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कोटा रेलवे में साढ़े पांच करोड़ का घोटाला, सीबीआई ने दर्ज की एफआईआर में जल्द गिरफ्तारी

कोटा। एलम (फिटकरी) पाउडर परिवहन घोटाले मामले में जयपुर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने तीन अलग-अलग रिपोर्ट दर्ज की है। रिपोर्ट में सीबीआई ने करीब साढ़े पांच करोड़ रुपए घोटाले की आशंका जताई है। रिपोर्ट के बाद सीबीआई ने मामले की जांच भी तेज कर दी है। संभावना जताई जा रही है। सीबीआई जल्द कुछ बड़े अधिकारियों को गिरफ्तार कर सकती है। फिलहाल सीबीआई इन अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ में जुटी हुई है। जांच अलग-अलग दो टीमें कर रही हैं।
सीबीआई ने यह मामले मांडलगढ़, भरतपुर तथा नाथद्वारा से एलम परिवहन के मामले में कोटा और अजमेर मंडल अधिकारियों और परिवहन कंपनी गुवाहाटी जिला कामरुप एमजी रोड़ फैंसी बाजार स्थित मेसर्स विनायक लॉजिस्टिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मालिक प्रवेश काबरा और अज्ञात रेल अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी, जाली दस्तावेज को असली के रूप में उपयोग करना और लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार की 120-बी, 420, 467, 468, 471 और 13 आदि धाराओं में मामला दर्ज किया है। सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में माना कि रेलवे अधिकारियों और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची और इसके अलावा रेल अधिकारियों ने अपने संबंधित आधिकारिक पद का दुरुपयोग करके माल की गलत घोषणा की अनुमति दी।

- मांडलगढ़ और भरतपुर से भेजे रेंक :
सीबीआई ने रिपोर्ट में बताया कि मांडलगढ़ और भरतपुर स्टेशन से कंपनी ने कई मालगाडियों में एलम के नाम पर मार्बल पाउडर का परिवहन किया। मांडलगढ़ से जम्मू और कश्मीर कठुआ तक मार्बल पावर के 20 रेंक भेजे गए। इसके अलावा पश्चिम-बंगाल स्थित संकरेल गुड्स टर्मिनल यार्ड, डेकारगांव 2021 से मार्च 2022 की अवधि में असम, रंग पानी, चांगसारी में एलम के नाम पर मार्बल पाउडर के रेंक भेजे गए। इसके चलते रेलवे को करीब 5 करोड़ 13 लाख 89 हजार 886 रुपए का नुकसान हुआ।

- नाथद्वारा से भी भेजे रेंक :
इसी तरह कंपनी ने नाथद्वारा से भी भेजे रेकों में माल परिवहन में गड़बड़ी की। नाथद्वारा से रवाना होने के बाद सीबीआई ने अजमेर मंडल के घोंसुंडा रेलवे स्टेशन पर रोक कर मालगाड़ी की औचक जांच की थी। 42 डिब्बों की यह मालगाड़ी असम स्थित चांगसारी स्टेशन जा रही थी। विनायक लॉजिस्टिक्स ने इस मालगाड़ी में पुट्टी भरने की घोषणा की थी। जांच के लिए सीबीआई ने इसके नमूने जयपुर स्थित भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) को भेजे थे। बाद में जांच रिपोर्ट में मालगाड़ी में डोलोमाइट, डोलोस्टोन डोलोमाइट मार्बल अंश की पुष्टि हुई थी। पुट्टी परिवहन के लिए विनायक लॉजिस्टक ने रेलवे को 54 लाख 39 हजार 247 रुपए का भुगतान किया गया था। जब कि अगर कंपनी इसे डोलोमाइट घोषित करती तो उसे रेलवे को 77 लाख 46 हजार 464 रुपए किराया चुकाना होता। इस तरह कंपनी ने गलत जानकारी देकर रेलवे को करीब 23 लाख 7 हजार 217 रुपए का चुना लगाया। इसके चलते सीबीआई ने कंपनी और अजमेर मंडल के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया।

- दो साल पहले सामने आया था मामला :
उल्लेखनीय है कि करीब दो साल पहले मार्च-2022 में इस मामले का खुलासा किया था। मामला खुलने पर हरकत में आई सीबीआई ने अपनी जांच शुरु की थी। करीब दो साल चली जांच के बाद सीबीआई नेे पिछले दिनों ही इस मामले में रिपोर्ट दर्ज की है।

- पंकज डीआएम और अजय थे सीनियर डीसीएम :
यह मामला सामने आने के समय कोटा मंडल में पंकज शर्मा डीआरएम और अजय पाल वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक पद थे। मामले में खास बात यह है कि यह मामला सामने आने के दौरान भरतपुर भ्रष्ट्राचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने अजय पाल को उसी चेंबर में रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। एसीबी का आरोप है कि अजय ने यह रिश्वत अपने अधिनस्थ कर्मचारी से चार्जशीट माफ करवाने की एवज में ली थी। इसी दौरान एसीबी ने अजय को दलाल के साथ दबोच लिया था। अजय अभी जबलपुर मुख्यालय में तैनात हैं।

- पंकज को सौंपी खुद की जांच :
मामले में दूसरी खास बात यह रही की इतना बड़ा घोटाला सामने आने के बाद पंकज शर्मा का तबादला पश्चिम-मध्य रेलवे में मुख्य सर्तकता अधिकारी पद पर कर दिया गया था। नियुक्ति के बाद पंकज शर्मा ने इस मामले की जांच भी की थी। यानि पंकज ने खुद की भूमिका की जांच खुद ही की थी।

- क्या कहते है जिम्मेदार"
"मामले की जांच जारी है। इसके अलावा इस मामले में कुछ नहीं बताया जा सकता"
- सिंगोदिया निगम, जांच अधिकारी

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