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ऑल इंडिया मुस्लिम इंटेलेक्चुअल सोसाइटी ने 'पैयाम-ए-इंसानियत' संवाद का किया आयोजन लखनऊ

लखनऊ: एकता और साझा उद्देश्य के प्रभावशाली प्रदर्शन में, ऑल इंडिया मुस्लिम इंटेलेक्चुअल सोसाइटी ने शनिवार को गवर्नर हाउस के सामने संगम बैंक्वेट में "पैयाम-ए-इंसानियत और हमारी जिम्मेदारी" विषय पर एक संवाद का आयोजन किया। यह कार्यक्रम धार्मिक और व्यावसायिक क्षेत्रों के विचारशील नेताओं के एक महत्वपूर्ण मिलन के रूप में उभरा, जहाँ सभी ने शांति और सामुदायिक सौहार्द बढ़ाने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम स्थल पर 50 से अधिक प्रसिद्ध वक्ता मौजूद थे, जिनमें प्रमुख धार्मिक नेता, वरिष्ठ न्यायविद, उच्च सरकारी अधिकारी, प्रतिष्ठित डॉक्टर, शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे। सभी ने एक स्वर में आज के सामाजिक-राजनीतिक माहौल में "संवाद के निर्माता" और "बहुलवाद के रक्षक" बनने का संकल्प लिया।

उत्तर प्रदेश के बौद्धिक और आध्यात्मिक हलकों की प्रमुख हस्तियों ने इसमें भाग लिया। वक्ताओं में शामिल थे:

· मौलाना सैयद बिलाल अब्दुल हयी हसनी नदवी, अध्यक्ष, ऑल इंडिया पैयाम-ए-इंसानियत फोरम
· हज़रत मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, अध्यक्ष, इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया
· मौलाना सैफ अब्बास नकवी, अध्यक्ष, शिया मर्कज़ी चाँद कमेटी
· न्यायमूर्ति बी.डी. नकवी, पूर्व जिला न्यायाधीश, और न्यायमूर्ति विकार अहमद अंसारी, अध्यक्ष स्थायी लोक अदालत, प्रयागराज
· श्री स्वतंत्र प्रकाश गुप्ता, सूचना आयुक्त, उत्तर प्रदेश सरकार
· रेवरेंड फादर डोनाल्ड डिसूजा, चांसलर, कैथोलिक डायोसिस ऑफ लखनऊ
· पंडित श्री गुरु देव आचार्य जी, हिंदू धार्मिक नेता
· प्रो. एम.एल. भट्ट, निदेशक, कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी कैंसर संस्थान, और चिकित्सा, कानून, सिविल सेवाओं व सामाजिक कार्यों के क्षेत्र की कई अन्य प्रतिष्ठित हस्तियाँ।

चर्चा का केंद्र इंसानियत के इस शाश्वत संदेश को ठोस जिम्मेदारी में बदलना था। वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि 'पैयाम-ए-इंसानियत' कोई सैद्धांतिक विचार नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता की मूल भावना है, जो वेदों, बुद्ध और महावीर की शिक्षाओं, ईसा मसीह की करुणा, गुरु ग्रंथ साहिब की बानी और कुरान के "सभी जगतों के लिए रहमत बनने" के आदेश में गूंजती है।

एक साझा संकल्प में हर नागरिक की तीन-सूत्री जिम्मेदारी तय की गई:

1. संवाद के साहसी निर्माता बनना: सोशल मीडिया से फैलते मतभेदों के दौर में, बुद्धिजीवियों ने वास्तविक बातचीत के लिए जगह बनाने, समझने के लिए सुनने और अलग राय में भी साझी मानवता ढूंढने का संकल्प लिया।
2. बहुलवाद के रक्षक बनना: इस जमावड़े ने इस बात की पुष्टि की कि भारत की असली ताकत "अनेकता में एकता" है और इस विविधता को रूढ़िवादिता, शक और नफरत की जहरीली सोच से बचाने का संकल्प लिया।
3. हमारी कहानियों को वापस लेना: सामुदायिक सौहार्द की अनकही कहानियों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया, ताकि ये आवाज़ें मतभेद फैलाने वाली आवाजों से ऊपर उठ सकें।

इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हज़रत मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने मुख्य भाषण दिया। उन्होंने कहा, "इस्लाम की मूल शिक्षा 'रहमतुल्लिल आलमीन' है - यानी सभी सृष्टि के लिए रहमत बनना। पैगाम-ए-इंसानियत जैसे प्रयास हर शांतिप्रिय भारतीय के लिए एक धार्मिक जिम्मेदारी है।"

फादर डोनाल्ड डिसूजा ने कहा, "जब हम हर धर्म के मूल को देखते हैं, तो हमें अपने पड़ोसी के प्रति प्यार और सभी के लिए करुणा की एक ही सुनहरी डोर मिलती है।"

पंडित श्री गुरु देव आचार्य जी ने कहा, "गीता हमें हर प्राणी में एक ही आत्मा देखना सिखाती है। जब देश के हित के लिए एक मौलाना और एक पंडित साथ बैठते हैं, तो यह पूजा का सबसे ऊँचा रूप है।"

श्री स्वतंत्र प्रकाश गुप्ता ने कहा, "जन सेवक और बुद्धिजीवी होने के नाते, हमारी जिम्मेदारी है कि सद्भाव की सही कहानी जनता तक पहुँचे।"

केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. डॉ. आर.के. गर्ग ने कहा, "जिस तरह शरीर के अंग आपस में लड़ने लगें तो शरीर खराब हो जाता है, उसी तरह अगर समुदाय आपस में टकराएँ तो राष्ट्र भी विफल हो जाता है।"

प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती तहिरा हसन ने डॉ. अम्मार अनिस नगरमी और ऑल इंडिया मुस्लिम इंटेलेक्चुअल सोसाइटी की पहल की सराहना की।

ऑल इंडिया मुस्लिम इंटेलेक्चुअल सोसाइटी के संयोजक श्री अहमद नगरमी ने सभी से आग्रह किया कि वे "भारत के शाश्वत संदेश - इंसानियत के मरहम लगाने वाले, सेतु निर्माता और रखवाले" बनने का संकल्प लें। उन्होंने कहा, "अगर हम सभी अपने-अपने धर्मों को सही तरह से मानें, तो दुनिया में कहीं भी नफरत नहीं होगी। सभी धर्म शांति और समृद्धि की शिक्षा देते हैं।"

कार्यक्रम का समापन हज़रत मौलाना सैयद बिलाल अब्दुल हयी हसनी नदवी के शक्तिशाली भाषण से हुआ। उन्होंने कहा, "यह देश तभी तरक्की करता रहेगा, जब तक पैगाम-ए-इंसानियत का संदेश फैला रहेगा और हम सभी मिल-जुलकर रहेंगे।"

वी हेल्प फाउंडेशन के सचिव व स्वागत समिति के अध्यक्ष श्री नवेद अहमद ने सभी का आभार व्यक्त किया और मेहमानों को रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया।

Syed Afzal Ali Shah maududi.
Lucknow.
FB.

