणे सामोरे जात असून शिक्षण क्षेत्रातील एक अग्रगण्य संस्था ठरत आहे. रयतच्या विद्यार्थ्यांचा गुणात्मक विकास वाखाण्याजोगा आहे, असे प्रतिपादन जनरल बॉडी सदस्य आमदार रोहित पवार यांनी केले.आमदार रोहित पवार यांनी नुकतीच अहमदनगर शिर्डी प्रवासादरम्यान बाभळेश्‍वर येथील सुधीर म्हस्के यांच्या कार्यालयास भेट दिली. यावेळी रयत शिक्षण संस्थेचे जनरल बॉडी सदस्य रावसाहेब म्हस्के पाटील यांनी आमदार रोहित पवार यांचे स्वागत करून सन्मान केला. आदरणीय शरद पवारसाहेब हे प्रवरानगर येथील महात्मा गांधी संकुलाचे माजी विद्यार्थी असून सध्याच्या काळातील महात्मा गांधी विद्यालयाच्या गुणवत्तेविषयी प्राचार्य अंगद काकडे यांनी आमदार रोहित पवार यांना माहिती दिली. यावेळी आमदार रोहित पवार यांनी सांगितले की, रयत शिक्षण संस्थेतील विद्यार्थ्यांची बौद्धिक गुणवत्ता वाढत असून विद्यार्थी ज्ञान, विज्ञान, तंत्रज्ञानाच्या बाबतीत उत्तुंग झेप घेत असल्याबद्दल त्यांनी समाधान व्यक्त केले. यावेळी संकुलाच्या वतीने प्राचार्य अंगद काकडे यांनी आमदार रोहित पवार यांचा सन्मान केला. याप्रसंगी जनरल बॉडी सदस्य रावसाहेब म्हस्के, सुधीर म्हस्के, माजी प्राचार्य जी. टी. गमे, प्र. पर्यवेक्षक संजय ठाकरे,विद्या विकास पब्लिक स्कुलचे प्राचार्य राजेंद्र नालकर,डॉ. शरद दुधाट, विश्‍वास मोहिते, विठ्ठल म्हसे, सागर निगुडे, बाबासाहेब अंत्रे, अमोल कडू, मोहीन शेख, श्री ज्ञानेश्वर कांदाळकर यांच्यासह शिक्षक, कार्यकर्ते मोठ्या संख्येने उपस्थित होते.

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सड़क पर बैठे गोवंशों को एक्सीडेंट से बचाने के लिए गौ सेवा समिति खान सातल खेड़ी के गौ रक्षकों ने गोवंचों को रेडियम लगाया। आए दिन कई सड़क हादसे देखने को मिल रहे हैं ,वही रोज किसी न किसी गोवंश का भी एक्सीडेंट में मृत्यु होते हुए खबरें हम देख रहे हैं गोवंशों को बचाने के लिए युवा शक्ति गौ सेवा समिति ने संकल्प लिया कि हम रोड पर बैठे सभी गोवंशों को रेडियम लगाकर उनकी रक्षा की जिम्मेदारी निभाएंगे। गौ रक्षक सूरज व दीपक ने बताया कि युवा शक्ति गौ सेवा समिति खान सातल खेड़ी समय-समय पर गौ माता का उपचार करते हैं वही आए दिन कहीं ना कहीं एक्सीडेंट की खबरें हमको सुनने को मिलती है। इसलिए हमने कुछ गौ सेवको से मदद लेकर गोवंशों के लिए रेडियम की व्यवस्था की इस दौरान आज हमने 42 गोवंशों को रेडियम पहनाया ताकि वाहन चालको को दूर से ही रेडियम दिखाई दे और वह अपने वाहन की गति धीरे करके गोवंश को बचाने में हमारा सहयोग करें । इस मौके पर अजय वाडिया ,अक्षय प्रजापति ,ललित सिसोदिया, ललित मिमरोट, सूरज बैरवा ,दीपक चारण ,सूरज, प्रिंस गोठवाल, प्रिंस बेथेड़ा, महेश सिंह आदि गौ रक्षक मौजूद रहे।

