
बिहार के दरभंगा जिले के दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों के साथ गलत व्यवहार किया जा रहा है। जब मरीज आपातकालीन स्थिति में आते हैं, तो उन्हें बिना इलाज के वार्ड में भेज दिया जाता है, और इस प्रक्रिया में उनकी मौत हो जाती है।
बिहार के दरभंगा जिले के दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों के साथ गलत व्यवहार किया जा रहा है।
1. जब मरीज आपातकालीन स्थिति में आते हैं, तो उन्हें बिना इलाज के वार्ड में भेज दिया जाता है, और इस प्रक्रिया में उनकी मौत हो जाती है।
2. प्रथम वर्ष के मेडिकल छात्रों से मरीजों का इलाज कराया जाता है।
3. रात को 10 बजे के बाद डॉक्टर 11:30 बजे तक अस्पताल में मौजूद नहीं रहते हैं। उन्हें बुलाने में समय लगता है, जिसके कारण मरीज अस्पताल में ही मर जाता है।
4. 5 बेड पर एक नर्स होनी चाहिए, लेकिन यहां 30-40 बेड पर एक नर्स है और नर्स अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर चली जाती है। 10 बार बुलाने पर एक बार जाती है। प्रशिक्षण के लिए आने वाली नर्स छात्राएं सीनियर नर्स की अनुपस्थिति में मरीजों के बीच ही रह जाती हैं। उन्हें यह भी नहीं पता कि इलाज के लिए नर्स को क्या-क्या करना होता है। उदाहरण के लिए ऑक्सीजन ट्रॉली को कर्मचारी लगाता है, फोली को सफाई कर्मचारी लगाता है और उसे भी वही कर्मचारी हटाता है। मरीज को जो चादर दी जाती है, उसे मरीज खुद उठाकर लाता है, यह नर्स का काम है।
5. जो सफाई कर्मचारी बाहर से आते हैं, वे सफाई नहीं करते और जब मरीज व उसके परिजन उनसे सफाई करने को कहते हैं, तो सफाई कर्मचारी मरीज व मरीज के परिजनों से गाली-गलौज व झगड़ा करने लगते हैं।
नोट: बेड न होने का कारण यह है कि मरीज को जमीन पर लिटाकर इलाज किया जाता है।