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Pingla Barta সঞ্চার সাথী এই অ্যাপের মাধ্যমে ৪২ লক্ষ্যের ও বেশি কেন্দ্র সরকারের এই মোবাইল অ্যাপ্লিকেশন ব্যবহার করে বড় উপকৃত পেয়েছেন বহু মানুষ, সঞ্চার সাথী এই মোবাইল অ্যাপটি ১৭ ই জানুয়ারি চালু হবার পর থেকে ১.৪ কোটির বেশি মানুষ এই এপ্লিকেশন টা মোবাইলে ডাউনলোড করেছেন, সরকারি তথ্য এটিচুডে হয়ে যাওয়া মোবাইল বা হারিয়ে যাওয়া কোন মোবাইল ডিভাইসের কে সফলভাবে ব্লক করতে সাহায্য করে, সঞ্চার সাথী একটি সাইবার অপরাধে এই অ্যাপের বিরাট সাফল্য অর্জন করেছে বর্তমান, এই অ্যাপটি মোবাইলে ডাউনলোড করে রাখা ভালো, নিরাপত্তা নিজেকে সুরক্ষিত রাখার জন্য এই অ্যাপটি মোবাইলে ডাউনলোড করে রাখা অতি প্রযোজ্য

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ದೇಶಕ್ಕೆ ಸ್ವಾತಂತ್ರ್ಯ ಬಂದು 79 ವರ್ಷ, ಸಂವಿಧಾನ ಜಾರಿಗೆ ಬಂದು 75 ವರ್ಷಗಳಾದರೂ ಇನ್ನೂ ಗುಲಾಮಗಿರಿ ವ್ಯವಸ್ಥೆ ಬದಲಾಗಿಲ್ಲ. ಪ್ರಬಲ‌ ಸಮುದಾಯದ ವ್ಯಕ್ತಿ ಎದುರಾದಾಗ ಸ್ವಾಮಿ ಎನ್ನುವ, ದಲಿತ ಸಮುದಾಯದ ವ್ಯಕ್ತಿ ಎಷ್ಟೇ ಶ್ರೀಮಂತರಾದರೂ ಅವರನ್ನು ಏಕ ವಚನದಲ್ಲಿ ಮಾತನಾಡಿಸುವ ವ್ಯವಸ್ಥೆ ಈಗಲೂ ಇದೆ. ಇದೇ ಗುಲಾಮಗಿರಿಯ ಸಂಕೇತ.‌ ಇದನ್ನು ಕಿತ್ತೆಸೆಯದೇ ಸ್ವಾಭಿಮಾನ ಮೂಡಿಸಲು ಸಾಧ್ಯವಿಲ್ಲ.‌ ಇದನ್ನೇ ನಾರಾಯಣಗುರುಗಳು ಸಾರಿ ಸಾರಿ ಹೇಳಿದ್ದಾರೆ’ ಎಂದರು.
‘ಜಾತಿಯಿಂದ ಯಾರೂ ದೊಡ್ಡವರಾಗುವುದಿಲ್ಲ. ಯಾರೂ ಕೀಳೂ ಆಗುವುದಿಲ್ಲ. ಆದರೆ ವ್ಯಕ್ತಿತ್ವವನ್ನೂ ಜಾತಿ ನೋಡಿಯೇ ಅಳೆಯಲಾಗುತ್ತಿದೆ. ಸಮಾಜದಲ್ಲಿ ಜಾತಿ ಹೆಸರಿನಲ್ಲಿ ನಡೆಯುವ ತಾರತಮ್ಯಗಳು ದೂರವಾಗಬೇಕು. ಜಡತ್ವದ ಜಾತಿ ವ್ಯವಸ್ಥೆ ಬದಲಾಗಬೇಕು. ಅದಕ್ಕಾಗಿ ಮನುಷ್ಯತ್ವದಿಂದ ಕೂಡಿದ ಸಮಾಜ ಕಟ್ಟಬೇಕು’ ಎಂದರು.
‘1925ರಲ್ಲಿ ನಡೆದ ಮಹಾತ್ಮ ಗಾಂಧಿ ನಾರಾಯಣಗುರುಗಳ ನಡುವಿನ ಸಂವಾದ ಹಾಗೂ 1931ರಲ್ಲಿ ಗಾಂಧಿ ಮತ್ತು ಬಿ.ಆರ್.ಅಂಬೇಡ್ಕರ್ ನಡುವೆ ನಡೆದ ಸಂವಾದಗಳಿಗೆ ಐತಿಹಾಸಿಕ ಮಹತ್ವವಿದೆ. ಅವರು ಪ್ರತಿಪಾದಿಸಿದ ಮೌಲ್ಯಗಳ ಹಿಂದಿನ ಆಶಯ ಅರ್ಥ ಮಾಡಿಕೊಳ್ಳಬೇಕು. ಜಾತಿ ಧರ್ಮಗಳನ್ನು, ಮೀರಿ ಮನುಷ್ಯರಾಗಿ ಬಾಳಬೇಕು. ಸಂವಿಧಾನದಲ್ಲಿ ಅಳವಡಿಸಿಕೊಂಡ ಸಹಬಾಳ್ವೆ, ಧರ್ಮ‌ ಸಹಿಷ್ಣುತೆ ಭಾವನೆ ಬೆಳೆಸಿಕೊಂಡರೆ, ಸಾಮಾಜಿಕ‌ ಅಸಮಾನತೆ ನಿವಾರಣೆ ಆಗಲಿದೆ ಎಂದರು.
‘ಶಸ್ತ್ರಚಿಕಿತ್ಸೆಗೆ ಕುರುಬರದ್ದೇ ರಕ್ತ ಬೇಕು ಎಂದು ನಾನು ಕೇಳುವುದಿಲ್ಲ. ದಲಿತರ, ಕ್ರೈಸ್ತರ, ಮುಸ್ಲೀಮರ ರಕ್ತವಾದರೂ ಆಗುತ್ತದೆ. ಆದರೆ, ವಾಸಿ ಆದ ಬಳಿಕ‌ ನೀವು ಯಾವ ಜಾತಿ, ಯಾವ ಧರ್ಮ‌ಎಂದು ಕೇಳುತ್ತೇವೆ. ಅಷ್ಟರಮಟ್ಟಿಗೆ ನಾವು ಸ್ವಾರ್ಥಿಗಳು. ಇದನ್ನು ಬಿಡಬೇಕು.ಜಾತಿ ಹೆಸರಿನಲ್ಲಿ‌ ಜನರನ್ನು ಒಡೆಯುವ ಕೆಲಸ ಆಗಬಾರದು. ಎಲ್ಲರೂ ಮಾನವರಾಗಿ ಬದುಕಬೇಕು’ ಎಂದು ಅವರು ನುಡಿದರು.

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भोपाल।✍️ डॉ. महेश प्रसाद मिश्रा, भोपाल की कलम से:

पिछले कई वर्षों से संसद में एक ही नारा गूंज रहा है—“जातिगत जनगणना करो!”
और यह नारा सबसे ज्यादा किसके गले से निकलता है?युवराज… या कहें,तथाकथित ‘60 साल के युवा नेता’ राहुल गांधी के।

चिल्ला-चिल्लाकर वे देश को यह यकीन दिलाने में लगे हैं किभारत की सबसे बड़ी समस्या गरीबी, भूख, बेरोज़गारी नहीं…बल्कि जाती का विभाजन है। उधर सरकार भी नंबर गेम में पीछे न रहने के चक्कर मेंफटाफट घोषणा कर देती है—“हाँ, जातिगत जनगणना होगी!”जैसे किसी बच्चे ने कहा हो: “मैं भी खेलूंगा!”

पर असली सवाल—किसी ने यह क्यों नहीं पूछा कि हिंदुस्तान में जाति से ज्यादा ज़रूरी भूख की गिनती है? वैश्विक भूख सूचकांक 2025 मेंभारत 123 में से 102वें स्थान पर है।स्कोर—25.8 (गंभीर श्रेणी)। यह वही भारत है जहाँ “विश्वगुरु” का नारा लगाया जाता है,और वहीं 81 करोड़ लोग सरकारी दावे के अनुसार मुफ़्त राशन पर निर्भर हैं।पर असली कॉमेडी तो यह है—लाख–डेढ़ लाख की बाइक, 50–1 लाख के मोबाइल,और पॉकेट में महंगे गैजेट…और फिर भी लाइन में लगे हुए—“मुफ़्त राशन चाहिए!” क्यों? क्योंकि सरकारी कागज़ कहता है कि वे गरीब हैं। और वहीं जो सच में भूखा है, वह सूची से बाहर।क्योंकि दस्तावेज़ बताते हैं—“तुम तो सवर्ण हो, अमीर हो।” वाह! भारत की गरीबी भी अब जाति देखकर तय होती है।भूख भी “आरक्षण” मांगती है।और राशन भी “वंशवादी सेकुलरिज़्म” के आधार पर मिलता है।

सरकारें पूछती नहीं… मान लेती हैं: जो 81 करोड़ को राशन दे रही हैवह कभी यह नहीं पूछती—“राशन मिल किसे रहा है?”पर एक काम ज़रूर करती है—जाति पूछकर पात्रता तय करना। भूख नहीं देखनी,आय नहीं देखनी,भूमि नहीं देखनी…बस जाती लिख दो — सुविधा मिल जाएगी। और फिर वही लोग सोशल मीडिया पर लिखते हैं—“हम भारत को सुपरपावर बनाएंगे।”

