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वादा निभाने की मिसाल बने सीएम श्री योगी आदित्यनाथ जी, सांसद रहते किया संकल्प मुख्यमंत्री बनने के बाद भी निभाया
वादा निभाने की मिसाल बने सीएम श्री योगी आदित्यनाथ जी, सांसद रहते किया संकल्प मुख्यमंत्री बनने के बाद भी निभाया
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज भले ही देश के सबसे बड़े राज्य की ज़िम्मेदारी संभाल रहे हों, लेकिन उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी पहचान सत्ता नहीं, बल्कि संवेदनशीलता और वचनबद्धता है। हाल ही में सामने आई एक मानवीय घटना ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि योगी आदित्यनाथ पद से नहीं, बल्कि अपने संस्कारों और प्रतिज्ञाओं से पहचाने जाते हैं। यह प्रसंग उस समय का है जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री नहीं थे, बल्कि सांसद के रूप में जनसेवा कर रहे थे। उसी दौरान एक परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। महज़ दस वर्ष की एक बच्ची के सिर से पिता का साया उठ गया। घर में शोक, असुरक्षा और भविष्य की चिंता थी। उस कठिन समय में योगी आदित्यनाथ उस परिवार से मिले। बच्ची की आँखों में छुपे दर्द को देखकर उन्होंने बिना किसी औपचारिकता के सिर्फ़ इतना कहा— “आज से मैं तुम्हारा अभिभावक हूँ। और जब तुम्हारी शादी होगी, तो मैं ज़रूर आशीर्वाद देने आऊँगा।” समय बीतता गया। योगी आदित्यनाथ सांसद से मुख्यमंत्री बने। प्रशासनिक जिम्मेदारियों और सुरक्षा घेरे के बीच वर्षों गुजर गए। बच्ची बड़ी हुई और जब उसकी शादी तय हुई, तो परिवार यह सोचकर निमंत्रण भेजने का साहस नहीं कर सका कि अब वे प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, क्या उन्हें वह वादा याद होगा? लेकिन विवाह के दिन जो हुआ, उसने सभी को भावुक कर दिया। विवाह मंडप सजा हुआ था, रस्में चल रही थीं, तभी अचानक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं वहाँ उपस्थित हो गए। न कोई दिखावा, न कोई राजनीतिक औपचारिकता—बस एक अभिभावक की तरह। मुस्कुराते हुए उन्होंने कहा— “तुम लोग बुलाओगे नहीं, तो मैं आऊँगा नहीं क्या?” यह सुनते ही पूरा परिवार भावुक हो उठा। दुल्हन बनने जा रही वही बच्ची, जिसने वर्षों पहले अपने पिता को खोया था, फूट-फूट कर रो पड़ी। उसने कहा— “हमें यकीन नहीं था कि मुख्यमंत्री बनने के बाद भी आपको अपना वादा याद होगा।” ये आँसू दुख के नहीं, बल्कि भरोसे और सम्मान के थे। उस दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न कोई भाषण दिया, न कोई राजनीतिक संदेश—उन्होंने सिर्फ़ अपना वर्षों पुराना वादा निभाया। यह घटना न केवल एक व्यक्ति की संवेदनशीलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि सच्चा नेतृत्व वही होता है जो पद बदलने के बाद भी अपने मूल्यों से नहीं बदलता। योगी आदित्यनाथ आज एक बार फिर इस बात के लिए चर्चा में हैं कि वे सत्ता के शिखर पर पहुँचने के बाद भी अपने शब्दों और संकल्पों के प्रति उतने ही दृढ़ हैं।
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