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आदर्श विद्या मंदिर उच्च प्राथमिक विद्यालय में श्रीरामगंजमंडी में संकुल स्तर संस्कार केन्द्रों की खेल-कूद प्रतियोगिता का आयोजन हुआ ।प्रधानाचार्य बलवीर सिंह सोनगरा ने बताया कि विद्या भारती की योजनानुसार रामगंजमंडी संकुल के विद्यालयों द्वारा संचालित संस्कार केंद्रों के भैया - बहनों की विभिन्न प्रकार की खेलकूद प्रतियोगिताएं आयोजित करवाई गई । कार्यक्रम में विद्या भारती चित्तौड़ प्रांत के संस्कार केंद्र प्रमुख प्रभात आमेठा एवं कोटा जिला संस्कार केंद्र प्रमुख बाल कृष्ण सुमन की उपस्थिति रही । प्रभारी दिनेश गोस्वामी ने बताया कि प्रतियोगिता में श्री गणेश संस्कार केंद्र - रिछड़िया , मां शारदे संस्कार केंद्र - कुदायला दयानन्द सरस्वती संस्कार केंद्र - तंबोलिया एवं सरस्वती संस्कार केंद्र - चेचट के भैया - बहनों ने कबड्डी , सितौलिया , कविता , नृत्य एवं सुलेख श्रुतलेख आदि में कुल 82 भैया - बहिनों ने भाग लिया । कबड्डी में संस्कार केंद्र - रिछड़िया एवं सितोलिया में संस्कार केंद्र - कुदायला के भैया - बहनों ने बाजी मारी ।सुलेख,श्रुतिलेख ,चित्रकला , रंगोली , नींबूचम्मच दौड़ एवं अन्य प्रतियोगिताओं में चेचट ,तंबोलिया , रिछाड़िया संस्कार केंद्र के भैया - बहनों ने अपना दमखम दिखाया । कार्यक्रम समापन पर भैया -बहनों को पुरस्कार प्रदान किए गए ,साथ ही भोजन करवाया गया ।समस्त प्रकार की दौड़े बालचंद राठौर , रंगोली ,चित्रकला प्रहलाद धाकड़ एवं अनुसूया शर्मा ने , सितौलिया भूपेंद्र शर्मा एवं अन्य आचार्य - दीदीयों के सहयोग से संपन्न करवाए गए ।

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रामगंजमंडी क्षेत्र के काल्याकुई में जल जीवन मिशन की खामियों को लेकर ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया। महिलाओ ने उपखण्ड कार्यालय पर एसडीएम के नाम और खैराबाद पंचायत समिति में बीडीओ के नाम ज्ञापन दिया। वहीं मांग राखी की जल जीवन मिशन योजना का मूल्यांकन किया जाए। ग्रामीणों ने बताया कि काल्याकुई गाँव में आधे गाँव वालों के नलों में पानी नहीं आ रहा है उसका स्थाई समाधान करावें। JJM से हुए RCC, इंटरलॉकिंग व नालियों के टूट फूट की मरम्मत कराई जावें ।गाँव के नलो में टोंटियाँ लगाया जावे। जिन नलों की फिटिंग ठीक प्रकार से नहीं हुई उनको दुरुस्त करावें और गाँव में वॉच सिस्टम से एक निश्चित समय पर खोलने व बन्द करने की व्यवस्था करावें। वहीं योजना की खामियों को दुरुस्त नहीं किया गया। तो ग्रामीण उग्र आंदोलन करेंगे।