**“देश भूख से 102वें स्थान पर खड़ा है, लेकिन नेताओं को जाति गिनने की इतनी जल्दी हैमानो भारत की समस्या दलिया नहीं, दलाल हैं!”**

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నంద్యాల (AIMA MEDIA): జిల్లాలో గ్యాస్ డెలివరీ బాయ్స్ గ్యాస్ బిల్లులో ఉన్న డబ్బు కంటే ఒక పైసా కూడా ఎక్కువ తీసుకోరాదని జాయింట్ కలెక్టర్ కొల్లా బత్తుల కార్తీక్ పేర్కొన్నారు.బుధవారం కలెక్టరేట్లోని వీడియో కాన్ఫరెన్స్ హాల్ నందు జిల్లాలోని గ్యాస్ ఏజెన్సీ యజమానులతో జెసి సమావేశం నిర్వహించారు.ఈ సందర్భంగా జాయింట్ కలెక్టర్ కొల్లా బత్తుల కార్తీక్ మాట్లాడుతూ నంద్యాల జిల్లాలో వివిధ గ్యాస్ ఏజెన్సీలకు సంబంధించి గ్యాస్ డెలివరీ బాయిలు సిలిండర్ లు డోర్ డెలివరీ చేసినప్పుడు వినియోగదారుల నుంచి ఎక్కువ డబ్బులు వసూలు చేస్తున్నారని ఫిర్యాదులు రావడం జరిగిందన్నారు. డెలివరీ బాయ్ లు గ్యాస్ బిల్లు కంటే ఒక్క పైసా కూడా ఎక్కువ తీసుకోవడానికి వీలు లేదన్నారు.గ్యాస్ ఏజెన్సీలు ప్రభుత్వ నియమ నిబంధనలు పాటించి వినియోగదారులకు గ్యాస్ సిలిండర్లు సరఫరా చేసేటట్లు చూడాలన్నారు. నిబంధనలు అతిక్రమించినట్లయితే గ్యాస్ ఏజెన్సీని సీజ్ చేసి తొలగించడం జరుగుతుందని జాయింట్ కలెక్టర్ హెచ్చరించారు.ఈ కార్యక్రమంలో జిల్లాలోని గ్యాస్ ఏజెన్సీల యజమానులు, సివిల్ సప్లై అధికారులు, తదితరులు పాల్గొన్నారు.

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चंडीगढ़ बृहस्पतिवार 04 दिसम्बर 25 अल्फा न्यूज़ इंडिया प्रस्तुति ---- कलम और कैमरा समाज का आइना है। आइने की तस्वीरें एजुकेशन मार्डनलाइजेशन का विकृत चेहरा दिखा रहीं हैं। ये तस्वीर सिर्फ एक टेबल नहीं,इंसानों के बदलते संस्कारों, भौंडे आधार हीन विचारों का आइना है। अपनी जेब से पैसा जाए, तो लोग दाना तक नहीं छोड़ते। और जहाँ मुफ्त मिले… वहाँ इंसानियत तक फिसल जाती है। अन्न की कद्र नहीं रही…बस आदतें बिगड़ चुकी हैं.थोड़ी सी शर्म साथ ले आते तो ये टेबल भी इतना अपमानित न होता। और इंसानियत भी इतनी सस्ती न लगती...ये खाने की बर्बादी है या लोगों की परवरिश का सच..जिस किसान ने अपने खून पसीना और मेहनत से अपनी खेती में इसको उगाया है। इस अनाज की फसल पकाने के लिए रात दिन एक किया। खून पसीना एक किया। आज उसी अनाज को किस प्रकार बर्बाद किया जाता है यह अन्नदाता और अन्न का घोर अपमान है। और धन की मस्ती की निशानी है...!* इसे रोकने के लिए हर इन्सान को सोचना पडेगा.* चिंतन करें,,,,विचारों का मंथन करें_एक बाप ने इसी दिन के लिए पाई पाई जोड़ी थी। किसी को एक वक्त की रोटी नसीब नहीं तो किसी को फेंकने के लिए कमी नहीं_*उतना ही लें थाली में,,,,,,,जो व्यर्थ न जाए नाली में*llll

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भोपाल।✍️ डॉ. महेश प्रसाद मिश्रा, भोपाल की कलम से:

भारत में प्रेम अब दिल की नहीं, धर्म की अदालत में तय होता है — और अजीब बात यह कि यह अदालत हमेशा एक ही दिशा में फैसला सुनाती है।उदाहरण अनगिनत हैं, इतिहास भी गवाह है — धर्मपरिवर्तन एकतरफ़ा है, लेकिन सेकुलरवाद दो तरफ़ा! मंसूर अली खान पटौदी–शर्मिला टैगोर का मामला हो या इमरान खान–जेमिमा का…नाम बदलते हैं, धर्म नहीं।कभी ‘आएशा बेगम’, कभी ‘हाइका खान’, कभी कोई और।लेकिन सवाल वही —अगर प्रेम सच्चा है तो धर्मपरिवर्तन किसलिए?और अगर धर्म बदल ही लिया, तो पुराना नाम क्यों?क्योंकि फ़िल्में ‘आएशा बेगम’ नाम से नहीं चलेंगी!

उच्च शिक्षित, आधुनिक, प्रगतिशील… लेकिन नियम वही पुराने सेकुलर विचारक अक्सर कहते हैं—“तलाक, जबरदस्ती, धर्मपरिवर्तन अज्ञानी तबके की समस्या है।”पर फिर इमरान खान, पटौदी, अज़हरुद्दीन, अब्दुल्ला परिवार जैसे “हाई-प्रोफाइल” लोग किस श्रेणी में आएंगे?

इतिहास से लेकर आज तक एक ही ट्रेंड—लड़की हिंदू हो, तो उसे धर्म बदलना पड़ेगा। लड़का हिंदू हो, तो उसे लड़की ही बदल देगी!क्या यह प्रेम है या ‘वन-वे ट्रैफिक’ जैसा ज़ाकिर नाइक खुद कह चुके हैं —अंदर आ सकते हो, वापस नहीं जा सकते’?

अंकित सक्सेना से लेकर असंख्य उदाहरण तक…सवाल बहुत बड़ा है—यदि सब बराबर हैं, तो फिर कितनी मुस्लिम लड़कियों ने प्रेम के लिए हिंदू बनना स्वीकार किया? और कितनी को समाज ने स्वीकार किया? उत्तर —शून्य के आसपास। क्यों? क्योंकि प्रेम की किताब में “बराबरी” का पन्ना हमेशा गायब होता है।

इतिहास का कड़वा सच – जिसने समझा, उसने घर-बार छोड़ा, पर सिर नहीं झुकाया सिरोंज के महेश्वरी समाज की कहानी याद कीजिए—पूरी बिरादरी ने एक रात में अपना शहर छोड़ दिया,
लेकिन सम्मान नहीं छोड़ा।आज 200 साल बाद भी उस इलाके में पानी तक नहीं पीते। क्योंकि पूर्वजों ने कहा था— “धन-धरती छोड़ देंगे, पर अस्मिता नहीं।” आज वही बात कोई कह दे, तो लोग उसे “सांप्रदायिक”, “असहिष्णु”, “दकियानूसी” कहने लगते हैं।

समाज सोया है — और सोने का नाम जागरण रख दिया गया है
आज की पीढ़ी फ़िल्मी प्रेम देख कर बोलती है—“धर्म क्या देखना! दिल देखो!”पर जब शादी का वक्त आता है,दिल गायब और शर्तें सामने:“निकाह होगा — धर्मपरिवर्तन भी।”मगर सेकुलर समाज को इसमें भी कविता दिखती है।जागना तब होता है जब किसी अंकित, किसी सरस्वती, किसी शहबानो की कहानी सामने आती है।लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।

यदि हर धर्म बदलवाने वाला रिश्ता “प्रेम” है,तो फिर प्रेम दोनों दिशाओं में क्यों नहीं चलता? अगर बराबरी है, तो फिर कोई मुस्लिम लड़की क्यों नहीं कहती—“मैं हिंदू बनूँगी क्योंकि मेरा प्रेम सच्चा है”? अगर “सभी धर्म समान” हैं,तो धर्मपरिवर्तन की ज़रूरत किसे और क्यों?

