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सेठिया कोटड़ी में पांच मुमुक्षुओं की दीक्षा आज, मुमुक्षुओं की शोभायात्रा निकली,ओगा बधाई की रस्म हुई भीनासर की रेखा सोनावत अपने दो पुत्रों के साथ लेगी भगवती दीक्षा


बीकानेर,3 जून। साधुमार्गी जैन संघ के श्री सुधर्मा स्वामी के 82 वें पट्टधर के रुप में आचार्य प्रवर रामलालजी महाराज व बहुश्रुत वाचनाचार्य उपाध्याय प्रवर राजेश मुनि आदिठाणा के सान्निध्य बुधवार को सुबह छ बजे सेठिया कोटड़ी में दो बालक व तीन मुमुक्षु ंभगवती दीक्षा लेंगे।
मुमुक्षुओं की मंगलवार रांगड़ी चौक से संयम अनुमोदन यात्रा (शोभायात्रा) निकली जो विभिन्न जैन बहुल्य मोहल्लों से होते हुए सेठिया कोटड़ी पहुंची। पांचों मुमुक्षुओं की हीरालाल, सौभागमल महोपाध्याय माणक चंद रामपुरिया हवेली में ओगा बधाई की रस्म हुई, जिसमें उनको साधु-साध्वी के वस्त्र व उपकरण प्रदान किए गए। वर्षों बाद रामपुरिया हवेली में मुमुक्षुओं, साध्वीवृंद तथा श्रावक-श्राविकाओं के सामूहिक नवकार महामंत्र के जाप व वैराग भावना, रामगुरु की वंदना की गूंज सुनाई दी। श्री अखिल भारतवर्षीय साधुमार्गी जैन संघ महिला ईकाई की सदस्य सुधा रामपुरिया की ओर से सभी आगन्तुओं का सत्कार व स्वागत किया गया।
श्री अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संघ के अहिंसा प्रचारक महेश नाहटा और हेमंत सिंगी ने बताया कि मुमुक्षु हैदराबाद निवासी भीनासर-बीकानेर प्रवासी 39 वर्षीय श्रीमती रेखा सोनावत अपने दो पुत्रों मयंक 17 वर्ष व हार्दिक 13 वर्ष के साथ तथा डोडी, लोहारा की मुमुक्षु सुश्री नेहा डोसी व मुमुक्षु सुश्री साक्षी भंसाली बुधवार को सुबह दीक्षा ग्रहण करेंगी। आचार्यश्री के सान्निध्य में अब तक 431 मुमुक्षुओं ने दीक्षा ग्रहण की है। बुधवार को 5 मुमुक्षुओं के दीक्षा के बाद यह संख्या 436 हो जाएगी। इस वर्ष 500 मुमुक्षुओं को दीक्षित करने की भावना है।
शोभायात्रा में श्रावक-श्राविकाएं गुरु व धर्म तथा मुमुक्षुओंं का जयकारा लगा रहे थे। कई श्रावक-पंचरंगी ध्वज हाथ में उठाएं हुए थे वहीं देश के विभिन्न इलाकों से आए मुमुक्षुओं के परिजन गले में पहचान पत्र डाले, मुंह पति लगाए हुए चल रहे थे। वहीं मुमुक्षु व उनके परिजन रथ पर सवार थे वहीं कई मुमुक्षु व उनके परिजन पैदल नंगें पांव चल रहे थे। शोभायात्रा में शामिल श्रावक-श्राविकाओं का अल्पहार से सत्कार किया गया।
