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लद्दाख के 4 सौ बौद्ध श्रद्धालुओं ने हर प्राणी के शांति के लिए किया साष्टांग प्रणाम पूजा, 80 फिट बुद्ध मूर्ति से साष्टांग प्रणाम करते पहुँचे महाबोधि मंदिर।

गया (बोधगया)
स्काईंगचक चुस्कुल त्सोग्स्पा, लद्दाख से आये पूर्ण गोचक के भक्तों ने शुक्रवार को 80 फीट बुद्ध मुर्ति के पास से महाबोधि मंदिर तक साष्टांग प्रणाम की विधि का पालन करते हुए पूजा किया। बोधगया में यह पहली और अनूठा पूजा था। जहां लद्दाख से आये 4 सौ श्रद्धालुओं ने एक साथ सड़कों में साष्टांग प्रणाम करते हुए महाबोधि मंदिर तक पहुंचे। इस दौरान बौद्ध श्रद्धालुओं ने कई मिनटों तक सड़क पर रुक कर एक विशेष मुद्रा में भगवान बुद्ध के मंदिर की ओर मुख कर मंत्रों के साथ प्रणाम भी किया। विशेष मुद्रा तांत्रिक पूजा के दौरान अपने इस्ट भगवान को प्रणाम करने के दौरान किया जाता है। सास्टांग प्रणाम में छोटे-छोटे बच्चों के साथ महिला, पुरुष व बुजुर्ग शामिल थे। इस संबंध में लद्दाख के स्काईंगचक चुस्कुल त्सोग्स्पा संस्था के प्रेसिडेंट सोनम दोरजे ने कहा कि सास्टांग प्रणाम करने वालों में एक भी बौद्ध श्रद्धालु अपने लिए नहीं कर रहा है। यहां बौद्ध श्रद्धालु आकाश के नीचे रहने वाले हर एक जीव-जन्तु के शांति को लेकर प्रार्थना को लेकर सड़को में साष्टांग प्रणाम करते हुए आगे बढ़ रहे है। इस प्रार्थना में शामिल 4 सौ बौद्ध श्रद्धालु पूरे विश्व में रहने वाले हिन्दु, मुस्लिम, जैन, सिंख, पारसी, बुद्धिष्ट सहित आसमान के नीचे रहने वाले हर एक जीव के सूख, शांति को लेकर प्रार्थना की जा रही है। उन्होंने बताया कि हमारी संस्था दूसरे जगहों में इस तरह का पूजा का आयोजन करते है। पहली बार इस तरह की पूजा बोधगया में हो रही है। ऐसे तो महाबोधि मंदिर में अनेको तरह के पूजा का आयोजन किया जाता है। इस तरह के आयोजन से ना सिर्फ बौद्ध श्रद्धालु खूस है। बल्कि बोधगया के लोग भी इस तरह के अनूठी पूजा को देखने के लिए सड़को पर खड़े भी हो गए है।
बौद्ध श्रद्धालु श्रींग दोरजे ने बताया कि विश्व शांति के लिए पूजा किया जाता है। लेकिन विश्व शांति के साथ हमलोग जो लेटकर पूजा कर रहे है। इससे जमीन में रहने वाले किड़े हमारे संपर्क में आते है और उनको भी शांति का एहसास होता है। उन्होंने बताया कि परम पावन दलाई लामा जी का कहना है कि मन की शांति के साथ सभी प्रणी व जीव-जन्तु को भी शांति देने की जरुरत है। हम जो मंत्र का उच्चारण कर रहे है। उसका अर्थ है कि आसमान से धरती तक रहने वाले जीवों की शांति के लिए पूजा की जा रही है। भक्ति का यह पवित्र कार्य चामगोन चेन्मो मोस्लम के सहयोग से किया गया, जो बौद्ध समुदाय की एकता और आध्यात्मिक समर्पण को प्रदर्शित करता है। यह आयोजन बोधगया के स्थायी आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डालता है। एक ऐसा स्थान जो दुनिया भर के बौद्ध समुदायों के बीच आस्था और भक्ति को प्रेरित करता है।

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