**“यह प्रेम नहीं… एकतरफ़ा नियमों पर टिका समाज है—जहाँ सेकुलरता सिर्फ हिन्दू से उम्मीद की जाती है और बराबरी केवल भाषणों में मिलती है।”**

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एड्स जागरूकता के संबंध में जागरूकता सेमिनार आयोजित:

सिविल सर्जन फिरोजपुर के दिशा-निर्देशों और सीनियर मेडिकल अफसर डॉ. बलकार सिंह के नेतृत्व में ब्लॉक पीएचसी कस्सोआना के अधीन आते स्वास्थ्य केंद्रों में विश्व एड्स जागरूकता दिवस मनाया गया।

इस अवसर पर डॉ. करणबीर सिंह और विक्रमजीत सिंह ब्लॉक एजुकेटर ने बताया कि एड्स एक लाइलाज और भयानक बीमारी है। यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से, दूषित खून के माध्यम से, संक्रमित सुइयों या ब्लेड के इस्तेमाल से और एड्स संक्रमित मां से उसके बच्चे में फैल सकती है। इस बीमारी के दौरान शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है, वजन कम होना, लगातार खांसी, बार-बार जुकाम, बुखार, सिरदर्द, थकान, हैजा, भूख न लगना आदि इस बीमारी के लक्षण हैं। ये लक्षण दिखाई देने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में एड्स की मुफ्त जांच करवानी चाहिए। यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के साथ खाना खाने, बर्तन शेयर करने, हाथ मिलाने और गले लगने, शौचालय का इस्तेमाल करने, मच्छरों और जानवरों द्वारा और खांसने और छींकने से नहीं फैलती।

इस दौरान ब्लॉक एजुकेटर विक्रमजीत सिंह ने बताया कि इस बीमारी से बचने के लिए पीड़ित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध नहीं बनाने चाहिए और अपने साथी के प्रति वफादार रहना चाहिए, उचित जांच के बाद ही रक्तदान करना चाहिए और इस्तेमाल की हुई सुई या ब्लेड का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इस अवसर पर स्वास्थ्य केंद्रों के स्टाफ ने लोगों को एड्स के बारे में जागरूक किया।

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भोपाल।✍️ डॉ. महेश प्रसाद मिश्रा, भोपाल की कलम से:

कभी देशद्रोह करना ‘करियर ग्रोथ’ का शॉर्टकट माना जाता था। कोर्ट में खड़े होकर आरोपी बड़े गर्व से कहता—“हाँ जज साहब, पाकिस्तान ज़िंदाबाद भी मैंने ही बोला, सेना का अपमान भी मैंने ही किया, सरकारी संपत्ति भी मैंने ही फूँकी।” और जज बेचारगी में पूछता—“क्यों भाई?”तो आरोपी मुस्कुराकर जवाब देता—“क्योंकि ऐसा करते ही मैं गुमनाम से महान बन गया… नेता, पत्रकार, एक्टिविस्ट सब मेरे पैरों में गिरने लगे!” लेकिन समय बदल गया है, देश की राजनीति का रंग-ढंग बदल गया है।
अब देशद्रोह बोलने से नेता नहीं बनते,अब अगर रातों-रात नेता बनना है तो फार्मूला बदल चुका है—
**■ नया फार्मूला:“दिन-रात ब्राह्मण, बनिया, राजपूत, कायस्थ, सिंधी को गाली दो और नेता बन जाओ!”**
आज सोशल मीडिया का आधा ट्रैफिक सिर्फ एक ही चीज़ पर टिका है—सवर्णों को गाली देना। क्योंकि ये वर्ग प्रतिकार नहीं कर सकता, बोले तो अपराधी, चुप रहे तो “आसान निशाना” क्योंकि इस देश में आतंकवादी की सुनवाई हो सकती है,पर यदि किसी ने ग़लती से भी किसी विशेष वर्ग पर टिप्पणी कर दी,तो सीधे SC/ST Act में मामला—ना जमानत, ना सुनवाई, ना तर्क—सीधे जिंदगी बर्बाद।
■ सोशल मीडिया का नया “बिजनेस मॉडल”
– सवर्णों को गाली दो
– रातों-रात वायरल
– दो दिन में “भीम सेना का नेता”
– चार दिन में “सोशल जस्टिस आइकॉन”
– और अगले महीने चुनाव का टिकट
सबसे मज़ेदार बात—भले देश जल जाए, सिस्टम सड़ जाए, लोग लड़ जाएँ—पर सरकार कुछ नहीं बोलेगी…क्योंकि वोट बैंक ज़्यादा महत्वपूर्ण है, देश नहीं।
■ देश बारूद के ढेर पर… और सरकार ईयरप्लग लगाकर सोई है: आज हालात ऐसे हैं कि पूरा देश एक बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है।कब कौन-सी चिंगारी इस ढेर को जला देगी, कोई नहीं जानता। समाज का एक बड़ा वर्ग सालों से अपमान सह रहा है,पर सरकार—मौन।बिल्कुल मौन। क्योंकि बोलने से वोट बैंक नाराज़ हो जाएगा।
**■ लोकतंत्र का गिरता स्तर:कन्हैया-उमर मॉडल से “गाली मॉडल” तक**पहले देशद्रोह बोलकर नेता बनते थे,अब सवर्णों को गाली देकर।अगला स्टेप क्या होगा—ये सोचकर भी डर लगता है।
**■ सरकार से उम्मीद?
व्यर्थ। बिल्कुल व्यर्थ।**जो सरकारें वोट बैंक के डर से– समाज का वर्गीय अपमान सुनकर भी मौन रहती हों
– सोशल मीडिया में फैलती नफरत देखकर भी चुप रहती हों
– न्याय और कानून को एकतरफा बना कर रख दें
उन्हीं सरकारों से न्याय की उम्मीद करना, ठीक वैसा ही है जैसे आग से उम्मीद करना कि वो घर बचा लेगी।भारत आज उस मोड़ पर खड़ा है जहाँ नफरत नेता बनाती है, और चुप्पी सरकार को बचाती है।बाकी देश—वो तो बस भगवान भरोसे चल रहा है।

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कलेक्टर ने खाद लेने आई छात्रा से थप्पड़ मारने संबंधित घटना पर तत्काल लिया एक्शन

नायब तहसीलदार श्रीमती ऋतु सिंघई को कारण बताओ नोटिस जारी

आज ही मांगा जबाव
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समाचारो के माध्यम से जानकारी मिलने पर खाद वितरण में विवाद को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर श्री पार्थ जैसवाल ने शासकीय सेवा अनुरूप कर्तव्य निर्वहन आचरण में लापरवाही बरतने के संबंध में नायब तहसीलदार श्रीमती ऋतु सिंघई नायब तहसीलदार सौरा मंडल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। गौरतलब है कि मण्डी परिसर में खाद वितरण के दौरान खाद लेने आई एक छात्रा को थप्पड़ मारने की खबर पर तत्काल संज्ञान लेते हुए कलेक्टर ने नोटिस जारी कर कहा है कि नायब तहसीलदार का कृत्य म.प्र. सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के विपरीत है। अतएव उक्त संबंध में आप अपना स्पष्टीकरण आज ही प्रस्तुत करें कि क्यों न उक्त लापरवाही के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। जवाब समय सीमा में एवं संतोषप्रद नहीं पाये जाने पर संबंधित के विरूद्ध एक पक्षीय कार्यवाही की जाएगी।
Dr Mohan Yadav
CM Madhya Pradesh
Jansampark Madhya Pradesh
Department Of Revenue, Madhya Pradesh
Sagar Commissioner
#chhatarpur

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आरोग्य समाधान फूड प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड (ASFPCL) अपनी मुख्य प्रबंधन टीम (core management team) में शामिल होने के लिए प्रतिभाशाली (talented) और उच्च-क्षमता (high-potential) वाले लोगों की तलाश कर रही है। हमारा मिशन पारदर्शी (transparent) और टिकाऊ कृषि (sustainable agriculture) के माध्यम से समृद्धि लाना है।

हमें अपनी 9 आंतरिक समितियों (Internal Committees) में विभिन्न महत्वपूर्ण भूमिकाओं (Production, Processing, Finance, Marketing, Logistics, HR, आदि) के लिए आवेदकों की तलाश है।

🎯 पद: प्रोजेक्ट असिस्टेंट (परिवीक्षाधीन/Probationary)

🧠 *चयन प्रक्रिया* (अनिवार्य):

सभी शॉर्टलिस्ट (shortlisted) किए गए उम्मीदवारों को एक *अनिवार्य एक महीने का प्रशिक्षण* और अभिविन्यास (Training & Orientation - अधिकतर ऑनलाइन) में भाग लेना होगा। प्रशिक्षण के बाद, एक चयन परीक्षा (selection test) आयोजित की जाएगी। केवल वे उम्मीदवार जो प्रशिक्षण और आवंटित कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा करेंगे, उन्हें ही ASFPCL एचआर स्ट्रीम (HR Stream) में प्रवेश का अवसर दिया जाएगा।

🗓️ *आपका ASFPCLकरियर पथ:*

*चरण 1* (परिवीक्षा - 3 महीने): प्रोजेक्ट असिस्टेंट

वेतन: ₹15,000/माह का निश्चित वेतन + भत्ते (Allowances)।

*चरण 2* (प्रोबेशन के बाद): प्रोजेक्ट एग्जीक्यूटिव

शुरुआती वेतन: ₹25,000/माह + भत्ते।

उन्नत करियर (Advanced Career): शीर्ष प्रदर्शन करने वाले (Top performers) तेज़ी से पदानुक्रम (hierarchy) में प्रोग्राम मैनेजर (Program Manager) स्तर तक पहुँच सकते हैं, जिसका मासिक सीटीसी (CTC) ₹75,000+ तक हो सकता है!

✨ क्षतिपूर्ति और लाभ (Compensation & Benefits):

ASFPCL योग्य उम्मीदवारों के लिए उद्योग में सर्वश्रेष्ठ क्षतिपूर्ति पैकेज (industry-best compensation packages) और प्रदर्शन-आधारित बोनस तथा प्रोत्साहन (performance-based bonuses and incentives) के मजबूत अवसर प्रदान करने का प्रयास करता है। हमारा मानना है कि अनुभव से ज़्यादा सही रवैया, योग्यता (Aptitude) और जुनून मायने रखता है।

नए और अनुभवहीन उम्मीदवारों (Fresh & Inexperienced) का भी हार्दिक स्वागत है, यदि उनमें ग्रामीण समृद्धि लाने का सही जुनून (passion) है।

🔗 अभी आवेदन करें! (पहला कदम ऑनलाइन स्क्रीनिंग है):

[लिंक: https://forms.gle/xQ2FjMHmQZae9ygq7

स्वास्थ्य की खेती, समृद्धि की फसल। आइए, हमारे साथ जुड़ें! 🌾

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02/12, 1:35 pm] हीरा मझैल: बिजली संशोधन बिल 2025 के विरोध में गैर राजनीतिक संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा मुख्यमंत्री भगवंत मान का पुतला फूंका गया।

प्रेस नोट

देश के कृषि क्षेत्र और मेहनतकश लोगों पर केंद्र सरकार द्वारा कॉरपोरेट्स के हित में किए जा रहे नित नए हमलों के मद्देनजर, गैर-राजनीतिक संयुक्त किसान मोर्चा की पंजाब इकाई ने आज संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान बिजली संशोधन विधेयक 2025 पेश करने की योजना के खिलाफ पंजाब में बिजली विभाग के सभी सब-डिवीजनों पर मुख्यमंत्री भगवंत मान के पुतले फूंके। केंद्र सरकार ने राज्यों से 8 नवंबर तक सुझाव मांगे थे, लेकिन पंजाब सरकार चुप रही। केंद्र की दमनकारी सरकार ने इसके लिए 30 नवंबर का समय तय किया था। हालांकि, गैर-राजनीतिक संयुक्त किसान मोर्चा को उम्मीद थी कि पंजाब सरकार श्री आनंदपुर साहिब सत्र में बिजली संशोधन विधेयक 2025 को खारिज करने के लिए एक प्रस्ताव पारित करेगी, लेकिन यहां भी पंजाब सरकार चुपचाप और सीधे केंद्र सरकार के निर्देशों पर काम कर रही है। एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी के अलावा कुछ नहीं और पंजाब में बिजली विभाग की जमीनें बेचकर पंजाब सरकार अपने स्वार्थों को पूरा करने और उस पैसे का अवैध इस्तेमाल करने का काम कर रही है। संयुक्त किसान मोर्चा यह काम गैर-राजनीतिक तरीके से कर रहा है। इसका वह पुरजोर और पुरजोर विरोध करेगी। इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष हीरा सिंह गुरदिती वाला ब्लॉक अध्यक्ष मल्लां वाला मलकीत सिंह हीरा सिंह गुरदिती वाला ब्लॉक अध्यक्ष मल्लांवाला मलकीत सिंह इकाई अध्यक्ष मल्लांवाला मेजर सिंह जोशान महासचिव गुरमेज सिंह कोषाध्यक्ष बलजीत सिंह नत्थूपुरिया प्रेस सचिव उपाध्यक्ष दर्शन सिंह अर्शदीप सिंह उपाध्यक्ष टिंपू और सदस्य साहिबान साहिब सिंह मंगल सिंह जगतार सिंह निशान सिंह गुरमीत सिंह संदीप सिंह मंगल कुमार जगतार मुख्तियार सिंह हरदीप सिंह भूरा सतनाम सिंह भूरा सुखविंदर सिंह भूरा बाज सिंह बंडाला सूरज सिंह अटवाल लवप्रीत सिंह दर्शन सिंह गुर साहिब सिंह संदीप अटवाल उडिक अटवाल दिलबाग सिंह सरवन सिंह

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भोपाल।✍️ डॉ. महेश प्रसाद मिश्रा, भोपाल की कलम से:

जब किसी देश के विदेश मंत्री खुद मंच पर खड़े होकर यह सीख देने लगें कि “टैलेंट को मत रोको, नहीं तो नुकसान करोगे”, तब समझ लीजिए कि देश में हालात कितने ‘आदर्श’ होंगे। विदेश मंत्री एस. जयशंकर जी का ताज़ा बयान पढ़कर पहले तो लगा कि इतना पढ़ा-लिखा व्यक्ति भी देश के साथ इतना बड़ा मज़ाक कर सकता है? लेकिन फिर सोचा—बेचारा करे भी तो क्या? राजनीति है, सब कुछ करवा लेती है।
देश के भीतर टैलेंट की जो हालत है, उसकी बात करने की बजाय मंचों पर जाकर दुनिया को सीख दी जा रही है कि—“टैलेंट को मत रोको, नौकरी दो, विकास करो।”अरे साहब, पहले ये तो बताइए कि हमारे अपने देश में टैलेंट की क्या इज़्ज़त बची है?

आरक्षण की जंजीरों में लिपटा देश: भारत आज उस हालत में पहुँच गया है जहाँ
घोड़ों के पैरों में जंजीरें बाँध दी जाती हैं और गधों को कहा जाता है कि लो, अब तुम घोड़े के बराबर दौड़ो। नतीजा?
– 90-100% लाने वाले बेरोजगार घूम रहे हैं
– और माइनस 20% वाले लेक्चरर, इंजीनियर और डॉक्टर बन रहे हैं।

WHO की ताज़ा रिपोर्ट भी यही चीख-चीख कर कह रही है कि भारत में 55% डॉक्टर नाकारा हैं। पर कौन बोले? ये सब तो ‘सरकारी दामाद’ हैं—आरक्षण जीवि प्राणी।

मंत्री महोदय का विदेश प्रेम: लगता है वो दिन दूर नहीं जब हमारे माननीय मंत्री विदेश जाकर कटोरा लेकर बैठ जाएँगे और कहेंगे—“हमारे टैलेंटेड युवाओं को नौकरी दे दो… प्लीज़!”यह कैसा विकास मॉडल है?देश का टैलेंट बाहर भेजकर हम दुनिया को समझा रहे हैं कि “टैलेंट मत रोको”—और भीतर?
भ भीतर तो हम खुद ही टैंलेंट को दम घोंट कर मार रहे हैं।

देश की गिरती हालत किसी से छिपी नहीं: आज हालत यह है कि भारतीय रुपया अफगानिस्तान की करेंसी से भी नीचे जा चुका है।पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका की आर्थिक स्थिति पर तो हम भाषण देते हैं, पर अपनी गिरती हालत पर चुप्पी साध लेते हैं।कब तक जनता को बेवकूफ बनाया जाएगा?कब तक वोट बैंक के नाम पर देश के भविष्य की बलि चढ़ाई जाएगी?

