कर्तव्य ही आरंभ है, कर्तव्य ही प्रारब्ध है।
करूणा और कर्मणता के स्नेहसूत्र में बंधा कर्म… यही तो है कर्तव्य।
सपनों का
कर्तव्य ही आरंभ है, कर्तव्य ही प्रारब्ध है।
करूणा और कर्मणता के स्नेहसूत्र में बंधा कर्म… यही तो है कर्तव्य।
सपनों का साथ है — कर्तव्य।
संकल्पों की आस है — कर्तव्य।
परिश्रम की पराकाष्ठा है — कर्तव्य।
हर जीवन में जो ज्योति जला दे, वो इच्छाशक्ति है — कर्तव्य।
करोड़ों देशवासियों की रक्षा का आधार है — कर्तव्य।
माँ भारती की प्राण-ऊर्जा की ध्वज वाहक है — कर्तव्य।
‘नागरिक देवो भव’ का जाप है —कर्तव्य।
राष्ट्र के प्रति भक्ति भाव से किया हर कार्य है — कर्तव्य।
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी