
20 नवम्बर से डॉ. आम्बेडकर बुद्ध विहार में पुनः बौद्ध समुदाय शुरु करेगा अनिश्चितकालीन धरना, महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन एक बार फिर पकड़ेगा जोड़।
बोधगया (गया)
महाबोधि महाविहार के पूर्ण प्रबंधन अधिकार बौद्ध समुदाय को सौंपने तथा बोधगया मंदिर अधिनियम 1949 को निरस्त करने की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन एक बार फिर निर्णायक चरण में प्रवेश करने जा रहा है। ऑल इंडिया बुद्धिस्ट फोरम एवं ऑल बुद्धिस्ट ऑर्गनाइजेशन की ओर से आकाश लामा ने घोषणा की है कि बोधगया के रामपुर रोड के महुआबाद स्थित डॉ. आम्बेडकर बुद्ध विहार में 20 नवम्बर 2025 से अनिश्चितकालीन शांतिपूर्ण धरना पुनः प्रारम्भ किया जाएगा।
आकाश लामा का कहना है कि बोधगया मंदिर अधिनियम 1949 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13, 25, 26 और 29 का सीधा उल्लंघन करता है, क्योंकि यह अधिनियम 1950 में संविधान लागू होने से पहले बनाया गया था और बौद्ध समुदाय को महाबोधि महाविहार के प्रबंधन से वंचित रखता है। आंदोलनकारी समूह का दावा है कि महाविहार के अधिकारों की बहाली के लिए 134 वर्षों से संघर्ष जारी है, जबकि बी.टी. एक्ट को समाप्त कराने की दिशा में 58 वर्षों से आंदोलन चल रहा है।
आकाश लामा का कहना है कि आंदोलन के दौरान प्रशासनिक हस्तक्षेप कई बार विवाद का कारण बना। 27 फरवरी 2025 की रात्रि में भिक्षु–भिक्षुणी संघ को स्वास्थ्य जांच के नाम पर मगध मेडिकल कॉलेज, गया ले जाया जाना और धरना स्थल से सामान हटाए जाने की घटना ने बौद्ध संगठनों को आक्रोशित किया था। इसके बाद आंदोलन लगातार स्थान बदलता रहा—महाबोधि गेट दोमुहां, निगमा मोनेस्ट्री तथा मनकोसी स्थित किराए की भूमि तक। चुनाव आचार संहिता और प्रशासनिक प्रतिबंधों के कारण कई बार धरना बाधित भी हुआ।
वर्तमान में आंदोलनकारी विशुद्धानंद महाविहार में धरना दे रहे हैं, परन्तु संगठन ने अब इसे नए स्थान—डॉ. आम्बेडकर बुद्ध विहार—पर ले जाने का निर्णय लिया है। संगठन ने जिला पदाधिकारी एवं अनुविभागीय अधिकारी से औपचारिक अनुमति देने का अनुरोध भी किया है।
संगठन के अनुसार, आंदोलन का मुख्य उद्देश्य महाबोधि महाविहार को उसकी मूल विरासत के अनुरूप बौद्ध समुदाय के हाथों सौंपना है और संविधान के अनुरूप बी.टी. एक्ट को निरस्त कराना है। आगामी 20 नवम्बर से प्रारम्भ होने वाला यह अनिश्चितकालीन धरना बोधगया में एक बार फिर माहौल को आंदोलनकारी रंग देने वाला माना जा रहा है।
बौद्ध संगठनों का कहना है कि वे शांतिपूर्ण, अनुशासित और संविधान सम्मत तरीके से अपनी मांगों को आगे बढ़ाते रहेंगे। प्रशासन अब अनुमति देता है या नहीं—इस पर बोधगया की आगामी स्थिति काफी हद तक निर्भर करेगी।