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एंटीबायोटिक का विवेकपूर्ण उपयोग एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस से लड़ने के लिए आवश्यक

रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन भोपाल मध्य प्रदेश
मन की बात कार्यक्रम में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) को उजागर करने और आमजन से एंटीबायोटिक के विवेकपूर्ण उपयोग की अपील करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए प्रो. (डॉ.) माधवानन्द कर ने जनजागरूकता की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रो. (डॉ.) माधवानन्द कर ने कहा कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध अब निमोनिया और मूत्र मार्ग संक्रमण जैसी सामान्य बीमारियों के उपचार में एक बड़ी चुनौती बन गया है, जो आमजन द्वारा एंटीबायोटिक के अविवेकपूर्ण और बिना निगरानी के उपयोग के कारण बढ़ रहा है। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के सामान्य कारण हैं।बिना उचित पर्चा के एंटीबायोटिक का सेवन, गलत खुराक, चिकित्सकीय निगरानी का अभाव, ठीक महसूस होने पर दवा बीच में रोकना, निर्धारित अवधि पूरी न करना, कल्चर और सेंसिटिविटी परीक्षण के बिना दवा लेना और उच्च श्रेणी की एंटीबायोटिक का अनुभवजन्य रूप से अधिक प्रयोग।एएमआर से निपटने के लिए जनसामान्य में व्यापक जागरूकता के साथ चिकित्सकों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों का सक्रिय सहयोग आवश्यक है। एम्स भोपाल ने एएमआर से मुकाबला करने के लिए कई संस्थागत कदम उठाए हैं, जिनमें सुव्यवस्थित एंटीबायोटिक नीति, हितधारकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, नाटकों और पोस्टरों के माध्यम से जागरूकता अभियान, एएमआर स्टूवर्डशिप वीक का आयोजन, तथा सीएमई और राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलनों के माध्यम से विवेकपूर्ण एंटीबायोटिक उपयोग को बढ़ावा देना शामिल है। प्रो. कर ने कहा कि नेशनल एक्शन प्लान ऑन एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस 2.0 की शुरुआत AMR के खिलाफ भारत की सामूहिक लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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