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रामगंजमंडी को जिला बनाने की मांग को लेकर जिला बनाओ संघर्ष समिति उपखंड अधिकारी को 23 सितम्बर को सुबह 10 बजे जिले के लिए बनी सब कमेटी के अध्यक्ष मदन दिलावर जी के नाम ज्ञापन देगी। बता दे पूर्व में भी विगत 50 दिनों तक जिला बनाओ संघर्ष समिति ने रामगंजमंडी को जिला बनाने के लिए जिले के लिए धरना प्रदर्शन किया था उस धरना प्रदर्शन का समर्थन खुद मदन दिलावर जी ने किया था।। यही नही दिलावर जी स्वयं धरने पर बैठे थे व कांग्रेस सरकार को रामगंजमंडी को जिला बनाने के लिए एक पत्र भी लिखा था जिसमे बताया था कि रामगंजमंडी जिला बनने की सभी अहर्ताएं पूरी करता है। उस समय चुकी दिलावर जी विपक्ष में थे और सरकार कांग्रेस की थी शायद इसलिए उन के पत्र व मांग पर ध्यान नही दिया। लेकिन अब ऐसे में जब दिलावर जी खुद सरकार का हिस्सा है। यही नही जिला बनाओ कमेटी के अध्यक्ष भी है ऐसे में जिला बनाओ संघर्ष समिति 23 सितम्बर को एसडीएम को उनके नाम का ज्ञापन सौपेगी। संघर्ष समिति ने व्यापारियों से अपील की है
कि वह अपनी दुकानें 23 सितम्बर को एक घंटा बन्द रखे ।

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आदर्श विद्या मंदिर माध्यमिक विद्यालय में किया विज्ञान मेले का आयोजन। विज्ञान विषय प्रभारी नितिका राठौर ने बताया कि विद्यालय में भैया बहिनों द्वारा विज्ञान विषय के चार्ट मॉडल बनाए गए।जिसमे कक्षा से तीन वर्ग बनाए गए।प्रथम वर्ग कक्षा चतुर्थ पंचम में भैया देवीसिंह ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।भैया ने चंद्रयान का मॉडल बनाया। द्वितीय स्थान पर माही भावसार ने यातायात के साधन पर आधारित मॉडल व तृतीय स्थान पर बहिन वंदना ने जल संरक्षण पर आधारित मॉडल बनाया।बाल वर्ग में प्रवीण राठौर ने ग्रीन हाउस प्रभाव पर आधारित मॉडल बनाया।। द्वितीय स्थान पर राम बैरागी सुक्ष्मदर्शी यंत्र पर आधारित मॉडल बनाया।तृतीय स्थान पर धर्मराज सुमन ने आंख पर आधारित मॉडल बनाया।किशोर वर्ग में दिव्यांक सेन ने संवेदक पर आधारित मॉडल बनाकर प्रथम स्थान प्राप्त किया। प्रायोगात्मक में शिशु वर्ग इंद्रजीत सिंह प्रथम स्थान सागर वर्मा द्वितीय स्थान पर रहे।बाल वर्ग में रोहित वर्मा प्रथम स्थान व कृष्णा गौतम ने द्वितीय स्थान व तृतीय स्थान पर सागर प्रजापत रहा। बाहर से पधारे निर्णायक अतिथि वन वर्ड एजुकेशन के संस्था प्रधान रघुवीर सिंह भदौरिया,ने सभी भैया बहिनों को पारितोषिक दिया।सभी भैया बहिनों ने कुल 29 मॉडल बनाए।प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले भैया बहिन अपने मॉडल का प्रस्तुतिकरण आगे जिला स्तर पर करेंगे। कार्यक्रम में विद्यालय प्रबंध समिति सचिव नरेंद्र रावल सदस्य नवीन कुमार पुरोहित उपस्थित थे।

