
जितेन्द्र जायसवाल नागदा जिला उज्जैन मध्य प्रदेश
*वीआईपी के महाकाल???*
*आम श्रद्धालुओं को गर्भगृह में कब मिलेगा प्रवेश*
*वीआईपी के महाकाल???*
*आम श्रद्धालुओं को गर्भगृह में कब मिलेगा प्रवेश*
*महाकाल को कैद से मुक्त करने की मुहिम चलाई जाना चाहिए*
*सप्ताह में एक या दो दिन के लिए गर्भगृह में प्रवेश मिले*
साधु और पुजारी के विवाद के मध्य आम जनता की बात कोई उठाने और सुनने वाला नहीं है। वीआईपी के लिए पलक पावड़े बिछाकर स्वागत करने वाले मंदिर समिति और भाजपा सरकार को आम श्रद्धालुओं के लिए भी सोचना चाहिए। सप्ताह में एक या दो दिन श्री महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश शुरू किए जाना चाहिए जिससे मंदिर में दर्शन के नाम पर चल रही दुकानदारी ख़त्म हो जाएगी।
सोचने वाली बात है मंदिर में करोड़ों रुपए लगाकर जमानेभर के तामझाम और झांकी मंडप बैंड बाजे और जाने क्या क्या नौटंकी आदि की जा रही है जिससे आम श्रद्धालुओं को कोई लेना देना नहीं है। देशभर से श्रद्धालु यहां सिर्फ़ महाकाल बाबा को स्पर्श करने उनको धोक देने आते हैं लेकिन मंदिर के पूरी तरह आधुनिकीकरण और वी आई पी करण के कारण बाबा के दर्शन करना एक बड़ी चुनौती से कम नहीं होता। कई बार तो गर्भगृह गेट के सामने पुजारी और वी आई पी लोगों के खड़े हो जाने के कारण ज्योतिर्लिंग शिवलिंग की एक झलक भी श्रद्धालुओं को नहीं मिल पाती। बुजुर्ग श्रद्धालुओं को दूर से दर्शन करने में परेशानी महसूस होती है।
खास बात यह भी है कि अब मंदिर परिसर का लंबा चौड़ा विस्तार भी हो गया है और सुरक्षाकर्मी की भारी भरकम फौज, बड़े बड़े अधिकारी की नियुक्ति होने के बाद भी श्रद्धालुओं को गर्भगृह में शासन प्रशासन दर्शन करवाने में असमर्थ है तो यह न बड़े शर्म की बात है बल्कि सरकार का बड़ा फेल्यूअर ही कहा जाएगा।
देशभर से दूर दूर से श्रद्धालु यहां झांकी मंडप देखने नहीं आते उनको तो बाबा को नज़दीक से दर्शन करने से मतलब है । सीधे तौर पर देखा जाए तो आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर में गर्भगृह में प्रवेश बंद कर शासन प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से बच रहा है? तो फिर क्यों करोड़ों रुपए सुरक्षा कर्मियों पर बर्बाद किया जा रहा है? बड़े पैमाने पर हुए विकास कार्यों के बावजूद आम आदमी को गर्भगृह में प्रवेश नहीं मिलता तो किस काम के हैं ये विकास कार्य। शासन प्रशासन इतना ध्यान रखे की महाकाल मंदिर कोई म्यूजियम नहीं है। यहां श्रद्धालु सिर्फ़ दर्शन करने आ रहे हैं कोई प्रदर्शनी देखने नहीं।
चकाचौंध से हटकर महाकाल मंदिर में गर्भगृह में दर्शन करने के लिए सप्ताह में एक या दो दिन प्रवेश दिया जाय। पूर्व में भी मंगलवार को एक दिन गर्भगृह में प्रवेश की व्यवस्था शुरू की गई थी। जिस दिन गर्भगृह में आम लोगों को प्रवेश मिलना शुरू हो गया उसी दिन से महाकाल मंदिर में दर्शन के नाम पर चल रही धंधेबाजी ख़त्म हो जाएगी क्योंकि बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को इन प्रतिबंध और नियमों का डर दिखाकर ही ठगा जाता है। मंदिर को ठगी का केंद्र बनने से बचाने के लिए आम जनता के हित में निर्णय लिया जाय। वरना अब तो महाकाल मंदिर को एक संगठित गिरोह के सदस्य अपनी जागीर समझने लगे हैं।