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मजहबी कट्टरता की सनक नाकाबिले बर्दाश्त!

नमस्कार, आईमा मीडिया में आपका स्वागत है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और हिंदू संगठनों के नेताओं के मर्डर की साजिश के आरोप में शनिवार को सूरत से एक मौलवी मोहम्मद सोहेल उर्फ अबू बकर तीमाल को गुजरात की अपराध शाखा ने अरेस्ट कर जो राजफाश किया है, उससे लगता है कि वुछ लोग मजहबी कट्टरता सनक के शिकार हैं। गुजरात पुलिस के मुताबिक मौलवी सोहेल के टारगेट पर भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा, तेलंगाना के भाजपा विधायक टी राजा, हिंदू सनातन संघ के अध्यक्ष उपदेश राणा और सुदर्शन टीवी के प्रमुख सुरेश चह्वाण थे। पुलिस के मुताबिक मोहम्मद सोहेल की देश विरोधी गतिविधि की गुप्तचर सूत्रों से जानकारी मिली थी। इस पर टीम लगातार नजर रख रही थी। असल में आरोपी को पाकिस्तान और नेपाल के लोगों के साथ एक हिंदू संगठन के नेता के मर्डर के लिए एक करोड़ रुपये की सुपारी देने और पाकिस्तान से हथियार खरीदने की साजिश रचते हुए पकड़ा। आरोपी को पाकिस्तान और नेपाल के उसके आकाओं ने लाओस में एक सिम कार्ड भी उपलब्ध कराया था।

हकीकत तो यह है कि जब कोई शख्स या संगठन किसी व्यक्ति या संगठन से ईर्ष्या करता है या बदले की भावना से काम करने की साजिश रचता है, तब वह यह भूल जाता है कि उसके इन बुरे कर्मों का नतीजा क्या होगा। दो दशक पहले गुजरात में हुए दंगों में हिंदू और मुस्लिम दोनों की मौत हुई थी और अदालतों ने कईं स्तर पर दोषियों को दंड भी दिया है, किन्तु जब इंसाफ करने की जिम्मेदारी खुद ही कोई शख्स या संगठन अपने हाथ में ले ले तो सरकारी एजेंसियों का हाथ तो उसे पकड़ेगा ही। यदि सोहेल न पकड़ा जाता और वह अपने षड्यंत्र में सफल होता तब देश में सांप्रदायिकता की आग तो लगती ही और इस आग में कितने बेगुनाह मारे जाते ,इसका अंदाजा इस मौलवी को शायद नहीं रहा होगा या उसने इस बात की परवाह नहीं की होगी कि उसके षड्यंत्रकारी इरादे का नतीजा कितना वीभत्स होगा!

सोहेल जैसे लोग जो भाजपा और हिंदू संगठनों के खिलाफ हिंसक साजिशअमें शामिल होते हैं उन्हें इस बात का भी अंदाजा नहीं है कि उनके इस वुवृत्य का दुष्परिणाम उनकी समूची कौम के लिए घातक होता!

यदृापि यह कहने की जरूरत नहीं है कि देश का मुस्लिम समाज सोहेल की तरह नहीं सोचता वह अपने विरोध के लिए लोकतांत्रिक तरीके में भरोसा रखता है।

बहरहाल गुजरात की पुलिस ने इस षडांत्रकारी को अरेस्ट तो कर लिया है किन्तु अभी इस बात की जानकारी हासिल करने की जरूरत है कि पाकिस्तान और नेपाल स्थित हैंडलर व सोहेल के बीच इस तरह की डील कराने वाला भारत से बाहर या गुजरात में कौन षड्यंत्रकारी मौजूद है। गुप्तचर एजेंसियां एक-एक कर ऐसे षडयंत्रकारियों को पकड़ेगी तभी सारे मामले खुलकर सामने आएंगे। कहने का सार यह है कि चुनाव के दौरान मौलवी सोहेल के पकड़े जाने के बाद जो विमर्श बना, वह जनमानस को प्रभावित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता हैं। इन्हीं हरकतों से संबंधित खबरों से भी ध्रुवीकरण की स्थिति पैदा होती है और इस तरह की स्थिति के लिए सोहेल जैसे नासमझ​ रिस्पॉंसबिल होते हैं।



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