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राजधानी जयपुर से सटी सांगानेर पंचायत समिति के जगन्नाथपुरा गांव के सरकारी विद्यालय की बिगड़ी दुर्दशा बेबस विद्यार्थियों का भविष्य है अंधकार में।

राजस्थान की राजधानी जयपुर गुलाबी नगर पिंक सिटी के नाम से जाना जाता है ।और यहीं सटा हुआ गांव सांगानेर पंचायत के पास जगन्नाथपुर का सरकारी विद्यालय का बिगड़ी हुई दुर्दशा देख लो सरकार!

जान की बाजी लगाकर पढ़ने को मजबूर बच्चे: जर्जर छत के नीचे बच्चों में दहशत का बना माहौल।बगरू विधानसभा का मामला
जिम्मेंदारो नें ही फेरा मुँह
विकास अधिकारी, जिला कलेक्टर कार्यालय तक लेटर भिजवाये, किसी ने नही ली सुध ।

राजधानी जयपुर से सटी सांगानेर पंचायत समिति के जगन्नाथपुरा गांव के सरकारी विद्यालय का मामला राजधानी जयपुर से मात्र 20 किलोमीटर दुर स्थित जगन्नाथपुरा ग्राम के रा. उ. प्रा. वि. जगन्नाथपुरा गांव की सरकारी स्कूल में पढ़ाई के नाम पर छोटे बच्चों के भविष्य और जिंदगी के साथ हो रहा है खिलवाड़ । सरकारी स्कूल की हालत जर्जर हो चुकी है। स्कूल किसी भी वक्त धराशाई हो सकता है। स्कूल भवन के नाम पर खंडर भवन की छत सड़ चुकी है। कालम झुक गए हैं। आलम यह है कि हाथ लगाने मात्र से छत का मलबा ढह जाता है। बावजूद इसके जर्जर हो चुके भवन में ही स्कूल का संचालन किया जा रहा है।

गौरतलब है कि पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया स्लोगन तो आमतौर पर हर जगह लिखा मिल ही जाता है। लेकिन जर्जर और बरसात में टपकती छतों के नीचे कैसे पढ़ेगा इंडिया। ऐसा ही हाल पंचायत समिति सागांनेर के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय जगन्नाथपुरा का है। जहां बच्चे जर्जर कमरों में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हो रहे हैं।

रा.उ.प्रा.वि जगन्नाथपुरा के भवन के जर्जर कमरों की टपकतीं छतें और उसके नीचे शिक्षा ग्रहण करते 80 बच्चों को देखकर लगता है कि ऐसे बच्चों का भविष्य कैसे सुधरेगा। सुविधा के नाम पर सरकारे सिर्फ खानापुर्ति कर रही है| जर्जर भवनों की मरम्मत के लिए कई बार उच्चाधिकारियों से संपर्क किया गया लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ। स्कूल में प्रधानाचार्य कक्ष के अलावा अन्य 5 कक्ष है जिनमें विद्यार्थियों को पढ़ाया जाता है। इन सभी कक्षों की हालत यह है कि छत का प्लास्टर लगातार गिर रहा है और अब तो छत के सरिये भी दिखने लगे है। विगत 5 वर्षों से भवन की छत जर्जर हो चुकी है , कुछ दिन पहले प्लास्टर का एक हिस्सा पढ़ाई कर रहे बच्चों पर गिर गया गनीमत रही कि कोई बच्चा चोटिल नहीं हुआ।

जयपुर जिले से सटा यह स्कूल एक दूसरे स्कूल के लिए एक नजीर होना चाहिए। लेकिन यहां तो स्थित उलट है।
ग्रामीणों की सरकार से गुहार है कि उनके बच्चो का भविष्य सुधार के लिए स्कूल की दुर्दशा में सुधार किया जाए।

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