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फलों के राजा को भूल गई सरकार

फलों के राजा को भूल गई सरकार

प्रदेश में आम उत्पादकों की अनदेखी; न मिला समर्थन मूल्य, न ही खुले कलेक्शन सेंटर

सेब से हटकर आम को पिछले साल समर्थन मूल्य देने वाली राज्य सरकार इस बार आम को भूल गई है। इस बार न तो आम को कोई समर्थन मूल्य मिला और न ही कलेक्शन सेंटर ही खोले गए, जहां पर किसान अपने आम को बेच सकते। आम का सीजन इस वक्त उफान पर है, लेकिन इनके उत्पादकों को सरकार से कोई राहत नहीं मिल पाई है। प्रदेश में बड़े पैमाने पर आम का उत्पादन होता है। प्रदेश के निचले इलाकों में आम की बड़ी पैदावार होती है, जो इस बार भी है। ऐसे में उत्पादों में सरकार के खिलाफ रोष है। पहले सेब के साथ आम को भी 12 रुपए प्रति किलो समर्थन मूल्य मिला था।

पिछले साल खाली रह गए थे सेंटर

बागबानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि पिछले साल आम का समर्थन मूल्य दिया था और आम खरीद के लिए कलेक्शन सेंटर खोले थे। इसके लिए किसानों की मांग आई थी, लेकिन कलेक्शन सेंटर खाली रहे। वहां पर आम नहीं बेचा गया, जिस कारण इस बार ऐसे सेंटर नहीं खुले हैं। कलेक्शन सेंटर मांग के अनुसार खुलते हैं।

एचपीएमसी के साथ हिमफेड ने खोले थे कलेक्शन सेंटर

एचपीएमसी के साथ हिमफेड ने भी कलेक्शन सेंटर खोले थे। एचपीएमसी ने इसमें 20 सेंटर खोले थे , जबकि इतनी ही संख्या में हिमफेड ने भी केंद्र खोले थे, जिसमें कांगड़ा के देहरा, फतेहपुर, गगल, इंदौरा, जाच्छ, कोटला, कंदरौड़ी, लंबागांव, नगरोटा बगवां, नगरोटा सूरियां, रैहन व शाहपुर शामिल हैं। बिलासपुर में भरोलीकलां, गेहड़वीं, जुखाला, कंदरौर, निहाल व निहारी में केंद्र थे। हमीरपुर में भोरंज, बिझड़ी, हमीरपुर, सुजानपुर व नादौन में केंद्र खुले। सोलन के अर्की व कुनिहार, ऊना के बंगाणा, ऊना व अंब, सिरमौर के धौलाकुआं, पांवटा साहिब, सैनवाला, चंबा के थुलेल, मंडी के जरोल, मंडी, सरकाघाट, धर्मपुर, रखोह, चोलतरा, मढ़ी, सजेयोपिपलू, नोहाली व मच्छायल में कलेक्शन सेंटर खोले गए थे।

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