देश में ऐसी लूट कि शब्द कम पड़ जाएँ: आज इस देश में टैलेंट का कोई मूल्य नहीं बचा।लूट ही लूट है, सिस्टम से लेकर संस्थानों तक सब वोट बैंक की राजनीति के कब्जे में है।और नेता—देश को अपनी राजनीति की थाली में परोसकर खा रहे हैं।

देश को बचाना है तो एक ही रास्ता—अर्थिक आधार पर आरक्षण:
अगर आरक्षण देना मजबूरी है तोइसे आर्थिक आधार पर दीजिए।और उसमें भी न्यूनतम पासिंग मार्क्स अनिवार्य कीजिए।नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब हमारा देश भी उन देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा जिनकी हालत सुनकर हम आज सिर हिलाते रहते हैं।

देश को समझना होगा—टैलेंट को रोकोगे तो देश डूबेगा,पर बिना टैलेंट वालों को आगे करोगे… तो देश बर्बाद होना तय है।अगर कुछ नहीं बदलता तो समझ लीजिए—देश को नेता नहीं, जनता सड़क पर आकर ही बचाएगी।

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RN NEWS CG सीईओ छत्तीसगढ़ की वेबसाइट में है 12 राज्यों के 2003 की मतदाता सूची*

*एसआईआर फार्म भरने की अंतिम तिथि 11 दिसंबर*

*मतदाता सूची 2003 के रिकार्ड ढूंढने के लिए मीडिया नोडल अधिकारी ने दी जानकारी*

सारंगढ़ बिलाईगढ़, 3 दिसंबर 2025/भारत निर्वाचन आयोग द्वारा भारत के 12 राज्य एवं केन्द्र शासित प्रदेश (अंडमान निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्यप्रदेश, पुदुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडू, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल) में मतदाताओं के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कार्य को पूरा करने के लिए 11 दिसंबर 2025 तक वृद्धि किया गया है। पूर्व में इस कार्य के लिए अंतिम तिथि 4 दिसंबर 2025 था। मतदाता सूची 2003 के रिकार्ड नहीं ढूंढ पा रहे देश के उन असंख्य लोगों की सुविधा के लिए सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले के मीडिया नोडल अधिकारी देवराम यादव ने वीडियो शेयर कर जानकारी दिया है, जिसमें क्रमवार कम्प्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल आदि में सर्च कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। कार्यालय मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी छत्तीसगढ़ की वेबसाइट सीईओ छत्तीसगढ़ में 12 राज्यों की 2003 की मतदाता सूची उपलब्ध है। सबसे पहले गूगल में सीईओ छत्तीसगढ़ को ढूंढना होगा। वहां मतदाता सूची 2003 लाल कलर की बैकग्राउंड लाइट के साथ होमपेज में उपलब्ध है, उसे क्लिक करने पर हरा कलर की बैकग्राउंड लाइट को क्लिक करने पर दो भाग में जानकारी खुलेगा, जिसमें लेफ्ट साइड मतदाता की जानकारी दी गई है और राइट साइड लास्ट एसआईआर की सूची उपलब्ध है, जिसमें हमें राइट साइड को क्लिक करना है और राज्य, जिला, विधानसभा, मतदान केन्द्र का नाम क्लिक कर हम अपने मतदाता सूची 2003 के रिकार्ड डाउनलोड कर एसआईआर के काम को पूरा कर सकते हैं।

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👊 जलगाँव जिले की नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों में BJP और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) आमने-सामने उतरने से महायुती में बड़ा दरार जैसा माहौल बना। लोकसभा–विधानसभा में साथ लड़ने वाले दोनों दलों ने इस बार एक-दूसरे को कड़ी चुनौती दी
👍 BJP ने स्वबल पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया, जबकि मंत्री गुलाबराव पाटिल ने युती कायम रखने की कोशिश की, पर BJP तैयार नहीं हुई। प्रचार के दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर तीखे आरोप-प्रत्यारोप किए।
👉👈। मुक्ताईनगर और पाचोरा में मुकाबला बेहद गर्म रहा। मुक्ताईनगर में केंद्रीय मंत्री रक्षा खडसे और विधायक चंद्रकांत पाटिल के बीच वोटिंग के दिन तक संघर्ष चलता रहा। पाचोरा में भी विधायक किशोर पाटिल ने BJP को कड़ी चुनौती दी।इन घटनाओं के बाद BJP और शिंदे गुट के संबंध काफी तनावपूर्ण दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या महायुती आगे भी साथ रहेगी या अब टूटने की कगार पर पहुँच गई है।

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मध्यप्रदेश की विरासत को मिला जी-आई टैग
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भारत के बौद्धिक संपदा अधिकारों में शामिल मध्यप्रदेश की संपदा
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खजुराहो स्टोन क्राफ्ट, छतरपुर फ़र्नीचर, बैतूल भरेवा मेटल क्राफ्ट, ग्वालियर पत्थर शिल्प और ग्वालियर पेपर माशे क्राफ्ट को मिला जी-आई टैग
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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का मंत्री श्री चैतन्य कश्यप ने माना आभार और अधिकारियों को दी बधाई
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पद्मश्री रजनीकांत ने बताया यह एक ऐतिहासिक पल है।
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भारत का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश की 5 बहुत ही प्राचीन शिल्प कलाओं को जीआई टैग के द्वारा भारत की बौद्धिक संपदा अधिकार में शुमार होने का गौरव प्राप्त हुआ है। एमएसएमई मंत्री श्री चैतन्य कुमार काश्यप ने मध्यप्रदेश की विरासत को मिली इस ऐतिहासिक पहचान के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का आभार व्यक्त करते हुए विभागीय अधिकारियों को बधाई दी है। इस उपलब्धि को ‘जीआई मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से प्रख्यात पद्मश्री डॉ. रजनी कांत ने अत्यंत गर्व का पल बताया है।

RM : https://shorturl.at/sVsyV

#GITag #MadhyaPradeshKiVirasat #MSME #IncredibleIndia
#VocalForLocal #JansamparkMP

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నంద్యాల (AIMA MEDIA): నంద్యాల మండలం పెద్దకొట్టాల గ్రామంలో వ్యవసాయ శాఖ ఆధ్వర్యంలో నిర్వహించిన రైతన్న మీకోసం వర్క్ షాప్ లో నంద్యాల జిల్లా కలెక్టర్ రాజకుమారి గనియ పాల్గొని రైతులతో గ్రామంలో ప్రస్తుతం సాగు చేస్తున్న వ్యవసాయ పంటల గురించి చర్చించారు. ఈ సందర్భంగా కలెక్టర్ మాట్లాడుతూ వ్యవసాయాన్ని లాభసాటిగా మార్చటానికి ముఖ్యమంత్రి నారా చంద్రబాబు నాయుడు సూచించిన ఐదు సూత్రాలను పాటించాలని రైతులకు తెలిజేసారు. అలాగే రైతులు ఆధునిక వ్యవసాయ పద్ధతులు పాటించాలని అందుకుగాను ప్రకృతి వ్యవసాయ పద్ధతులు ఆచరించాలని అలాగే పంటలలో పిచికారి చేయుటకు డ్రోన్స్ వినియోగించాలని, రసాయనీక ఎరువుల వాడకం తగ్గించి నానో ఎరువుల వాడకం అలవర్చుకోవాలని సూచించారు. ఈ వర్క్ షాప్ ద్వారా రైతులతో చర్చించిన అంశాలను క్రోడీకరించి గ్రామ సమగ్ర అభివృద్ధి కొరకు ప్రణాళికలు సిద్ధం చేసి ప్రభుత్వానికి సమర్పించాలని సిబ్బందిని కలెక్టర్ ఆదేశించారు.

