आज पाश्चात्य संस्कृति सभी के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है
नेपाल केसरी राष्ट्र संत मानव मिलन के संस्थापक डॉ श्री मणिभद्र मुनि जी महाराज ने कहा कि "आओ चले उनके साथ जिन्होंने हमें चलना सिखाया। माता से हमें जिंदगी मिली पिता से हमें पहचान मिली।" यह वाक्य न केवल माता-पिता के प्रति सम्मान और कृतज्ञता का प्रतीक है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाता है कि जीवन में सच्चे मार्गदर्शक कौन होते हैं। माता और पिता का जीवन में योगदान अमूल्य है। उनका आशीर्वाद और मार्गदर्शन हमें जीवन के हर कदम पर सही दिशा दिखाते हैं। हमें उनकी क़ीमत समझनी चाहिए और उनका आदर करते हुए उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए। डॉ श्री मणिभद्र मुनि जी महाराज सेक्टर 15 स्थित श्री एसएस जैन सभा जैन स्थानक में आयोजित चातुर्मास के दौरान आयोजित वरिष्ठ नागरिक सम्मान समारोह एवं माता-पिता पूजन समारोह में उपस्थित भक्तजनों एवं शहर वासियों को संबोधित कर रहे थे।
शहर के सेक्टर 15 श्री एसएस जैन सभा जैन स्थानक में अंतर्राष्ट्रीय मानव मिलन संस्था एवं वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब द्वारा वरिष्ठ नागरिक सम्मान समारोह एवं माता-पिता पूजन समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में भारत ही नहीं बल्कि नेपाल से भी गणमान्य व्यक्ति कार्यक्रम में पहुंचे। कार्यक्रम में बुजुर्ग माता-पिता का बच्चों द्वारा पूजन एवं सम्मान किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पंजाब केसरी ग्रुप की चेयरपर्सन श्रीमती किरण चोपड़ा ने शिरकत की। विशिष्ट अतिथि के तौर पर पूर्व मंत्री कविता जैन एवं मुख्यमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार राजीव जैन मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार एवं वरिष्ठ भाजपा नेता राजीव जैन ने कहा कि परम पूज्य गुरुदेव डॉ श्री मणिभद्र मुनि जी महाराज के सानिध्य में आज बुजुर्गों की सेवा के संकल्प को लेकर माता-पिता पूजन एवं वरिष्ठ नागरिक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि मां-बाप अपने बच्चों को उंगली पड़कर चलना सीखते हैं परंतु आज के आधुनिक युग में बच्चे यह सब भूल रहे हैं और माता-पिता से लगातार दूर होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसी विकृति को दूर करने के लिए महाराज जी द्वारा इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। ताकि बच्चे अपने मां-बाप के करीब आए और उनकी सेवा करें।
पूर्व मंत्री कविता जैन ने कहा कि आज किसी भी व्यक्ति ने भगवान को नहीं देखा है। परंतु यदि धरती पर कहीं भगवान है तो वह हमारे माता-पिता के रूप में मौजूद हैं। जो की जीवन में अपने सभी सुख-दुख त्याग कर अपने बच्चों को आगे बढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि यदि हमें अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाना है और अपने बच्चों में अच्छे संस्कार देने है तो हमें अपने माता-पिता की सेवा करनी होगी। तभी हमारे बच्चे यह देखकर संस्कारवान बनेंगे और बड़े बुजुर्गों की अहमियत समझते हुए उन्हें परिवार में उचित स्थान देंगे। उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व में हमारे देश की संस्कृति सबसे ऊपर है। जिसका श्रेय हमारे पारिवारिक रिश्तों को जाता है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंची पंजाब केसरी ग्रुप की चेयरपर्सन श्रीमती किरण चोपड़ा ने कहा कि आज का युवा वर्ग जो अपने बुजुर्गों को कदमों की धूल समझता है उन्हें समझना चाहिए कि वह कदमों की धूल नहीं बल्कि उनके माथे की शान है। उन्होंने कहा कि हमारा देश भगवान श्री राम एवं श्रवण जैसे महान पुरुषों का देश है। हमारे देश में बुजुर्ग आश्रम जैसे स्थान का कोई अस्तित्व नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा आज सबसे बड़ा पुण्य और सबसे बड़ी सेवा किसी बुजुर्ग की सेवा करनी है।
डॉ श्री मणिभद्र मुनि जी महाराज ने कहा कि आज से 10 वर्ष पहले इसी दिन वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की स्थापना सोनीपत में की गई थी और उसी की तर्ज पर आज वरिष्ठ सम्मान समारोह एवं माता-पिता पूजन समारोह का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि आज सार्वजनिक रूप से कुछ युवाओं द्वारा अपने माता-पिता का मंच के माध्यम से सम्मान किया गया है। इस तरह से सार्वजनिक रूप से किए गए कार्य एक तरह से अपने आप में कानून बन जाते हैं। उन्होंने कहा कि जो रिण हमारे ऊपर मां-बाप का है उसे हम उतार तो नहीं सकते परंतु यह संकल्प लेते हैं कि अपने माता-पिता को किसी तरह से कोई कष्ट नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि आज समाज में मदर्स डे फादर्स डे मना रहे हैं परंतु आज हम सभी ने यहां पर संकल्प लिया है कि आज के दिन को हम माता-पिता पूजन दिवस के रूप में मनाएंगे। हो सकता है आने वाले समय में यह एक आंदोलन का रूप ले और कोई भी बुजुर्ग किसी तरह से दुखी ना हो। उन्होंने कहा कि आज समाज पाश्चात्य संस्कृति का अनुकरण करता है। परंतु हमें समझना चाहिए कि हमारी संस्कृति किसी अन्य देश की संस्कृति से काम नहीं है। हमें अपने बच्चों को सांस्कृतिक तौर पर मजबूत करना है। ताकि हमारे बच्चे जहां भी जाए वहां पर अपनी संस्कृति ना भूले।
कार्यक्रम की आयोजक श्रीमती कुसुम जैन ने बताया कि हमारे पूज्य गुरुदेव डॉ श्री मणिभद्र मुनि जी महाराज द्वारा एक मुहिम चलाई गई है कि हमें अपने माता-पिता का सम्मान करना है। उन्होंने कहा कि आज पाश्चात्य संस्कृति सभी के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सभी व्यक्ति आंख बंद करके पाश्चात्य संस्कृति की ओर भाग रहे हैं। परंतु हमें समझना होगा कि वहां पर सिर्फ हमारा पतन होना है। उसे संस्कृति को हम अपनाकर कभी उभर नहीं सकते। कभी महान नहीं बन सकते। हमें अपने बुजुर्गों के सानिध्य में जो ज्ञान जो संस्कार प्राप्त होंगे वह कहीं अन्य स्थान पर नहीं हो सकते।