मगही भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव बिहार सरकार भेजे, केंद्र में हमारी जिम्मेदारी: जीतनराम मांझी।
मगही भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव बिहार सरकार भेजे, केंद्र में हमारी जिम्मेदारी: जीतनराम मांझी
आज मगही अकादमी, गया तथा मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ (IQAC) के संयुक्त तत्वावधान में आज "मगही महोत्सव सह डॉ. रामप्रसाद सिंह मगही अंतरराष्ट्रीय सम्मान समारोह" का भव्य आयोजन विश्वविद्यालय के डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन सभागार में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसे केंद्रीय मंत्री व गया सांसद श्री जीतनराम मांझी, बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. गिरीश कुमार चौधरी, पाटलिपुत्रा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. उपेंद्र नाथ सिंह, मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.पी. शाही, पूर्व विधान पार्षद व प्रख्यात साहित्यकार श्री प्रेम कुमार मणि, आयोग सदस्य श्री सुशील कुमार सिंह, तथा मगध विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति बी.आर.के. सिन्हा ने संयुक्त रूप से संपन्न किया।
कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय कुलगीत से हुई, इसके पश्चात अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ और स्वागत गीत के माध्यम से किया गया।
पूर्व प्राचार्य डॉ. रामसिन्हासन ने डॉ. रामप्रसाद सिंह को "मगध का दधीचि" और "मगही के भारतेंदु" की उपाधि दी तथा उनके जीवन और साहित्यिक योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला।
प्रेम कुमार मणि ने मगही भाषा को रोजगार उन्मुख बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि "मगही महज एक भाषा नहीं, अपितु एक समृद्ध संस्कृति है जिसने सम्पूर्ण भारत को प्रभावित किया है।"
डॉ. ऋतुराज आनंद (सहायक प्राध्यापक, दिल्ली विश्वविद्यालय) ने मगध क्षेत्र को मौन क्रांति की भूमि बताते हुए मगही लोक-साहित्य के संकलन एवं संरक्षण पर बल दिया।
डॉ. उपेंद्र नाथ वर्मा (सदस्य, बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग) ने आग्रह किया कि मगही अकादमी को सरकारी संरक्षण में लिया जाए, ताकि इसकी विकास यात्रा सुनिश्चित हो सके।
आयोग के अध्यक्ष डॉ. गिरीश कुमार चौधरी ने नई शिक्षा नीति के तहत क्षेत्रीय भाषाओं के संवर्धन की दिशा में हो रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि मगही को रोजमर्रा की भाषा में अपनाना ज़रूरी है।
प्रो. एस.पी. शाही, कुलपति मगध विश्वविद्यालय, बोधगया ने बताया कि विश्वविद्यालय की लंबित परीक्षाओं को निपटाते हुए पिछली एक दशक से लंबित सत्रों को नियमित किया गया है। उन्होंने घोषणा की कि इसी सत्र से विश्वविद्यालय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की पढ़ाई आरंभ की जाएगी, जिस पर ₹22 करोड़ से अधिक की राशि खर्च होगी। यह विश्वविद्यालय देश का पहला ऐसा संस्थान बनेगा जहाँ AI की पढ़ाई इतनी व्यापक स्तर पर प्रारंभ हो रही है।
प्रो. उपेंद्र नाथ सिंह, कुलपति, पाटलिपुत्रा विश्वविद्यालय ने कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं को बचाना हमारी पीढ़ियों की विरासत को संजोना है।
केंद्रीय मंत्री श्री जीतनराम मांझी ने अपने मगही संबोधन में कहा, “हम त जहंवा जाई, मगही में बोले-बतियाई। हमनी सब मगहिया लोगन के चाही कि अपने-अपने बीच अप्पन भाषा में बातचीत करी।”
उन्होंने मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार से आग्रह किया कि मगही को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव बिहार विधानसभा से पारित कर केंद्र को भेजें, ताकि वह स्वयं प्रधानमंत्री से इस संबंध में वार्ता कर सकें।
इस अवसर पर नेपाल रेडियो के मगही समाचार वाचक श्री फुलगेन मगही, जहानाबाद के नाट्यकर्मी श्री मिथिलेश सिंह एवं नवादा के साहित्यकार श्री गोपाल प्रसाद 'निर्दोष' को “डॉ. रामप्रसाद सिंह मगही अंतरराष्ट्रीय साहित्य सम्मान” से सम्मानित किया गया।
मंच संचालन डॉ. उपेंद्र नाथ वर्मा (सचिव, मगही अकादमी गया एवं सदस्य, बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग) ने किया। समारोह के अंतिम सत्र में मगही कवि सम्मेलन आयोजित हुआ जिसमें क्षेत्र के प्रमुख कवियों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं।
इस आयोजन में प्रो. ब्रजेश राय (विभागाध्यक्ष, हिंदी-मगही विभाग), परम प्रकाश राय, डॉ. राकेश कुमार रंजन, डॉ. अम्बे कुमारी, मगही साहित्यकार श्री मुंद्रिका सिंह, अलखदेव प्रसाद अचल, सुमंत, अरुण हरलिवाल, बिपिन बिहारी, रजनीकांत, सरिता कुमारी, कुणाल किशोर, दीपक दांगी, डॉ. राकेश सिन्हा ‘रवि’, संजीत बकथरिया सहित हजारों की संख्या में विद्वतजन, साहित्यप्रेमी एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।