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"भीख" है आमदन का बड़ा स्रोत।
क्या रोक पाएगी "जीवनजोत?"
"भीख" है आमदन का बड़ा स्रोत।
क्या रोक पाएगी "जीवनजोत?"
होशियारपुर: 21 जुलाई,2025 (बूटा ठाकुर गढ़शंकर) यह बिल्कुल हकीकत है कि हमारे देश में भीख मांगने का प्रचलन दूसरे देशों के मुकाबले बहुत ही ज्यादा है। यदि अकेले भारत की बात करें तो सबसे ज्यादा रुझान हमारे पंजाब में ही मिलता है क्योंकि हमारा पंजाब गुरुओं पीरों की धरती है, जितनी मर्ज़ी चोटें खाई हों पर आज भी हमारे लोग धर्म कर्म वा दान पुन करने में समर्थ हैं और दया करुणा कूट कूट कर भरी हुई है। जोकि हमारे पंजाब को बाकी सूबों से अलग पहचान देती है। पर फिर भी भीख मांगने वाले विषय पर चर्चा की जरूरत महसूस हो रही है। मैंने अपने इलाके की भीख मांगने वाली प्रवासी बस्तियों के बहुत सारे मर्द औरतों से इस संबंधी जानने की कोशिश की तो जाना कि वे लोग इसे अपना धंधा मानते हैं। मंदिर गुरुद्वारों में लंगर मिल जाता है और भीख से पैसे जुटाते हैं। लगा दाव तो चोरी इतियाद जैसी घटनाओं को भी अंजाम देते हैं। आपने महसूस किया होगा कि दया भावना से जब कोई दानी सज्जन इनको जूता चप्पल, कंबल या अन्य वस्तु इन्हें आज देता है तो यह लोग कल फिर नंगे दिखाई देंगे।इनका टीचा होता है कि साल में डेढ़ से ढाई लाख रुपए कमाना और वापिस अपने मूल निवास में जाकर सुविधा जनक जीवन बिताना। बहुत से लोग अच्छे अच्छे घर वा जायदादें अर्जित कर चुके हैं। जिनसे प्रभावित होकर दूसरे लोग भी देखा देखी पंजाब देश में चले आ रहे हैं, उधर भी इनकी बस्तियों में जो लोग आने जाने में असमर्थ होते हैं वे लोग अपने छोटे छोटे बच्चे ही इनके साथ भेज देते हैं। इस तरह भीख मांगने वालों की तदाद दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही है। भले ही पंजाब सरकार ने इनकी जड़ तक जाने के लिए मिशन "जीवनजोत" चलाया हो जिसके तहत इनकी सही पहचान वा बच्चों का डीएनए भी शामिल है पर साथ साथ भीख देने को मजबूर करते नचारों वा नकली हिजड़ों पर भी ध्यान देने वा नकेल कसने की ख़ास ज़रूरत है। यह लोग भी बस अड्डों पर, टोल प्लाजों पर, धार्मिक स्थलों पर वा अन्य सार्वजनिक स्थानों पर लोगों की परेशानी का सबब बनते हैं। असली हिजड़ों की पहचान भी अन्वार्य है, उनका पहचान पत्र गले में होना चाहिए। उनको सार्वजनिक स्थानों से वर्जित करना चाहिए। बाकी देखना होगा पंजाब सरकार का प्रोजेक्ट "जीवनजोत" कितना सफ़ल हो पाता है। यहां पर हम सबको भी भीख देने से पहले विचार करना होगा कि कहीं जाने अनजाने में इस बुराई के भागीदार तो नहीं बन रहे?
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