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Chief Guest Additional Director General of Police Meerut Zone Shri DK THAKUR was honoured by AIMA President Mahesh Sharma, Meerut Cantt MLA Shri Amit Agarwal and others in a programme organised by AIMA on the auspicious occasion of HINDI PATRKARITA DIVAS.
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Chief Guest Additional Director General of Police Meerut Zone Shri DK Thakur addressing on the role of social media in the present era.
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Shri Amit Agarwal (Meerut Cantonment MLA), special guest, inaugurator was honoured by presenting memento by ADG Meerut Zone Shri DK Thakur, AIMA President Shri Mahesh Sharma, District President Shri Charan Singh Swami and others.
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Shri Ravi Prakash Tiwari (Editor-in-Charge - Dainik Jagran, Meerut) was honored by presenting a memento by ADG Meerut Zone Shri DK Thakur, Meerut Cantonment MLA Shri Amit Agarwal, AIMA President Shri Mahesh Sharma and others.
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Shri Rajendra Singh (Information Commissioner and former editor Amar Ujala) was honored by presenting a memento by Shri DK Thakur (ADG Meerut Zone), Shri Amit Agarwal (Meerut Cantonment MLA) and AIMA President Shri Mahesh Sharma and others.
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Shri Pushpendra Sharma (former editor Hindustan) was honored by presenting a memento by Shri DK Thakur (ADG Meerut Zone), Shri Amit Agarwal (Meerut Cantonment MLA) and Shri Mahesh Sharma (AIMA President) and others.
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Shri Ramkumar Sharma (senior advocate and patron AIMA) was honored by presenting a memento by Shri DK Thakur (ADG Meerut Zone), Shri Amit Agarwal (Meerut Cantonment MLA) and Shri Mahesh Sharma (AIMA President) and others.
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Shri Rajesh Sharma (senior journalist, Editor- Save India Foundation) was honored by presenting a memento by Shri DK Thakur (ADG Meerut Zone), Shri Amit Agarwal (Meerut Cantonment MLA) and Shri Mahesh Sharma (AIMA President) and others.
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Shri Arun Jindal (Vibhag Sampark Pramukh RSS) was honored by presenting a memento by Shri DK Thakur (ADG Meerut Zone), Shri Amit Agarwal (Meerut Cantonment MLA) and Shri Mahesh Sharma (AIMA President) and others.
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Shri Surendra Sharma (Retd. Suchna Adhikari) was honored by presenting a memento by Shri DK Thakur (ADG Meerut Zone), Shri Amit Agarwal (Meerut Cantonment MLA) and Shri Mahesh Sharma (AIMA President) and others.
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Shri Gyan Dixit (Sr. photo journalist and Dada Saheb Falke Film Awardy ) was honored by presenting a memento by Shri DK Thakur (ADG Meerut Zone), Shri Amit Agarwal (Meerut Cantonment MLA) and Shri Mahesh Sharma (AIMA President) and others.
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मशहूर कलाकार डॉ हृदय अनंत किरनभारती के कार्यक्रम की जयंती पर्व मे भारी डिमांड मशहूर कलाकार डॉ हृदय अनंत किरनभारती के कार्यक्रम की जयंती पर्व मे भारी डिमांड
परमपूज्य बाबा गुरुघासीदास जयंती के अवसर पर जयंती का उत्साह पूरे प्रदेश में चरम पर है, सतनाम समाज के साथ सर्व समाज भी पूरी सक्रियता से साथ दे रहे है , शासन प्रशासन, जनप्रतिनिधि समाजसेवी भी जयंती के शेड्यूल में व्यस्त है ,इस समय पूरे प्रदेशभर में सतनाम भजन सांस्कृतिक कार्यक्रम पंथी नृत्य कलाकार बहुत व्यस्त है,, छग शासन से राज्य अलंकरण सम्मानित लोकिप्रय गायक डॉ हृदय प्रकाश अनंत, किरन भारती के शानदार गीत भजन, व आकर्षक कार्यक्रम की प्रदेश के हर कोने में प्रतिवर्त की भांति इस वर्ष भी भारी मांग है ,, कड़ाके की ठंड के बावजूद भी दर्शक की खचाखच भीड़ पूरी रात रात भर सुबह 7 बजे तक बैठकर कार्यक्रम में उपस्थित रहती है , डॉ हृदय अनंत की प्रदेश में मज़बूत, स्वच्छ सामाजिक छवि का लाभ उन्हें काफी मिल रहा है , समाज के अन्य कलाकारों का दिसंबर के साथ जनवरी के भी शेड्यूल लग रहे है ,, जय सतनाम