सेठिया कोटड़ी में आचार्य प्रवर श्री रामलालजी महाराज ने मुमुक्षुओं सहित विभिन्न तरह की तपस्याएं करने वाले श्रावक-श्राविकाओं को पचखान (संकल्प) दिलाया तथा मंगल पाठ सुनाकर जीव मात्र के कल्याण का संदेश दिया। बहुश्रुत वाचनाचार्य उपाध्याय प्रवर राजेश मुनि ने प्रवचन में कहा कि मन की कमजोरी को दूर कर अंतर मन से मजबूत बने तथा अपने आचरण को शुद्ध व निर्मल बनावें। मन शरीर का प्रतिबिम्ब है अच्छा कार्य करने पर मन में अच्छाई बढ़ जाएगी। तीर्थकरों ने भी चार शुद्धि में आचरण शुद्धि को महत्वपूर्ण बताया है। ज्ञान का अर्थ भी नकली व असली आचरण का भेंद को जानकर अपने आचरण को निर्मल बनाना तथा धर्म-आध्यात्म में लगाकर मोक्ष के परम लक्ष्य की ओर अग्रसर होना है। संयम के आचरण की ज्योति भीतर से प्रकट होती है। यह ज्योति अंतर का प्रकाश शांति, शुकुन के साथ धर्म-आध्यात्म के मार्ग को प्रकट करती है। सही गुरु ही आत्म ज्योति को प्रकाशित करने का रास्ता बताते हैं।
ओगा बधाई कार्यक्रम में नवकार मंत्र की गूंज-
हैदराबाद प्रवासी भीनासर, बीकानेर निवासी मुमुक्षु रेखा सोनावत, उनके दो पुत्रों मयंक व हार्दिक, डोडी, लोहारा की मुमुक्षु सुश्री नेहा डोसी व मुमुक्षु सुश्री साक्षी भंसाली के परिजनों ने नवकार महामंत्र के जाप व वैराग्य भावना के गीतों के साथ मुमुक्षुओं को पांच महाव्रत धारण करने में उपयोग ली जाने वाली वस्तुओं ओगा, वस्त्र, मुंहपति, पात्रा आदि सामग्री प्रदान की।
मुमुक्षु रेखा सोनावत के पिता शांति लाल व माता जेठी देवी बैद ने बताया कि उनकी पुत्री का विवाह 18 वर्ष पूर्व विनीत सोनावत के साथ हुआ था। बचपन से ही उच्च कोटी के संस्कार, शिक्षा व धर्म-आध्यात्म के प्रति समर्पण से पांच महाव्रत का आत्म कल्याण का कठिन मार्ग चुन लिया। ससुराल व पीहर पक्ष में अन्न-धन का भंडार है, इन सबको त्याग कर देव, गुरु व धर्म की कृपा व उच्च मनोबल से संयम मार्ग अंगीकार कर रहे है। मुमुक्षु रेखा की मौसी पाना देवी सुमेरमल दफतरी, अमरादेवी व संजू तथा भाई भाभी प्रदीप मीतू, पवन मंजू तथा सास सुशीला देवी का मन भारी होने के बावजूद मुमुक्षुओं के सांसारिक मोह बंधन का त्याग कर संयम मार्ग अंगीकार करने पर चेहरों पर गर्व भावना झलक रही थी। बीकानेर में साधुमार्गी जैन संघ के यह पहला मौका है जब एक माता अपने दो बाल पुत्रों के साथ दीक्षा ग्रहण कर रहे थे। मुमुक्षु रेखा के पिता ने बताया कि उनके जवांई विनीत सोनावत का हैदराबाद में अच्छा रसायन का कार्य है, उनकी भी भावना दीक्षा लेने की थी लेकिन कुछ व्यक्तिगत कारणों से अपनी पत्नी व दो पुत्रों के साथ दीक्षा नहीं ले सके। बाहर से आने वाले श्रावक-श्राविकाओं तथा करीब 200 मुनि व साध्वी, वैरागी बहनों के आवास, भोजन की व्यवस्था स्थानीय संघों ने विभिन्न स्थानों पर की गई है। इस अवसर पर श्री अखिल भारत वर्षीय साधुमार्गी जैन संघ के अध्यक्ष नरेन्द्र गांधी, पूर्व अध्यक्ष जयचंद लाल डागा सहित राष्ट्रीय व स्थानीय संघ के पदाधिकारी मौजूद थे। वरिष्ठ श्रावक सुशील बच्छावत व महेश नाहटा ने मुमुक्षओं का परिचय दिया ।

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