logo

*!! तपस्वी नमी मुनि!!* लिपिबद्ध ............... ✍.....मोहन भन्साली

*!! तपस्वी नमी मुनि!!*

लिपिबद्ध ............... ✍.....मोहन भन्साली

बीकानेर, 29 अगस्त 2025।
श्रीमद् जयाचार्य प्रवर द्वारा (मुनि अवस्था) में सिंचित!पंचमाचार्य श्री मघवा गणी और साध्वी प्रमुखा श्री गुलाबांजी की जन्मस्थली व साध्वीश्री छोगाजी, साध्वीश्री वन्दना जी एवं साध्वीश्री लाडाजी की निर्वाण स्थली जो कि थली प्रदेश में बीदासर की उर्वरा भूमि वीरों की राठौड़ी भूमि जानी जाती है। जहां पर "वृद्ध साध्वी सेवा केन्द्र" जैसी असाधारण सेवाऐं प्रवाहिमान है। ऐसी पवित्र तपोभूमि पर विक्रम संवत 2007 आसोज सुदी 8 सन् 1950 को श्री श्रीचंद जी नाहटा के घर आंगन में मातुश्री हीरा बाई की कुक्षि से जिन शासन की प्रभावना में एक पुण्यवान शिशु ने जन्म लिया। जिसका नाम नौरतन रखा गया। संस्कारी माता पिता ने दो भाई और छ बहनों के साथ बालक में अच्छे संस्कारों का बीजारोपण किया।

मातुश्री हीरा बाई, धर्मपत्नी बिमला देवी, 3 पुत्र व पुत्र वधुएं बबीता-मनोज, भावना-अशोक व प्रीति-संजय और 3 पौत्र संयम, श्रेयांस व सम्यक तथा दो पौत्री परी व श्रृष्टि आदि से श्री सम्पन्न व वैभवशाली परिवार को छोड़कर 66 वर्षीय मुमुक्षु नौरतन ने विक्रम संवत 2073 आषाढ़ शुक्ला 9 दिनांक 13.07.2016 को गुवाहाटी असम में परम् श्रद्धेय आचार्य श्री महाश्रमणजी के कर कमलों द्वारा जैन भागवती दीक्षा ग्रहण कर संयम रत्न को प्राप्त किया।

आपने गृहस्थ जीवन में 11 व 15 दिनों की तपस्याएं की।

महातपस्वी दूरदृष्टा श्रद्धेय आचार्य श्री महाश्रमणजी ने अनन्त अनन्त कृपा करके सिलीगुड़ी मर्यादा महोत्सव 2017 में आपको उग्रविहारी, तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमार जी की सेवा में उत्तरोत्तर आध्यात्मिक विकास का आशीर्वाद प्रदान किया।

भिक्षु तपोवन को गौरवान्वित करते हुए 75 वर्षीय नमी मुनि नैतिकता की शक्तिपीठ पर परम श्रद्धेय गुरुदेव के आशीर्वाद से उग्रविहारी, तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमार जी के सान्निध्य में बोथरा भवन गंगाशहर की तपोभूमि पर जेठ मासी गर्मी के बावजूद मात्र सवा पांच महीने में 39, 22, 23 व 24 दिनों की मोटी-मोटी तपस्याओं के चार थोकड़े का किर्तिमान बनाया और अब तेरापंथ भवन गंगाशहर चातुर्मास प्रवास में 1 से 39 दिनों की तपलड़ी की सघन साधना से आगे बढ़ने में प्रवाहिमान होते हुए आज दिनांक 29.08.2025 को भगवती संवत्सरी महापर्व पर 38 दिनों की तपस्या के साथ प्रवर्धमान है। ज्ञात रहे इस तपलड़ी में 17 दिनों की तपस्या बाकी है।

तपोमूर्ति मुनिश्री जी के सान्निध्य में मुनि जीवन के मात्र 9 वर्षों के अल्पकाल में 62 और 51 दिनों की तपस्याएं की, 31 व 28 दिनों की 2-2 बार तपस्याएं की और 27 दिनों की 3 बार तपस्याएं करके लंबी-लंबी तपस्याओं का इतिहास बनाते हुए आप दृढ़ मनोबल से कंचन सी काया को निर्मल बनाने के उद्देश्य से कर्म निर्जरा में लीन रहते हुए अधिकांशतः मौन और एक घंटा ध्यान साधना के दुष्कर मार्ग पर गतिशील हैं।

तपस्याकाल में भी आपने लगभग 30 हजार किलोमीटर तक की पद यात्राएं की। जिसमें एक दिन में 58 किलोमीटर तक का लंबा लंबा पैदल विहार करते हुए नागालैंड, मेघालय, असम, बिहार, बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान आदि केन्द्रीय शासित प्रदेशों और प्रान्तों में "चरैवेति चरैवेति" मंत्र को आत्मसात कर चरण स्पर्श कर चुके हैं।

भगवान महावीर का संदेश है कि जो अहिंसा, संयम और तप में रमण करता है। वह मोक्ष मार्ग के लक्ष्य पर जल्दी पहुंच सकता है। श्रृद्धास्पद तपोमूर्ति मुनिश्री ने महती कृपा करके मुझे भगवान महावीर का उत्कृष्ट मार्ग बतलाया और तप की यात्राओं में अकल्पनीय सहयोग देकर प्रतिक्रमण, प्रतिलेखन, पलेवना और स्वयं के द्वारा स्वयं के कार्यों को संपादित करने की कला सिखाई और समय-समय पर आध्यात्मिक संपोषण देकर मेरी भावना को सुदृढ़ बनाया।
ऊं अर्हंम्
संकलन एवं लिपिकार ::
मोहनलाल भन्साली "कलाकार"
गंगाशहर, बीकानेर! राजस्थान
दिनांक:: 29.08.2025
मो. 7734968551

5
151 views