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सन 1884 में अंग्रेजों के जमाने में 141 साल पहले खुले जिले व पेण्ड्रा के पहले प्रायमरी स्कूल को मर्ज करने का शासनादेश हुआ जारी…,जिस धरोहर को सर्व सुविधा युक्त “शिक्षा का मॉडल” बनाया जाना चाहिए था, युक्तियुक्तकरण के नाम पर हुए भर्राशाही ने ऐतिहासिक स्कूल के नाम के स्वतंत्र अस्तित्व को मिटा दिया…,1884 में एक साल से ज्यादा समय तक एक ही छात्र का दाखिला था तब भी अंग्रेजों ने स्कूल चालू रखा था, जिले में अब 68268 विद्यार्थी…,141 साल से स्कूल का दाखिला खारिज रजिस्टर आज भी सुरक्षित…

पेण्ड्रा।गौरेला।मरवाही (Daily scope 24/31 मई 2025) :
युक्तियुक्तकरण के नाम पर सरकारी स्कूलों को बंद करने की भर्राशाही में शासन और प्रशासन के मानसिक दिवालियापन का उदाहरण देखने को मिला है, जब जीपीएम जिले के पेण्ड्रा नगर के सबसे पुराने 141 साल पहले 1884 में अंग्रेजों के जमाने में खुले जिले के सबसे पहले प्रायमरी स्कूल को पूर्व माध्यमिक शाला में मर्ज करने का आदेश लोक शिक्षण संचालनालय रायपुर छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा जारी कर दिया गया है। इससे इस स्कूल का स्वतंत्र अस्तित्व समाप्त हो जाएगा और अब इसे पूर्व माध्यमिक शाला के नाम से जाना जाएगा। शिक्षा की सबसे पुरानी पहचान को मिटाने के इस आदेश से नागरिकों में शासन प्रशासन के खिलाफ आक्रोश बढ़ रहा है, क्योंकि इस स्कूल से जन भावना जुड़ी हुई है।

जिस ऐतिहासिक स्कूल को सर्व सुविधा से संपन्न करके “शिक्षा के मॉडल” के रूप में स्थापित करना चाहिए था, शासन की नीति ने उस स्कूल के नाम का अस्तित्व ही मिटा दिया है।

बता दें कि अविभाजित बिलासपुर जिले में पेण्ड्रा ऐतिहासिक महत्व का नगर है, क्योंकि भारत देश की आजादी से पहले यह छत्तीसगढ़ राज्य के 36 गढ़ों में से 7 गढ़ों का मुख्यालय था। वर्तमान का पूरा जीपीएम जिला पेण्ड्रा जमींदारी (पेण्ड्रा गढ़) के अंतर्गत आता था। अंग्रेजों ने 141 साल पहले 03 जुलाई 1884 को ऐतिहासिक नगरी पेण्ड्रा में प्रायमरी स्कूल खोला था। ये स्कूल जीपीएम जिले का सबसे पहला स्कूल था। उस समय लोगों में शिक्षा के प्रति ज्यादा जागरूकता नहीं थी इसलिए इस स्कूल के खुलने के बाद एक ही छात्र इस स्कूल में एक साल से अधिक समय तक अकेला ही पढ़ाई करता रहा। लेकिन उसके बाद भी अंग्रेजों ने कभी यह नहीं सोचा कि इस स्कूल में सिर्फ एक छात्र का दाखिला है, इसलिए इस स्कूल को बंद कर दिया जाए। यदि अंग्रेज भी उसे समय यह सोच लेते की पढ़ने के लिए बच्चे नहीं मिल रहे हैं, तो यह स्कूल उसी दौरान बंद हो जाता लेकिन स्कूल चालू रहा और समय के साथ साथ साल दर साल स्कूल में दाखिला बढ़ता चला गया।
पेण्ड्रा नगर सहित आसपास क्षेत्र के हजारों लोग इस स्कूल से पढ़कर अपना भविष्य संवारे हैं। इस स्कूल से लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। दस साल पहले यह स्कूल खंडहर में तब्दील होने लगा था तो तत्कालीन नगर पंचायत अध्यक्ष अरुणा गणेश जायसवाल की मांग पर तत्कालीन बिलासपुर जिला कलेक्टर पी दयानन्द ने 11.50 लाख रुपयों की स्वीकृति देकर इस स्कूल का जीर्णोद्धार कराया था।

इस स्कूल को बंद करके उसी परिसर के मिडिल स्कूल में समायोजित कर दिया गया है। समायोजन के बाद इस स्कूल के नाम का स्वतंत्र अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।

आज जिले में 953 स्कूलों में 68268 विद्यार्थी पढ़ते हैं, लेकिन जहां पहले विद्यार्थी ने पढ़ा वो स्कूल बंद

जीपीएम जिले में अब सरकारी और निजी स्कूलों की संख्या 953 है, जिसमें 68268 विद्यार्थी पढ़ते हैं, लेकिन जनपद प्राथमिक शाला जहां पहले विद्यार्थी ने दाखिला लिया था, उस स्कूल को मिडिल स्कूल में समायोजित करने के नाम पर बंद करके उसके स्वतंत्र अस्तित्व को समाप्त कर दिया गया है।
141 साल से स्कूल में दाखिला खारिज रजिस्टर आज भी सुरक्षित

जनपद प्राथमिक शाला (शासकीय प्राथमिक शाला भर्रापारा) यू डाइस कोड 22072202615 को भले ही 141 साल हो गए हैं, लेकिन स्कूल में दाखिला खारिज रजिस्टर तब से लेकर अब तक का आज भी सुरक्षित है। वर्तमान समय में उक्त स्कूल में 48 बच्चे पढ़ते हैं।

लोक शिक्षण संचालनालय ने शिक्षा मंत्रालय के हवाले से जारी किया आदेश

लोक शिक्षण संचालनालय नया रायपुर ने आदेश क्रमांक/83/2025/435/ दिनांक 27 मई 2025 को समायोजित किए गए स्कूलों की सूची सहित आदेश जारी किया है, जिसमें उल्लेखित किया गया है कि समस्त जिला शिक्षा अधिकारी अपने जिलों में छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय महानदी भवन नया रायपुर के 27 मई 2025 को शालाओं के युक्तियुक्तकरण के आदेश पर आवश्यक कार्यवाही करें। उक्त आदेश के साथ संलग्न सूची में पेण्ड्रा नगर के ऐतिहासिक स्कूल जनपद प्राथमिक शाला (शासकीय प्राथमिक शाला भर्रापारा) यू डाइस कोड 22072202615 को पूर्व माध्यमिक शाला भर्रापारा में समायोजित करने का आदेश है।

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