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श्री रामचरितमानस के पठन के साथ मनाया गया जन्म दिवस। खंडार कस्बे में आज आधुनिक युग में भी प्राचीन हिंदू धर्म ग्रंथो के

श्री रामचरितमानस के पठन के साथ मनाया गया जन्म दिवस।

खंडार कस्बे में आज आधुनिक युग में भी प्राचीन हिंदू धर्म ग्रंथो के सिद्धांत के साथ में धर्म परायण का प्रेमी परिवार देखे जा रहे हैं। नहीं तो इस आधुनिक युग में अक्सर देखा जा रहा है कि पश्चिमी संस्कृति के सिद्धांतों के अनुसार जन्मदिवस मनाया जाता है। पश्चिमी संस्कृति के सिद्धांतों का बहिष्कार करते हुए। खंडार कस्वा निवासी जितेंद्र गुप्ता ने अपने पुत्र रुद्रांश गुप्ता का 3 अप्रैल 2024 को धर्म परायणता के सिद्धांतों को सम्मान देते हुए। श्री रामचरितमानस के पाठों का पठन एवं धार्मिक प्राचीन हिंदू धर्म ग्रंथो के लेखन के अनुसार विधिवत ईश्वर की पूजा आराधना एवं मंत्र ध्वनियों के साथ में हवन आहुति एवं ब्राह्मण भोजन करवाते हुए। धार्मिक आयोजन संपन्न करते हुए अपने पुत्र रुद्रांश गुप्ता का बड़े हर्ष उल्लास के साथ में जन्मदिवस मनाया है। धार्मिक हिंदू धर्म ग्रंथो के लेखन के अनुसार विधि विधान से मंत्रों की ध्वनि के साथ में ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज कुमार शर्मा के द्वारा धार्मिक आयोजनों को संपन्न किया गया।इस प्रकार से धर्म परायणता के सिद्धांतों से जन्म दिवस मानने से व्यक्ति की आयु दीर्घायु एवं जन्म पत्रिका का में अनिष्टकारी ग्रहों की शांति एवं पितृदोष वाधा निवारण एवं कुल पितृ देव शांति एवं ऊपरी गलत शक्तियों की कुदृष्टियों से सुरक्षा एवं अकाल मृत्यु से सुरक्षा आदि कई समस्याओं से शांति प्राप्त होती है। दूसरी ओर शांति के साथ में श्री रामचरितमानस के पाठों के पठन से मनुष्य के जीवन में सुख समृद्धि का बड़ा सुंदर मार्ग खुलता है। क्योंकि पहले प्राचीन युग मे राजा महाराजा ब्राह्मण परिवार एवं आम जनता जन्मदिवस से लेकर हर शुभ मांगलिक कार्यों को जप तप हवन यज्ञ आदि धर्म कार्य करते हुए। धर्म परायणता के साथ में मनाया करते थे। जिससे उनका जीवनकाल बड़ी शांति संतुष्टि से व्यतीत होता था। इसीलिए पश्चिमी संस्कृति का त्याग करते हुए। हर व्यक्ति को सुख समृद्धि एवं शांति संतुष्टि के लिए। जन्मदिवस लेकर हर शुभ मांगलिक कार्यों को धर्म परायण के साथ में मनाना बहुत ही आवश्यक है। जिसे अपना एवं अपने परिजनों के जीवन में सुख समृद्धि शांति के साथ में परम संतुष्टि का समावेश होता रहे। इसीलिए हर व्यक्ति को धर्म परायणता का जीवन व्यतीत करना बहुत ही आवश्यक विषय है।

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