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सुकेत थाना क्षेत्र में जुल्मी सरकारी स्कूल में टीचर द्वारा छात्रा से छेड़छाड़ के मामले में शिक्षा विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। शुक्रवार को शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के निर्देश पर आरोपी टीचर वेदप्रकाश बैरवा और स्कूल प्रिंसिपल दिवान रावत को सस्पेंड किया गया। इसके आदेश माध्यमिक शिक्षा निदेशक बीकानेर ने जारी किए। आरोपी टीचर पर छात्रा से छेड़छाड और अभिभावकों से अभद्रता करने और स्कूल प्रिंसिपल की मामले में लापरवाही और अनदेखी के चलते कार्रवाई की गई। उधर सुकेत पुलिस के गिरफ्त में आरोपी टीचर वेदप्रकाश को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया, जिसे कोर्ट आदेश पर जेल भेज दिया गया। सुकेत एसएचओ रघुवीर सिंह ने बताया- सुकेत थाना में 12वीं कक्षा की पीड़िता ने आरोपी टीचर पर छेड़छाड़ और दुर्व्यव्हार, अभद्रता की रिपोर्ट दी थी। इस पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपी टीचर को स्कूल से गिरफ्तार कर शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया। जिसे कोर्ट आदेश से जेल भेजा गया।टीचर ने लंच टाइम में छात्रा को रोका एसएचओ रघुवीर सिंह ने बताया- 16 साल की पीड़ित बालिका ने रिपोर्ट दी थी। उसने बताया कि 14 सितंबर (शनिवार) को टीचर वेदप्रकाश बैरवा ने लंच के समय मुझे क्लास में रोका। उन्होंने कहा कि मुझसे बात करो। उसने कारण पूछा तो टीचर ने उसका हाथ पकड़ लिया। इसके बाद वह हाथ छुड़ाकर रोते हुए घर चली गई।
पीड़ित ने बताया - 15 सितंबर से 17 सितंबर तक 3 दिन स्कूल की छुट्टी थी। इस दौरान उसने घर पर कुछ भी नहीं बताया। 18 सितंबर को उसने स्कूल जाने से मना कर दिया तो परिजनों ने कारण पूछा। इसके बाद उसने पूरी घटना बताई। परिजन बच्ची को लेकर स्कूल पहुंचे और टीचर से बात की। इस पर टीचर भड़क गया और परिजनों के साथ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। परिजन घर लौट आए। इसके बाद परिजनों ने इस बारे में ग्रामीणों से बात की।19 सितंबर (गुरुवार) को गुस्साए ग्रामीण परिजनों के साथ सुबह 11 बजे स्कूल पहुंचे और टीचर की पिटाई कर दी। इसके बाद स्कूल के पूरे स्टाफ को कमरे में बंद कर दिया। मामले में उपप्रधान सुनील गौतम ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को जानकारी देते हुए छात्राओं से बात करवाई थी। ऐसे में ग्रामीणों और छात्राओं से टीचर को सस्पेंड करने की मांग रखी। भीड़ को देख रामगंजमंडी और मोडक थाने से भी जाप्ता मंगाया गया। करीब 3 घंटे तक ग्रामीणों के साथ बातचीत के बाद ग्रामीण शांत हुए। इसके बाद आरोपी टीचर को कमरे से बाहर निकाला।

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काशीपुर-आज महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यकारिणी के गठन का कार्यक्रम नगर के एक रिसोर्ट में किया गया।जिसमें जिला ऊधम सिंह नगर की समस्त सुपरवाइजर उपस्थित रही वहीं निर्वाचन अधिकारी जगदीश बिष्ट,
प्रांतीय संयुक्त मंत्री राजकीय शिक्षक संघ गिरजेश कांडपाल,प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तराखंड द्वारा चुनाव संपन्न कराये गए।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिला कार्यक्रम अधिकारी मुकुल चौधरी उपस्थित रहे।
नवीन कार्यकारिणी इस प्रकार है:-
जिलाध्यक्ष-श्रीमती जानकी कश्यप
जिलामंत्री-श्रीमती शुचि शर्मा
वरिष्ठ उपाध्यक्ष-श्रीमती सरिता जोशी
कोषाध्यक्ष-श्रीमती अमरजीत गहतोड़ी
संगठन मंत्री-अनीता गुप्ता

इसके बाद निर्वाचन अधिकारी व मुख्य अतिथि जिला कार्यक्रम अधिकारी मुकुल चौधरी द्वारा सभी नवनिर्वाचित पदाधिकारियों द्वारा पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई गई,
कार्यक्रम का संचालन यासमीन अंसारी द्वारा किया वहीं कार्यक्रम को सफल बनाने में विशेष सहयोग श्रीमती मोनिका सेठी व शबनम अंजुम का रहा।

