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जितेन्द्र जायसवाल संगठन के कार्य का अनुभव होने के बाद भी क्षेत्र में पार्टी हो रही कमजोर विधायक की हट से भाजपा संगठन में नहीं बन रहा समन्वय

नागदा जिला उज्जैन मध्य प्रदेश
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दो वर्ष पूर्व विधानसभा चुनाव के लिए नागदा-खाचरौद विधानसभा क्षेत्र से भाजपा नेता अपने उम्मीदवार घोषित किया था उस समय एक चैकाने वाला नाम सामने आया था। पार्टी ने डॉ तेजबहादुरसिंह चौहान को विधानसभा का टिकट दिया। चौहान चुनाव भी जीत गए। पार्टी ने चौहान को टिकट इस उद्देश्य को लेकर दिया था कि संगठन में चल रही गुटबाजी व विरोधाभास पर विराम लग जाए ओर क्षेत्र में विकास की गंगा बहेगी लेकिन चुनाव के बाद इसका उल्टा परिणाम नागदा-खाचरौद विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिल रहा हैं। दिन पर दिन संगठन में आपसी नेताओं के समन्यवय कम होता जा रहा है ओर विरोधाभास बढ़ता जा रहा हैं। नतीजन क्षेत्र का विकास रूका सा दिखाई देता है। यदि समय रहते भाजपा के आलाकमान ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले चुनाव में भाजपा को इसका परिणाम भी भुगतना पड सकता है।
संगठन के अनुभव का नहीं मिला लाभ-चुनाव के

समय कहां गया था कि डॉ चौहान को संगठन चलाने का काफी अच्छा अनुभव है। दो बार वह जिला अध्यक्ष भी रह चुके है। प्रदेश में भी पदाधिकारी रहे तथा अन्य शहरों में पार्टी में उन्हें चुनाव प्रभारी भी बनाया। पार्टी

आलाकमान को यह उम्मीद थी कि नागदा में चैहान की एंटीऊ होने से गुटबाजी पर विराम लग जाएगा। चूंकि विधानसभा चुनाव के पूर्व पार्टी विभिन्न गुटो में बटी हुई थी, लेकिन वर्तमान में यह स्थिति ओर अधिक गंभीर हो गई है। विधायक चौहान की हट के कारण वह ही नेता उनसे दूर हो

गए जो उनके लिए टिकिट मांगने भोपाल गए थे या विधानसभा चुनाव के समय उनके लिए कड़ी मेहनत की थी। इतना हीं नहीं दिन पर दिन पार्टी की गुटबाजी भी बढती जा रही हैं।

विधायक की हट से नाराजगी विधायक चौहान की कार्यप्रणाली व हट से भाजपा के विचारधारा के अन्य संगठन व हिंदू संगठन के लोग भी इन दिनों नाराज चल रहे है। चुनाव के समय जो लोग भाजपा के पूर्व विधायक तथा कांग्रेस विधायक एवं अन्य संगठन छोड कर विधायक चौहान के समर्थन में आए थे वह लोग भी अब विधायक चैहान की कार्यप्रणाली से नाराज दिखाई दे रहें हैं ओर कई तो मायूस होकर घर बैठ गए है। चूंकि उनके साथ एक कहावत चरितार्थ हो गई कि ना इधर के रहे ना उधर के रहे। इन लोगों ने भी अब ठान ली हैं कि वक्त आने पर जवाब दिया जाएगा।

परिवारवाद कर दिया शुरू
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विधायक चौहान को पार्टी कार्यकर्ताओं व अपने समर्थकों पर भरोसा नहीं है, जिसका नतीजा यह हैं कि उन्होने परिवारवाद शुरू कर दिया। विधायक जनता के सामने ईमानदार की छवि अपनी बताते हैं। विधायक कहते हैं कि वह परिवारवाद नहीं चला रहे हैं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक पर्दे के पीछे उनके बड़े बेटे कई मामलों में हस्तक्षेप करते हैं। कुछ कार्यकताओं ने तो यह भी बताया कि यदि विधायक के पुत्रों का हस्तक्षेप इतना बढ़ गया हैं कि वह वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को अनदेखा कर उन्हें भी अपमानित कर देते हैं, जिससे कई वर्षों से पार्टी से जुड़े कर्मठ कार्यकर्ता भी नाराज हैं।

ग्रामीण क्षेत्र में भी आक्रोश
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विधानसभा चुनाव के समय जब डॉ चौहान का नाम सामने आया था तो यह स्थिति थी कि अधिकांश गांव में लोग डॉ चौहान को पहचानते तक नहीं थे। यहां तक की मतदान के समय कई पोलिंग बुथ पर पार्टी के लोग नहीं बैठ पाए थे। उस समय भी भाजपा के कर्मठ व दिग्गज एवं हिंदू संगठनों ने गांव गांव जाकर ग्रामीणों का मन बनाया था। ग्रामीणों ने भी भाजपा के आला कमान पर विश्वास व उनके विकास कार्य व योजनाओं से प्रेरित होकर भाजपा प्रत्याशी को वोट दिया था जिसका परिणाम यह रहा कि कांग्रेस प्रत्याशी के गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र से भी भाजपा प्रत्याशी को जीत मिली थी, लेकिन वर्तमान की स्थिति व विधायक के अकड़पन से ग्रामीणों में भी इनके व्यवहार को लेकर आक्रोश है।

प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ पर भी उठाई उंगली
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देश में प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया का भी महत्वपूर्ण भूमिका हैं लेकिन विधायक डॉ चैहान ने मीडिया पर भी उंगली उठाई है। चौहान कभी तो कहते हैं कि मुझे नाम छपवाने का शौक नहीं हैं। अखबार में छपने से कुछ नहीं होता चार दिन बाद सब भुल जाते हैं विधायक द्वारा सावर्जनिक रूप से मिडिया के प्रति इस तरह के बयान देने से शहर के कई मिडियाकर्मीयों में विधायक के प्रति आक्रोश है। विधायक को प्रदेश के मुख्यमंत्री भी मीडिया परिवार से जुड़े हुए है। भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के नेता प्रभात झा, आर. के सिन्हा भी मीडिया से जुडे रहे। ऐसे में विधायक द्वारा मीडिया के प्रति इस तरह बयान देना उनकी मानसिकता का परिचय देता है।


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