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संविधान बनाम मनुस्मृति: टिकटलेस यात्री जेल जाए, करोड़ों के घोटालेबाज़ जमानत पर ज्ञान दें! संविधान बनाम मनुस्मृति: टिकटलेस यात्री जेल जाए, करोड़ों के घोटालेबाज़ जमानत पर ज्ञान दें!
✍️ डॉ. महेश प्रसाद मिश्रा, भोपाल की कलम से

भारत की संवैधानिक व्यवस्था पर आज एक बड़ा और असहज प्रश्न खड़ा हो गया है।क्या यही न्याय है कि रेल में बिना टिकट पकड़ा गया सामान्य नागरिक तुरंत दंडित हो,लेकिन हजारों–करोड़ों के घोटाले करने वाले नेता वर्षों तक जमानत पर ऐश करें,चुनाव लड़ें, जीतें और सत्ता के शिखर तक पहुँच जाएँ?

देश ने यह दृश्य कई बार देखा है —जहाँ छोटी रिश्वत लेने पर कर्मचारी की नौकरी चली जाती है,
किसी छात्र का भविष्य हमेशा के लिए बर्बाद हो जाता है,लेकिन भ्रष्टाचार के बड़े आरोपी जेल से बाहर बैठकर नैतिकता पर भाषण देते हैं।

यह भी एक कटु सत्य है कि आज भारत में कोई व्यक्ति जेल में रहते हुए भी चुनाव लड़ सकता है, और यदि बाहुबल व जातीय गणित से जीत गया,तो मंत्री पद तक संभाल सकता है। यही वह विरोधाभास है, जो आम नागरिक को यह सोचने पर मजबूर करता है —“क्या यही न्याय है?”

मनुस्मृति को कोसने वालों के लिए ग्रंथीय तथ्य:

आज कुछ समूह मनुस्मृति को गाली देने को फैशन बना चुके हैं,लेकिन वे यह नहीं बताते कि दुराचार, बलात्कार, चोरी और छल परउस ग्रंथ में कितना कठोर दंड वर्णित है।
नाबालिग का जादू: अपराध बालक का, क्रूरता राक्षस की! हमारे भारतीय संविधान के हिसाब से:-
वाह रे व्यवस्था! जो हाथ निर्दयता से बलात्कार कर सकते हैं,जो दिमाग ठंडेपन से हत्या की योजना बना सकता है,वह अचानक जन्मतिथि के काग़ज़ में नाबालिग हो जाता है!

कानून कहता है—“दया करो, बच्चा है।”समाज पूछता है—“तो फिर यह क्रूरता किस उम्र की होती है?”
और कमाल देखिए— कभी-कभी वही अपराध राजनीतिक रंग में डुबो दिया जाता है, जातीय चश्मा पहनाकर देखा जाता है, और अपराधी पीड़िता नहीं, पोस्टर का विषय बन जाता है।

कहीं महिमामंडन, कहीं प्रोत्साहन राशि, और कहीं तालियों की खामोश गूंज। यह कैसा न्याय है जहाँ निर्दोष की उम्र नहीं, पर अपराधी की उम्र सबसे बड़ा तर्क बन जाती है? जहाँ पीड़िता की ज़िंदगी एक खबर बनकर रह जाती है, और अपराधी का भविष्य योजनाओं में सुरक्षित कर लिया जाता है? अगर कानून की किताब में जन्मतिथि अपराध से बड़ी हो जाए, तो फिर न्याय तराज़ू नहीं, कैलेंडर से तौला जाएगा।
व्यंग्य नहीं, सवाल है— क्रूरता की कोई उम्र नहीं होती, तो दंड की उम्र क्यों?