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*रंग लाए सांसद डॉ मन्नालाल रावत के प्रयास*
*सलूम्बर क्षेत्र में सुदृढ़ होगा सड़क व शिक्षा का आधारभूत ढांचा*
*168 विद्यालय भवनों में कक्षाकक्ष निर्माण के लिए 37.36 करोड़ रूपए स्वीकृत*
*46.98 करोड़ की लागत से होगा सड़कों का कायाकल्प*
उदयपुर, 20 सितम्बर। जनजाति अंचल में आधारभूत सरंचनाओं तथा शैक्षिक उन्नयन को लेकर मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है। विभिन्न योजनाओं और मदों से सरकार क्षेत्र में विकास कार्य स्वीकृत कर रही है। इसी क्रम में उदयपुर सांसद डॉ मन्नालाल रावत भी क्षेत्र के विकास को गति देने के लिए अर्हनिश जुटे हुए हैं। डॉ रावत के प्रयासों से डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाण्डेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) मद से सलूम्बर विधानसभा क्षेत्र में सड़क व शिक्षा के आधारभूत ढांचे को मजबूती देने के लिए करोड़ों रूपए की स्वीकृतियां जारी की गई हैं। इसमें सलूम्बर विधानसभा क्षेत्र में सड़क सुदृढीकरण एवं पुलिया निर्माण के लिए 46.98 करोड़ रूपए तथा 168 स्कूलों में अतिरिक्त कक्षा कक्ष निर्माण के लिए 37.36 करोड़ रूपए स्वीकृत हुए हैं।

