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ग्राम खुटेरी में 3 किसानों का हुक्का-पानी बंद, खसरा नंबर 200/1 पर बाकी अतिक्रमण को आशीर्वाद!

राजनांदगांव। खुटेरी गांव का खसरा नंबर 200/1 इन दिनों पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां अतिक्रमण हटाने के नाम पर जो खेल चल रहा है, उसने गांव की राजनीति और पक्षपात दोनों की पोल खोल दी है।
बीते दिनों खुटेरी के ग्रामीण और सरपंच कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और दावा किया कि गांव में केवल तीन किसानों ने अतिक्रमण हटाया नहीं है। प्रशासन तक शिकायत पहुंची और गांव में माहौल गरम हो गया। लेकिन कलयुग के भारत की टीम जब मौके पर पहुंची, तो तस्वीर बिल्कुल अलग दिखी।
जांच में सामने आया कि खसरा नंबर 200/1 पर सिर्फ तीन किसानों का ही नहीं, बल्कि और भी कई लोगों का अतिक्रमण है। फर्क बस इतना है कि गांव ने और प्रशासन ने आंख मूंद ली है। सारा गुस्सा और कार्रवाई का निशाना केवल तीन किसानों पर टिक गया है।
हालात यह हैं कि उन तीन किसानों का गांव में हुक्का-पानी तक बंद कर दिया गया है। उनसे कोई बातचीत नहीं करता, न ही गांव की दुकान वाले उन्हें सामान बेचते हैं। मजबूरी में छोटे-छोटे सामान के लिए भी उन्हें गांव से बाहर जाना पड़ता है। यानी अतिक्रमण का बहाना बनाकर गांव ने उन्हें “सामाजिक बहिष्कार” की सजा दे दी है।
पीड़ित किसानों का साफ कहना है – “हम अतिक्रमण हटाने को तैयार हैं, लेकिन शर्त सिर्फ इतनी है कि कार्रवाई सब पर बराबर हो। सबका गिरे तो हमारा भी गिरे। हमें अकेले बलि का बकरा क्यों बनाया जा रहा है?”
गांव के इस रवैये ने प्रशासन की कार्रवाई पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर क्यों खसरा नंबर 200/1 में बाकी अतिक्रमण पर कोई आंच नहीं आती? क्यों सिर्फ तीन किसानों को ही टारगेट बनाकर गांव और शासन दोनों दबाव बना रहे हैं?
खुटेरी की यह जंग अब प्रशासन की निष्पक्षता और गांव की सामाजिक न्याय व्यवस्था दोनों के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी है।

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