जीवन एक यात्रा एक विचित्र यात्रा जिसका यात्री भी मैं लक्ष्य भी मैं और साधन भी मैं मैं मुझे ही ढूँढ रहा हूँ!
जीवन एक यात्रा एक विचित्र यात्रा जिसका यात्री भी मैं लक्ष्य भी मैं और साधन भी मैं मैं मुझे ही ढूँढ रहा हूँ!
मां गंगा ने जिसे अपने धारो से संवारा है । बनारस वही खूबसूरत घाटों का किनारा है ❤️।। ........माँ_गंगा _की _गोद_में पंडित हरिओम तिवारी जी काशी