*इन सड़कों के लिए जारी हुई स्वीकृति*
ग्राम पंचायत बगुरवा में अजबरा राजपुत बस्ती से खानारेंट तक की सड़क के लिए 100 लाख रूपए, पीलादर पंचायत में काला पारा से ठींकरी मंगरी बटुका स्कुल तक सड़क के लिए 90 लाख, केवडाखुर्द में प्रावि केवडा कला के पास से रूपलाल धर्मा के मकान तक की सड़क के लिए 10 लाख, जावद में जयसमन्द मेन रोड से से करवेदिया भेरूजी रोड के लिए 30 लाख, केवडा में केवडाकला सेे धई स्कूल तक सड़क के लिए 200 लाख, डेलवास में अमराजी कलाल की दुकान से खॉकलदेवजी मन्दिर तक सड़क निर्माण के लिए 57.53 लाख रूपए की स्वीकृति जारी की गई है। इसी प्रकार बडावली में मुख्य सडक से जकाडावाला फला वाया वेलडिया सड़क के लिए 100 लाख, मल्लाडा में ढाणी से टोड़ा रोड़ सड़क के लिए 60 लाख, सेपुर में डाकण बावडी से सेपुर सड़क के लिए 90 लाख, डेलवास में क्रेसर प्लान्ट डेलवास से चणावदा सीमा तक के लिए 140 लाख, सलुम्बर में बाबरमाल बजरंग मार्बल की खान से मुख्य सडक पर ओपी जोशी की खान तक सडक निर्माण के लिए 150 करोड़, मल्लाडा में सीपुर गांव से सीपुर भागल गोमती नदी तक सड़क कार्य के लिए 50 लाख, सिघंटवाडा में बेडादरा पुलिया से जालमाजी के घर की ओर नेवातलाई सड़क के लिए 30 लाख रूपए, सिंघटवाड़ा में कॉडफला स्कूल से सिघंटवाडा तलाई तक सड़क निर्माण के लिए 50 लाख, धावडिया में कतिला स्कूल से माताजी वाया विरजी के घर तक सड़क के लिए 69 लाख रूपए स्वीकृत किए गए हैं। इसी क्रम में बडगांव में जनावत चौराहा से हमीरगढ़ वाया भोईवाडी पनवाफला तक सड़क के लिए 118 लाख, धारोद में भगोरा बस्ती से तालाब होते हुए काया तक सड़क निर्माण के लिए 60 लाख रूपए, बस्सी में भीमावत पोल बस्सी से बुझो की भागल तक सड़क के लिए 50 लाख, खेराड में पशु चिकित्सालय से राउमावि खेराड तक सड़क के लिए 50 लाख, उथरदा पंचायत में साकरिया खेडा से झामरी नदी तक सड़क के लिए 40 लाख, गांवडापाल में दौलपुरा पशु उपस्वास्थ्य केन्द्र से खांखरीया भैरव तक सड़क के लिए 140 लाख, ओडवाडिया में लेम्पस से वागतलाई तिकली मंगरी होते टुटामहुडा तक सड़क के लिए 120 लाख, उथरदा में बॉसा से कराकली रोड तक सड़क निर्माण के लिए 60 लाख, गींगला में मेनरोड हनुमानजी से पुरानी टंकी आकिया बस्ती तक सड़क निर्माण के लिए 180 लाख, ईडाणा में कलालों की धर्मशाला से फीला रोड तक सड़क निर्माण के लिए 60 लाख, कांट में खरका तालाब स्कूल से पनवा तक सड़क के लिए 100 लाख, बरोडा में बॉरा महादेवजी से धोलीमगरी तक 50 लाख रूपए की स्वीकृति जारी की गई है।
इसी प्रकार चन्दोडा में गुडियावाडा रोड से खेरूआ वाया भण्डारिया बस्ती सड़क के लिए 112 लाख, समोडा में काईयो का गुडा से बण्डी तक सड़क के लिए 60 लाख, अमलोदा में माजावत गुडा खेल मैदान से भागल बस्ती तक सड़क के लिए 30 लाख, इण्टालीखेडा में इण्टाली स्कूल से कस्तरु बां स्कूल रोड तक सड़क के लिए 90 लाख, नोली में खारवाफला ड़गार से नोली तक सड़क के लिए 100 लाख, बामनिया में बामनिया उपाध्याय वाडा से गुड तक सड़क के लिए 90 लाख, रूऑव गांव से नोली रोड वाया मेहता ब्राह्मण बस्ती तक सड़क के लिए 100 लाख, पाल सराडा में तोरणिया घाटी से मरेडी रणात फला तक सड़क के लिए 80 लाख, बण्डोली मेन रोड से रूपतलाई चावण्ड तक सड़क के लिए 60 लाख, बाणाकलां में थडा तिराहे से भेरवा बस्ती तक सड़क सुदढृीकरण के लिए 164 लाख, खोडीमहुडी में झांलरदेवी घाटी से प्राथमिक विद्यालय झांलरदेवी तक सड़क निर्माण के लिए 80 लाख, तथा सेमाल में मेन रोड से वाणिया वाली थोरी तक सड़क निर्माण के लिए 60 लाख रूपए की स्वीकृति जारी की गई है।

*गोमती व टीडी नदी पर बनेंगी पुलिया, सुगम होगा आवागमन*
सांसद डॉ रावत के प्रयासों से डीएमएफटी मद से सलूम्बर क्षेत्र के लिए कई पुलिया और रपट भी स्वीकृत की गई है, ताकि बारिश के दिनों में आमजन को आगमन में परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। इसके तहत पाडला में टीडी नदी पर कोटड़ी हाईलेवल पुलिया निर्माण के लिए 261 लाख रूपए, बाणाकलां में गोमती नदी पर पुलिया निर्माण नावडा के लिए 466 लाख रूपए, धावडिया कतिला रोड टीडी नदी पर पुलिया निर्माण के लिए 228 लाख, सिंघटवाडा में खांखदरा टीडी नदी पर पुलिया निर्माण के लिए 200 लाख, पाडला में बलमाता मन्दिर के सामने टीडी नदी पर रपट निर्माण के लिए 172.60 लाख तथा सिघंटवाडा में टीडी नदी पर घाटा फला में रपट निर्माण के लिए 90 लाख रूपए स्वीकृत किए गए हैं।

