
शामली में दगा मार वाहनों का राज आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस की मिली भगत
शामली में डग्गामार वाहनों का राज! आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस की खुली मिलीभगत – योगी सरकार की सख्ती को दी जा रही खुली चुनौती
शामली। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही प्रदेश में अवैध कारोबार, भ्रष्टाचार और कानून तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दे चुके हों, लेकिन शामली जिले में प्रशासनिक मशीनरी पर उनका सख्त रवैया असरहीन साबित हो रहा है।
जनपद के बुढ़ाना फाटक से लेकर रेल पार तक सड़कों पर डग्गामार वाहनों का आतंक पसरा हुआ है। प्राइवेट नंबर वाली टैक्सियाँ और छोटी गाड़ियाँ सवारियों को खुलेआम बैठाकर किराया वसूलती घूम रही हैं।
इनमें न तो परमिट है, न बीमा, न फिटनेस — फिर भी ये सड़क पर बेखौफ दौड़ रही हैं, मानो शामली में किसी कानून का डर ही न हो!
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह पूरा गोरखधंधा आरटीओ शामली और ट्रैफिक पुलिस की मिलीभगत से चल रहा है। पुलिसकर्मी और परिवहन विभाग के अधिकारी अवैध कमाई की खातिर आँखें मूँदकर बैठे हैं।
आम जनता की सुरक्षा, यातायात व्यवस्था और शासन की साख — सब दांव पर लग चुकी है।
इन डग्गामार वाहनों ने रोडवेज और निजी बस संचालकों का कारोबार चौपट कर दिया है। जहाँ सरकार यात्रियों को सुरक्षित और नियमानुसार यात्रा की सुविधा देना चाहती है, वहीं कुछ अधिकारियों की लापरवाही ने पूरे सिस्टम को मज़ाक बना दिया है।
यात्रियों ने बताया कि ये वाहन हर चौराहे और मोड़ पर सवारियाँ बिठाने के लिए रुक जाते हैं, जिससे दिनभर भीषण जाम की स्थिति बनी रहती है। स्कूल जाने वाले बच्चे, ऑफिस जाने वाले लोग और आपातकालीन सेवाएँ तक प्रभावित होती हैं।
लोगों ने सवाल उठाया —
➡️ जब मुख्यमंत्री खुद भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों पर जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं,
➡️ तो शामली में यह डग्गामार साम्राज्य किसकी अनुमति से चल रहा है?
➡️ आखिर इन वाहनों के पीछे कौन-सी “छत्रछाया” है, जो कानून को भी ठेंगा दिखा रही है?
स्थानीय नागरिकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, परिवहन मंत्री और डीजीपी उत्तर प्रदेश से मांग की है कि शामली में आरटीओ कार्यालय और ट्रैफिक पुलिस की कार्यप्रणाली की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।