मनुस्मृति को कोसने वालों के लिए ग्रंथीय तथ्य:

📖 मनुस्मृति – अष्टम अध्याय (न्याय-दंड)
1) बलात्कार / बलपूर्वक संबंध
मनुस्मृति 8.359 (प्रचलित पाठ)
बलात्संगं तु यो कुर्यात् स्त्रीषु ब्रह्मस्वपि द्विजः ।
स सर्वस्वहरो दण्ड्यः शारीरश्चापि निग्रहः ॥

जो स्त्री से बलपूर्वक संबंध बनाए—चाहे वह ब्राह्मण ही क्यों न हो—उसकी संपत्ति जब्त हो और कठोर शारीरिक दंड दिया जाए।
मनुस्मृति 8.360
परदाराभिगमने सर्वस्वं दण्ड एव च ।
स्त्रीग्रहणबलात्कारात् प्राणान्तोऽपि विधीयते ॥
परस्त्री के साथ जबरन संबंध परसंपूर्ण धनहरण और अत्यंत गंभीर मामलों में प्राणदंड तक।
2) विवाहित/संरक्षित स्त्री के साथ अपराध
मनुस्मृति 8.364
रक्षितां तु स्त्रियम् हृत्वा बलाद् वा योऽभिगच्छति । स सर्वस्वहरो दण्ड्यः प्राणैश्चापि वियुज्यते ॥
भावार्थ:
संरक्षित (विवाहित/आश्रित) स्त्री के साथ बल या अपहरण द्वारा अपराध— संपूर्ण संपत्ति जब्ती और मृत्युदंड।

3) छल/प्रलोभन से दुराचार
मनुस्मृति 8.362
छलेन वा प्रसादेन गुप्तं वा यः समाचरेत् ।
स दण्ड्यः सर्वथा ज्ञेयः शतशो दण्डमर्हति ॥

छल, प्रलोभन या गुप्त तरीके से दुराचार—कठोर दंड का पात्र।

4) चोरी
मनुस्मृति 8.332–334 (सार)
चोरी पर धनहरण,अपराध की पुनरावृत्ति पर कठोर शारीरिक दंड—और दंड में पद/जाति बाधा नहीं।

आज का असहज सवाल
जब प्राचीन ग्रंथों में भी संदेश स्पष्ट था—
👉 अपराध पर दंड त्वरित और कठोर,
👉 अपराधी की पहचान अप्रासंगिक,

तो आधुनिक व्यवस्था में बड़े अपराधियों के लिए नरमी और छोटे आदमी के लिए सख़्ती क्यों? यह बहस ग्रंथ बनाम संविधान की नहीं, दोहरे मापदंड बनाम समान न्याय की है।

यदि कानून का डर सिर्फ आम आदमी के लिए रहेगा, तो लोकतंत्र काग़ज़ पर न्याय और
मैदान में अन्याय बनकर रह जाएगा।

निष्कर्ष यह निकलता है की देश को हिंसा नहीं, समान कानून चाहिए; भीड़ नहीं, निष्पक्ष न्याय चाहिए; और सबसे बढ़कर— अपराध छोटा हो या बड़ा, दंड एक-सा चाहिए।

इसलिए समाज में अम्बेडकरवाद के रूप में फ़ैल रहा एक तरह के आतंकवाद पर सरकारों को लगाम लगन होगा, क्यूंकि ये तथाकथित अम्बेडकरवादी आज समाज में जहर घोल रहे हैं, किसी भी पौराणिक ग्रन्थ को जलाना सर्वथा दंडनीय है, अगर यही काम दूसरे समाज करने लगे और अम्बेडकर द्वारा लिखी किताबें जलने लग जाएँ तो देश में सिर्फ और सिर्फ अराजकता फैलेगी इसके आलावा कुछ नहीं , अब वक्त है सरकारों को चेताने का और ऐसे समाज के गद्दारों को सबक सीखाने का I
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" রাজ ধর্ম " " রাজ ধর্ম "
,"রাজধর্ম"

(আবৃত্তিযোগ্য রাজনৈতিক গদ্য)

কলমে: আসফাক আলি খান ( লালটু)

রাজা নেই—
কিন্তু রাজধর্ম আছে।

আজ সে রাজধর্ম
মুকুটে বসে নেই,
সে বসে আছে
ক্ষমতার চেয়ারে।

আজ রাজধর্মের নামে
আর রাজ্য শাসন হয় না—
মানুষ শাসিত হয়।

(থাম)

প্রশ্ন একটাই—
রাষ্ট্র কি মানুষের,
না আবেগের?