*विद्यालय भवनों में बनेंगे अतिरिक्त कक्षा कक्ष*
सलूम्बर क्षेत्र में कई विद्यालय भवन में कक्षा कक्षों की कमी के चलते विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। सांसद डॉ रावत की पहल पर डीएमएफटी मद से सलूम्बर विधानसभा क्षेत्र के 168 विद्यालयों में अतिरिक्त कक्षा कक्ष निर्माण के लिए कुल 37.36 करोड़ रूपए स्वीकृत किए गए हैं। उक्त राशि से चिन्हित विद्यालयों में दो-दो अतिरिक्त कक्ष निर्मित किए जाएंगे। इसके तहत सलूम्बर पंचायत समिति क्षेत्र में 82, जयसमंद ब्लॉक में 47, सराड़ा में 28, झल्लारा में 6 तथा सेमारी में 5 विद्यालय चिन्हित किए गए हैं।

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*जिला कलेक्टर ने स्वच्छता रैली को दिखाई हरी झंडी*

सलूंबर, 20 सितम्बर। जिला कलेक्टर जसमीत सिंह संधू ने स्वच्छता ही सेवा पखवाड़े के अंतर्गत आज सलूंबर बस स्टैंड से स्वच्छता रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
इस अवसर पर जिला कलेक्टर जसमीत सिंह संधू ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन से शुरू स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा का उद्देश्य आमजन को स्वच्छता के प्रति जागरुक करना है। प्रत्येक नागरिक के छोटे-छोटे प्रयासों से शहरी क्षेत्र को स्वच्छ बनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि स्वच्छता ही सेवा पखवाड़े के दौरान पंद्रह दिनों तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे। उन्होंने कहा कि स्वच्छता के प्रति जागरुक करने के उद्देश्य से शहर के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को जोड़ा गया है। इनके माध्यम से भी आमजन में जागरुकता के प्रयास होंगे।
जिला कलेक्टर ने कहा कि पखवाड़े का आयोजन केन्द्र और राज्य सरकार के निर्देशों के अनुरूप किया जाए। इस दौरान प्रत्येक क्षेत्र में जागरुकता गतिविधियां हों। सरकारी कार्यालयों में भी साफ-सफाई की जाए। इनमें अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अपने घर और घर के आसपास से स्वच्छता की इस मुहीम की शुरुआत करें।

इस दौरान जिला कलेक्टर जसमीत सिंह संधू ने स्वच्छता ही सेवा अभियान के बारे में और इसके उद्देश्य के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि इस अभियान की मुख्य थीम स्वभाव स्वच्छता, संस्कार स्वच्छता है। हमें अपने दैनिक जीवन में स्वच्छता को अपनाना है। अपने घर, मोहल्ले तथा शहर को स्वच्छ रखना है। अपने घरों में सूखा व गीला कचरा अलग—अलग करने व गीले कचरे से घरों में खाद बनाने के लिए व स्वच्छता के प्रति जागरुक रहने, साथ ही सिंगल यूज प्लास्टिक के दुष्प्रभाव एवं प्लास्टिक के प्रतिबंधित उत्पादों की जानकारी देकर, कपडे एवं जूट के थैलों का प्रयोग करने के बारे में बताया।

जिला कलेक्टर ने सभी को सलूंबर को स्वच्छ रखने तथा स्वच्छता के प्रति जागरूक रहने की शपथ दिलाई तथा आमजन से भी सलूंबर को स्वच्छ रखने तथा स्वच्छता के प्रति जागरूक रहने की अपील की।

कार्यक्रम का समापन राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सलूंबर में हुआ इस दौरान मैराथन दौड़ में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को पुरुस्कार वितरण किया।
कार्यक्रम के दौरान नगर परिषद आयुक्त गणपत लाल खटीक, सीएमएचओ डॉ जेपी बुनकर, डॉ जगदीश जोशी, कालु राम मीणा सहित विभिन्न विभागीय अधिकारीगण और छात्र छात्राए उपस्थित थे।
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