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भदोही के सुरियावां से रोहित जायसवाल की बारात गई थी बनारस। रोहित मुंबई में एक पिज्जा कंपनी में किसी पद पर कार्यरत हैं।
दहेज में एक लाख कैश और बाइक के साथ सारा सामान इसपर विवाह तय हुआ था जिसमें बरीक्षा में 75 हजार रुपए दे दिए गए थे बाकी पैसे द्वारचार पर देने की बात हुई।
बारात वाले दिन द्वारचार पर थोड़ा लेट हुआ लेकिन 25 हजार दिए गए। वरमाला के बाद भात खाने की रस्म थी जिसमें दुल्हा दुल्हन के साथ कुछ वर पक्ष के लोग खाना खाने बैठते हैं।
वर पक्ष की तरफ से 30 लोग बैठ गए। खाना खाते समय इच्छा अनुसार वधु पक्ष के लोगों को कुछ पैसे सबकी थाली में रखने पड़ते हैं शगुन के तौर पर।
लड़की के पिता सबकी थाली में 100 रुपए रख रहे थे इसपर लड़के पक्ष के दो चार लोग ऐंठने लगे और बोले कि कम से कम 1000 रखिए सबकी थाली में जब पैसा नहीं है तो विवाह क्यों करने लगे।
1000 का मतलब 30 से 35 हजार इतना सुनते ही दुल्हन ने गले से वरमाला निकाली और 112 नंबर पर कॉल कर दी पूरा मामला पुलिस के पास पहुंच गया।
वैसे मेरे हिसाब से तो बिल्कुल सही किया है। क्योंकि 30 लोगों का बैठने का मतलब ही था लड़की के पिता को नीचा दिखाना।

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📰 समाचार रिपोर्ट / नई दिल्ली — हाल ही में Ministry of Finance ने संसद में स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल 8th Central Pay Commission (8th CPC) के तहत बढ़ रही चर्चाओं और मांगों के बावजूद महंगाई भत्ता (DA) / महंगाई राहत (DR) को मूल वेतन (Basic Pay) में मिलाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

3 नवंबर 2025 को 8th CPC की आधिकारिक अधिसूचना जारी की गई थी। सरकार ने वेतन, भत्तों एवं पेंशन संरचना की समीक्षा के लिए आयोग का गठन किया है।

वहीं, कर्मचारी संगठन और पेंशनभोगी लंबे समय से मांग कर रहे थे कि जब DA 50% से ऊपर पहुँच चुका है, तो इसे मूल वेतन में शामिल किया जाए ताकि वेतन एवं पेंशन स्थायी और संरचित हो जाए।


✅ सरकार का क्या कहना है?

संसद (लोकसभा) में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में, राज्य मंत्री (वित्त) Pankaj Chaudhary ने स्पष्ट किया कि “वर्तमान में किसी भी प्रकार का DA/DR-बेसिक पे मर्ज का प्रस्ताव सरकार के समक्ष नहीं है.”

उन्होंने कहा कि महंगाई भत्ता / राहत को हर 6 महीने में पुनरीक्षित किया जाता रहेगा — जैसा कि पहले होता आ रहा है — और किसी तत्काल राहत के रूप में मर्जर पर विचार नहीं हो रहा है।


⚠️ कर्मचारियों व पेंशनभोगियों की प्रतिक्रिया

यह निर्णय लगभग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और लगभग 65 लाख पेंशनभोगियों के लिए है, जो 8th CPC की सिफारिशों का इंतज़ार कर रहे थे।

कर्मचारी संघ व पेंशनर समूहों ने इसे निराशाजनक बताया है, क्योंकि महंगाई बढ़ने के बावजूद वेतन और पेंशन संरचना स्थिर नहीं होगी।

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📝 सारांश

8th CPC की अधिसूचना जारी हो चुकी है, लेकिन DA/DR को बेसिक वेतन में मर्ज करने पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया।

महंगाई भत्ता/राहत पूर्ववत् पुराने ढर्रे पर — हर 6 महीने में पुनरीक्षित की जाएगी।

कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में असमंजस व निराशा — क्योंकि लंबे समय से मांग की जा रही थी कि DA स्थायी वेतन में बदलना चाहिए।

Sanjeev Sameer
(District Secretary, AiMA Media, Muzaffarpur )

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'
Aima media jan jan ki
Date 4/12/2025 am :3:59
आहिताग्नी राजवाडे आत्मवृत्त' या पुस्तकाचे पुनर्प्रकाशन !

अत्यंत विद्वान, व्यासंगी परंतु विक्षिप्त व परखड बोलणारे म्हणून प्रसिद्ध असलेले विविध विषयांची आपल्या लेखणीतून आणि वाणीतून निर्भीड चिकित्सा करणारे प्रकांड पंडित कै. शंकर रामचंद्र राजवाडे यांच्या जीवन कार्यावर आधारित 'आहिताग्नी राजवाडे आत्मवृत्त' या पुस्तकाचे पुनर्प्रकाशन श्रीविद्या प्रकाशनच्या संचालिका सौ. श्रीती निखिल कुलकर्णी यांनी केले.

'आहिताग्नी' ही पदवी श्री राजवाडे यांना मिळाली कारण त्यांनी आपल्या घरी अखंड अग्निहोत्र प्रज्वलित ठेवला होता. त्यांचे काही विचार कोणत्याच काळात कोणालाच पटण्यासारखे वाटत नाहीत. तर काही मात्र आजही कालसुसंगत वाटतात. उदाहरणार्थ, "राष्ट्रातील नागरिकांना असे शिक्षण मिळायला हवे, ज्याने ते राष्ट्रासाठी वेळप्रसंगी प्राण देण्यासही तयार होतील, अशी राष्ट्रभक्तीची भावना त्यांच्या मनात तयार होईल" हे विचार आजही आपल्याला पटतात.

ऐतिहासिक व्यक्तींकडे, त्यांच्या कृती अगर वक्तव्याकडे वस्तुनिष्ठपणे पाहून त्यातील गुणदोषांसकट त्यांचे विचार वाचणे व त्याचे विश्लेषण करून योग्य विचारांचा अंमल करून अयोग्य विचार टाळणे हे आवश्यक असते.

1979 साली या पुस्तकाचे सर्वप्रथम प्रकाशन करण्यात आले होते. या पुस्तकाच्या फार कमी प्रति अलीकडे उपलब्ध होत्या.
या पुस्तक प्रकाशन सोहळ्याला माजी खासदार श्री. कुमार केतकर, श्री. हर्ष जोशी तसेच श्री. हेमंत प्रकाश राजोपाध्ये उपस्थित होते.

