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बोधगया में बन रहा है अनुमंडल मिट्टी जांच प्रयोगशाला, बीमार मिट्टी की होगी पीएच, ईसी, ओसी, पोटाशियम, नाइट्रोजन, फास्फोरस की जांच। मृदा स्वास्थ्य कार्ड में रहेगा बीमार मिट्टी को ठीक करने का उपाए, मिट्टी जांच की सुविधा रहेगी निःशुल्क।

गाय (बोधगया)
किसानों की आय दोगुनी करने के लिए भारत सरकार की ओर से कई कवायद किये जा रहे हैं। लागत के अनुरूप अधिक उत्पादन व लाभ दिलाने के लिए मिट्टी की उर्वरा क्षमता का आकलन कर आवश्यकतानुसार उर्वरक का प्रयोग हो। इसके लिए मिट्टी जांच पर पूरा जोर दिया जा रहा है। इसके लिए बोधगया के ई-किसान भवन में अनुमंडल मिट्टी जांच प्रयोगशाला खोलने के लिए केंद्र की स्वीकृति मिली है। बोधगया में मिट्टी जांच प्रयोगशाला खुल जाने के बाद किसानों को मिट्टी जांच कराने में सहूलियत होगी। प्रयोगशाला खोलने के लिए सरकार द्वारा 75 लाख दिया गया है। जिला मिट्टी जांच के सहायक निदेशक रसायन राजीव रंजन यादव ने बताया कि किसानों की परेशानी दूर करने और मृदा परीक्षण को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा वित्तीय कार्यक्रम के तहत मिट्टी परीक्षण के लिए प्रयोगशाला स्थापित करने की योजना शुरू की है। उन्होंने बताया कि प्रयोगशाला का शुभारंभ जल्द दिसंबर महीने में किया जाएगा।
मृदा परीक्षण कृषि के लिए एक प्रभावशाली साधन है, क्योंकि यह गुणवत्ता और पैदावार बढ़ाने के लिए आवश्यक सूचनाएं देता है। मृदा परीक्षण भूमि में पहले से उपस्थित पोषक तत्वों का लाभ उठाते हुए फसल की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उर्वरक की उचित और पर्याप्त मात्रा में खुराक का अनुप्रयोग सुनिश्चित करेगा। अक्सर कई पोषक तत्व जरूरत से ज्यादा डाल दिए जाते हैं, जिसके चलते मिट्टी में असंतुलन पैदा होता है और पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं। मृदा परीक्षण यह पता लगाने में भी मददगार होता है कि समस्या किन क्षेत्रों में है और एक परिपूर्ण पोषण प्रबंधन योजना प्रदान करता है। किसान मिट्टी का परीक्षण जरूर करवाएं और उसी के अनुसार उर्वरकों का संतुलित तरीके से प्रयोग करें।
12 तत्वों की होगी जांच :- राजीव रंजन ने बताया कि किसान मिट्टी की उर्वरा शक्ति व आवश्यकतानुसार खेतों में उर्वरक का प्रयोग कर सके इसके लिए सरकार द्वारा प्रयास किया जा रहा है। आने जाने की समस्या को लेकर अधिकांश किसान मिट्टी जांच नहीं करा पाते हैं। जिसे देखते हुए बोधगया में प्रयोगशाला स्थापित किया जा रहा है। जहां 500 ग्राम मिट्टी को पिसने के बाद उसकी प्रयोगशाला में 12 तत्वों की जांच होगी। इन्हीं 12 तत्वों का प्रयोग खेती के लिए महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने बताया कि प्रयोगशाला में पीएच, ईसी, ओसी, पोटाशियम, नाइट्रोजन , फास्फोरस, सल्फर, जिंक, बोरोन, लोहा या आयरन, मैगनीज व कॉपर की जांच होगी।
मिट्टी की जांच क्यों है जरूरीः- खेती से बढ़िया उत्पादन के लिए मिट्टी की जांच बहुत जरूरी होती है, इसका मुख्य उद्देश्य खेत की जरूरत के अनुसार उसे पोषक तत्व उपलब्ध करवाना है, जिससे कि उत्पादन तक बढ़ेगा ही साथ ही लागत में भी कमी आएगी। सरकार भी मिट्टी की जांच पर खास ध्यान दे रही है। आवश्यकता से कम खाद डालने पर कम उपज मिलेगी और अधिक खाद डालने पर खाद का गलत उपयोग होगा और पैसा भी बेकार जायेगा साथ ही भूमि भी ख़राब होने की संभावना ज्यादा रहती है।
जरुरी है संतुलित उर्वरक का प्रयोग :- देश की बढ़ती हुई जनसंख्या की खाद्यान्न उत्पादन की मांग को पूरा करना एक बहुत बड़ी चुनौती बनती जा रही है। इसके लिए मिट्टी का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। पौधे के विकास के लिए पोषक तत्वों की जरूरत होती है। अधिक पैदावार व लाभ लेने के लिए उर्वरकों का संतुलित मात्रा में प्रयोग आवश्यक है। उर्वरकों का संतुलित मात्रा में प्रयोग करने के लिए मिट्टी का परीक्षण करवाना आवश्यक है। मिट्टी की जांच से पता चलता है कि भूमि में कौन सा पोषक तत्त्व उचित, अधिक या कम मात्रा में है। यदि आप बिना मिट्टी जांच कराए पोषक तत्व डालते हैं तो संभव है कि खेत में जरूरत से अधिक या कम खाद डाल दी जाए।
जांच के लिए 500 ग्राम मिट्टी जरुरी :- राजीव रंजन ने बताया कि सतह से 15 सेमी यानी आधा फुट गहरा गड्ढा खोद कर खुरपे से एक तरफ से उंगली की मोटाई तक का ऊपर से नीचे तक का नमूना काट ले। मिट्टी को बाल्टी या टब में इकट्ठा कर ले इसी तरह सभी स्थानों से नमूना इकट्ठा कर ले व अच्छी तरह मिला लें। अब मिट्टी को फैला कर 4 भागो में बाट लें इन चार भागों में से आमने- सामने के 2 भाग उठा कर फेंक दें, बाकी बचे हुए भाग को फिर से मिला कर 4 भाग कर लें व 2 भाग फेंक दें। बची हुई मिट्टी को मिला लें। यह प्रक्रिया तब तक दोहराएं जब तक हमारे पास 500 ग्राम मिट्टी शेष बचे।
इन मानक में मिट्टी रहेगा स्वस्थ्य :- मिट्टी के परीक्षण में अगर मानक पीएच 6.5-7.5 रहने, ईसी 1 से कम रहने, ओसी 0.5-0.75 रहने, नाइट्रोजन 280-560 रहने, फास्फोरस 10-25 रहने, पोटाश 125-250 रहने, सल्फर 10 से अधिक रहने, जिंक 0.78 से अधिक रहने, बोरोन 0.50 से अधिक रहने, लोहा या आयरन 7.00 से अधिक रहने, मैगनीज 3.00 से अधिक रहने व कॉपर 0.60 से अधिक रहने पर मिट्टी को स्वस्थ माना जाएगा।

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