ब्यूरो रिपोर्ट लोकेशन – शामली **शामली में हड़कंप…! आरटीओ ने पत्रकार को रोकने की कोशिश? एक पत्रकार द्वारा जिला अधिकारी को दी गई शिकायत से मचा प्रशासन
ब्यूरो रिपोर्टलोकेशन – शामली**शामली में हड़कंप…!आरटीओ ने पत्रकार को रोकने की कोशिश?एक पत्रकार द्वारा जिला अधिकारी को दी गई शिकायत से मचा प्रशासनिक तूफान…!**शामली जनपद में डग्गामार और ओवरलोडिंग वाहनों का खेल किसी से छुपा नहीं है। खुलेआम नियमों को कुचलते हुए सड़कें इन अवैध वाहनों से भरी पड़ी हैं। लेकिन अब मामला सिर्फ अवैध वाहनों के संचालन का नहीं, बल्कि पत्रकारिता को रोकने की कोशिश का हो गया है।पूरा बवाल तब शुरू हुआ जब एक पत्रकार ने आरटीओ रोहित राजपूत को फोन कर विभाग का पक्ष जानना चाहा—डग्गामार वाहनों का खेल आखिर चल कैसे रहा है?एक नंबर प्लेट पर कई गाड़ियाँ क्यों दौड़ रही हैं?ओवरलोडिंग पर कार्रवाई सिर्फ कागज़ों में ही क्यों दिखाई देती है?लेकिन सवाल सुनते ही आरटीओ का चौंकाने वाला जवाब आया—“तुम ऑथराइज नहीं हो मेरी बाइट लेने के लिए.”यह बयान न सिर्फ हैरान करने वाला था, बल्कि पत्रकारों की स्वतंत्रता, मीडिया की भूमिका और पारदर्शिता पर सीधा हमला माना जा रहा है।सवाल उठ रहा है—क्या अब सरकारी अधिकारी से सवाल पूछने के लिए भी पत्रकार को ‘परमिशन लेटर’ चाहिए?या फिर सच इतना तीखा है कि उसे ऑथराइजेशन की दीवार के पीछे छुपाया जा रहा है?आरटीओ की इस कार्यशैली के बाद मामला और गर्म हो गया।एक पत्रकार ने जिला अधिकारी शामली को लिखित शिकायत दी, जिसमें स्पष्ट आरोप लगाए गए कि—आरटीओ पत्रकारों से भाग रहे हैं,डग्गामार और ओवरलोडिंग पर असली आंकड़े छुपाने की कोशिश हो रही है,“अनऑथराइज” बता कर पत्रकारिता में बाधा डाली जा रही है,सवाल पूछने पर अधिकारी चौकन्ने और असहज हो जाते हैं।शिकायत पहुंचते ही प्रशासनिक गलियारों में खलबली मच गई है।सूत्रों की मानें तो—एडीएम शामली और अपर जिला सूचना अधिकारी दीपक कुमार ने फोन कर आरटीओ रोहित राजपूत से तत्काल जवाब मांगा है।स्थानीय लोगों में भी चर्चा तेज है—“अगर अधिकारी पत्रकारों से ही डरने लगें, तो फिर जनता की आवाज़ कौन उठाएगा?”“क्या डग्गामार वाहनों की कमाई पत्रकारों के सवालों से ज्यादा ताकतवर है?”“सच कड़वा हो तो उसे छुपाने की कोशिश क्यों?”शामली में फिलहाल एक ही सवाल हवा में तैर रहा है—**सच से डर किसको है?और पत्रकार की आवाज़ को ‘अनऑथराइज’ बताकर कौन सा राज़ बचाया जा रहा है?**---