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बागपत दिनांक 03 दिसंबर 2025 – अब न तो बागपत की महिलाओं और बालिकाओं की पहुँच से सुरक्षित पैड दूर रहेगा और न ही माहवारी की परेशानियों पर यह चुप्पी होगी। जिस मुद्दे पर कभी घरों में बात तक नहीं होती थी, वही समस्या जब मिशन शक्ति संवाद के दौरान स्कूलों में पढ़ने वाली बेटियों और गांव की महिलाओं ने सीधे जिलाधिकारी के सामने रखी, तो प्रशासन ने तय किया कि अब इस दर्द को अनदेखा नहीं किया जाएगा। हर माह होने वाली परेशानी, खर्च का बोझ, असुरक्षित साधनों का जोखिम और कचरे का संकट—इन सबका समाधान अब बागपत प्रशासन अपने साथ लेकर आया है। यह समाधान है ‘निरा’—कॉटन आधारित, सुरक्षित, पुन:प्रयोग योग्य सेनेटरी पैड, जो कल से जिले में महिलाओं और किशोरियों तक पहुंचने जा रहा है।


जिलाधिकारी आईएएस अस्मिता लाल के संवेदनशील नेतृत्व में रामा मेडिकल कॉलेज के सीएसआर और यूनिसेफ इंडिया एवं इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी के सहयोग से कल नगर पालिका बड़ौत में रविदास मंदिर वार्ड संख्या 01 में दोपहर 12.00 बजे आयोजित विशेष समारोह में निरा पहल शुरू की जाएगी जिसमें महिलाओं को 100% कॉटन से बने री-यूज़ेबल सेनेटरी पैड उपलब्ध कराए जाएंगे जिन्हें दो से तीन साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है। बागपत इस मॉडल को लागू करने वाला देश का प्रथम जिला है। इन पैड्स में प्लास्टिक या केमिकल का उपयोग नहीं किया गया है, जिससे संक्रमण का खतरा कम होता है और पर्यावरण पर भी बोझ नहीं पड़ता। यह महिलाओं की गरिमा, स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा से जुड़ा संपूर्ण समाधान है। ये सुरक्षित हैं, प्लास्टिक-रहित हैं, केमिकल-रहित हैं और ग्रामीण परिवारों के लिए आर्थिक रूप से भी बेहद राहत देने वाले हैं।


बागपत में महंगे पैड की समस्या जितनी बड़ी है, उससे बड़ा संकट है डिस्पोज़ेबल पैड्स का बढ़ता कचरा। गांवों में नालियों, खेतों, सड़कों और कूड़ा स्थलों पर पड़े इस कचरे से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। कई जगह इन्हें जलाया भी जाता है, जिससे हवा, पानी और मिट्टी तीनों प्रभावित होती हैं। सफाई कर्मियों के लिए भी यह जोखिम का कारण बनता है। निरा इस समस्या को जड़ से कम करेगा, क्योंकि इसके पैड पर्यावरण-अनुकूल हैं और कचरा लगभग न के बराबर होता है। इसे देखते हुए प्रशासन मानता है कि री-यूज़ेबल पैड ही जिले के लिए सबसे व्यावहारिक विकल्प हैं।


बागपत में कुछ समय पहले हुए “महिलाओं संग हक की बात” कार्यक्रम और बालिका विद्यालयों में जिलाधिकारी के भ्रमण के दौरान जब कई लड़कियों और महिलाओं ने जिलाधिकारी के सामने माहवारी से जुड़ी अपनी दिक्कतें, खर्च का बोझ और सुरक्षित साधनों की कमी खुलकर बताई, तो जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने वहीं तय कर लिया था कि इसका कोई टिकाऊ समाधान जिले को देना ही होगा। इसी संकल्प का परिणाम है कि कल से जिले में ‘निरा’ पहल शुरू होने जा रही है, जो महिला स्वास्थ्य और पर्यावरण—दोनों के लिए एक नया विकल्प लेकर आई है।


निरा की एक और खासियत यह है कि यह केवल पैड वितरण तक सीमित नहीं है। प्रशासन इस पहल को व्यापक जागरूकता अभियान के रूप में चलाएगा। कार्यक्रम में उपयोग की सही विधि, स्वच्छता के मूल नियम और संक्रमण से बचाव पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिलाधिकारी के निर्देश पर महिलाओं के लिए सरल भाषा में उपयोग गाइड भी तैयार की गई है, जिसमें यह बताया गया है कि पैड को कैसे धोना, सुखाना और सुरक्षित रखना है।


महिलाओं में इस नई पहल को लेकर उत्साह भी दिख रहा है। निरा जमीनी जरूरतों से जुड़ा हुआ समाधान है। जिला प्रशासन की योजना इससे आगे बढ़कर भी है। आने वाले महीनों में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को पैड निर्माण कार्य से जोड़ने पर विचार किया जा रहा है। इससे गांवों में स्थानीय स्तर पर रोजगार बढ़ेगा और महिलाएँ आर्थिक रूप से और सशक्त होंगी। स्कूलों में किशोरियों को विशेष निरा किट भी दी जाएगी, जिसमें पैड्स के साथ स्वच्छता पुस्तिका भी शामिल होंगी।


समग्र रूप से देखा जाए तो ‘निरा’ बागपत में महिलाओं के स्वास्थ्य, जागरूकता और पर्यावरण संरक्षण को एक साथ जोड़ने वाली पहल है। प्रशासन की कोशिश है कि यह पहल न केवल समस्या को कम करे, बल्कि जिले में एक नई सोच भी स्थापित करे—कि माहवारी जीवन की सामान्य प्रक्रिया है और इसे सुरक्षित, सम्मानजनक और पर्यावरण-अनुकूल तरीके से संभालना परिवार एवं समाज की जिम्मेदारी है।


जिलाधिकारी आईएएस अस्मिता लाल के नेतृत्व में बागपत में महिलाओं एवं बेटियों के लिए विशेष कार्यक्रम संचालित कर मिशन शक्ति को नई मजबूती दी जा रही है जिसमें हाल ही में आयोजित हमारी बेटी हमारी कुलदीपक, आंचल ब्रेस्टफीडिंग बूथ जैसी नवाचारी पहल शामिल है जिसमें अब निरा पैड्स मुहिम भी जुड़ गई।

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ଖୋର୍ଦ୍ଧା,୩.୧୧.୨୫ : ଖୋର୍ଦ୍ଧା ଜିଲ୍ଲା ରାମେଶ୍ୱର ଅଧିନସ୍ଥ ପଦ୍ମପୁର ଠାରେ ପ୍ରତିଷ୍ଠିତ ମା ପାଦୁକାଇ ମନ୍ଦିରରେ ୧୯ ତମ ବାର୍ଷିକ ମହାଯଜ୍ଞ ଅନୁଷ୍ଠିତ।ଉକ୍ତ ମହାଯଜ୍ଞ ଅବସରରେ ମନ୍ଦିର ପରିସରରେ ପୂଜା ପାଠ,ହୋମ ମହାଯଜ୍ଞ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ବିଧି ମୁତାବକ ସମାପନ ହୋଇଛି।ଗ୍ରାମବାସୀ ମାନେ ମନ୍ଦିର ପରିସରରେ ଉପସ୍ଥିତ ରହି ସମସ୍ତ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ସୁରୁଖୁରୁରେ ସମ୍ପାଦନ କରିଛନ୍ତି।ଭକ୍ତ ଶ୍ରଦ୍ଧାଳୁ ମାନେ ପ୍ରଭୁକୃପା ଲାଭ କରିବା ସହିତ ମାନସିକ ଧାରୀ ମହିଳା ଭକ୍ତମାନେ ପ୍ରାତଃ କାଳରେ ଏକ ବିରାଟ ଶୋଭାଯାତ୍ରାରେ ଗ୍ରାମ ପୁସ୍କରୀଣିରୁ କଳସରେ ଜଳ ଆଣି ଯଜ୍ଞ ମଣ୍ଡପରେ ସ୍ଥାପନା କରିଥିଲେ।ମହାଯଜ୍ଞ ନିମନ୍ତେ ସମସ୍ତ ରିତିନିତୀ ଅନୁସାରେ କାର୍ଯ୍ୟ ସମାପନ ହୋଇଛି।ମା ପାଦୁକାଇ ମନ୍ଦିର ପରିସରରେ ଭକ୍ତିମୟ ପରିବେଶ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଛି।ଯଜ୍ଞ ମଣ୍ଡପରେ ବ୍ରାହ୍ମଣ ମନ୍ତ୍ରପାଠ କରି ପୂଜାର୍ଚ୍ଚନା କରିବା ପରେ ସଂନ୍ଧ୍ୟା ରେ ମହାଯଜ୍ଞର ପୂର୍ଣ୍ଣାହୁତି ସମାପନ ହୋଇଛି।ସମାପନ ଶୋଭାଯାତ୍ରାରେ ମାନସିକ ଧାରି ଶ୍ରଦ୍ଧାଳୁ ମାନେ ଵିରାଟ ଶୋଭାଯାତ୍ରାରେ ଗ୍ରାମ ପରିକ୍ରମା କରି ନିକଟସ୍ଥ ପୁସ୍କରିଣୀରେ କଳସ ବିଷର୍ଜନ କରିଛନ୍ତି।

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