এক সময় ধর্ম ছিল
বিশ্বাস।
আজ ধর্ম পরিচয়।
আর পরিচয়
যখন ক্ষমতা পায়—
রক্ত ঝরে।

রাষ্ট্র তখন বলে—
“এটা আবেগ।”

কিন্তু আবেগের কোনো আইন নেই।
আবেগের কোনো সীমা নেই।
আর আবেগের শাসনে
সবচেয়ে আগে মরে—
মানুষ।

---

রাজধর্ম মানে
নিজের ধর্ম রক্ষা নয়।
রাজধর্ম মানে
অন্যের ধর্ম দমন নয়।

রাজধর্ম মানে—
যে ভয় পায়,
তার পাশে দাঁড়ানো।

যে দুর্বল,
তার আগে পৌঁছানো।

(জোর)

অপরাধীর
কোনো ধর্ম নেই।

পাথর যার হাতে—
সে অপরাধী।
আগুন যার ভাষা—
সে অপরাধী।
উসকানি যার শক্তি—
সে অপরাধী।

রাষ্ট্র যদি অপরাধীর
ধর্ম খোঁজে—
ন্যায় হারায়।

---

আজ শাসককে বলা হয়—
“নিজের লোককে বাঁচাও।”

কিন্তু রাজধর্ম বলে—
“নিরপরাধকে বাঁচাও।”

এই দুই বাক্যের মাঝে
রাষ্ট্র দাঁড়িয়ে থাকে।

একটা পথ
ভোট দেয়।
আরেকটা পথ
ইতিহাস লেখে।

---

রাজধর্ম মানে জনপ্রিয় হওয়া নয়।
রাজধর্ম মানে সাহস।

সংখ্যার বিরুদ্ধে দাঁড়ানোর সাহস।
স্লোগানের সামনে নীরব না থাকার সাহস।
নিজের লোককেও
শাস্তি দেওয়ার সাহস।

কারণ
ন্যায় যদি নিজের লোক চিনে ফেলে—
রাষ্ট্র অন্ধ হয়ে যায়।

---

(ধীরে)

রাষ্ট্রের এক দিনের পক্ষপাত
সমাজকে
বছরের পর বছর ভোগায়।

মানুষ তখন শেখে—
“আইন নয়, শক্তি দরকার।”

আর শক্তি
কখনো শান্তি আনে না।

---

(দৃঢ়)

আজ প্রশ্নটা ধর্মের নয়।
আজ প্রশ্নটা রাষ্ট্রের চরিত্রের।

রাষ্ট্র কি
সবচেয়ে দুর্বল মানুষের পাশে দাঁড়াবে?

না কি
সবচেয়ে জোরে চেঁচানো কণ্ঠের?

আইন কি
সবার জন্য সমান থাকবে?

না কি
পরিচয় দেখে বাঁক নেবে?

---

(শেষে থাম)

রাজা নেই—
কিন্তু রাজধর্ম আছে।

আর রাজধর্ম আজও একটাই—

মানুষকে রক্ষা করা।

বাকি সব
ক্ষমতা।
বাকি সব
অজুহাত।

ইতিহাস
সেগুলো
মনে রাখে না।

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दुग्ध उत्पादन से समृद्धि की ओर दुग्ध उत्पादन से समृद्धि की ओर
दुग्ध उत्पादन से समृद्धि की ओर...

गौ-पालन एवं दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देकर किसानों की आय में वृद्धि के लिए निरंतर कार्य कर रही है मध्यप्रदेश सरकार।

Dr Mohan Yadav Department of Animal Husbandry, Madhya Pradesh
#डॉ_मोहन_यादव_का_विकसित_MP #AbhyudayaMP
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