
धूल में मिला व्यापारियों का सपना: सेंट्रल मार्केट ध्वस्तीकरण के बाद रो पड़ा मेरठ का कारोबार
मेरठ के सेंट्रल मार्केट में आज वह दृश्य था, जिसे देखकर पत्थर दिल भी पिघल जाए। आवास विकास की टीम ने दूसरे दिन की कार्रवाई में कॉम्प्लेक्स संख्या 661/6 को जमींदोज़ कर दिया।
ईंट-पत्थर के ढेर में तब्दील हुई दुकानें और उनकी राख में झांकती उम्मीदें… वहीं खड़े थे वे व्यापारी जिनकी मेहनत, जिनके सपने, जिनकी रोज़ी-रोटी आज बुलडोज़र की गड़गड़ाहट में दबकर रह गई।
आंखों में आंसू, दिल में बेबसी - यही थी सेंट्रल मार्केट की तस्वीर। एक व्यापारी ने रोते हुए कहा, “हमने कभी सोचा नहीं था कि भाजपा की सरकार में, जिस पार्टी को हमने अपना माना, उसी के राज में हमें अपने ही घरों की तरह बसे दुकानों को यूं बर्बाद होते देखना पड़ेगा।”
आवास विकास के सर्वे में अब 1500 दुकानें अवैध बताई गई हैं। यह खबर सुनते ही पूरे मेरठ के व्यापारियों में दहशत और ग़ुस्सा दोनों फैल गया है। हर दुकान, हर गली में एक ही सवाल गूंज रहा है “क्या मेहनत से कमाया सब कुछ अब कागज़ के एक टुकड़े पर अवैध कहलाएगा?”
व्यापारी अब एकजुट हो गए हैं। सेंट्रल मार्केट को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। व्यापारियों का कहना है कि जब तक जिला प्रशासन और आवास विकास विभाग लिखित में यह भरोसा नहीं देता कि आगे कोई कार्रवाई नहीं होगी, तब तक कोई अपनी दुकानें नहीं खोलेगा।
आज मेरठ के इस सबसे पुराने बाजार की दीवारें टूटी हैं,
पर उससे भी ज़्यादा टूटा है —
उन व्यापारियों का विश्वास, जिन्होंने पीढ़ियों से इस बाजार को अपनी पहचान बनाया था।