
*!!तप का जीवंत चित्रण!!*
(तप के महासागर में डुबकी लगाते हुए गुरु भक्त तपस्वी संत मुनिश्री नमी कुमार जी 41 दिनों की तपस्या में गतिशील)
*!!तप का जीवंत चित्रण!!*
(तप के महासागर में डुबकी लगाते हुए गुरु भक्त तपस्वी संत मुनिश्री नमी कुमार जी 41 दिनों की तपस्या में गतिशील)
आलेख:: ...............मोहन भन्साली
बीकानेर। इतिहास के पन्नों पर दृष्टिपात करें तो हमें तपस्वियों की अद्वितीय साधनाओं का उल्लेख पढ़ने को मिलता है। इन पन्नों को पढ़कर आश्चर्य होता है। जिज्ञासुओं के भी अनेक प्रश्न मुखरित होते हैं। वैज्ञानिक भी इन तथ्यों पर गहन शोध करते रहे हैं। धर्म की परिभाषा में समय-समय पर हम तप के महिमा मंडन में धर्मावलंबियों के मुखारविंद से महान् तपस्वियों की गहनतम साधनाओं का जीवंत चित्रण सुनते रहे हैं।
*वर्तमान में साक्षात:-*
आधुनिकता की चकाचौंध और तर्क संगत युग के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में 21वीं सदी का चौथा भाग सन् 2025 की संपन्नता में हम मर्यादित भिक्षु तपोवन के इग्गाहरवें अनुशास्ता के युग में साक्षात देख रहे हैं कि उनके आज्ञानुवर्ती उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमार जी के सान्निध्य में सहवृति तपस्वी मुनिश्री नमी कुमार जी ने जेठ मास की गर्मी हो या पोष माह की सर्दी दोनों ही विषम ऋतुओं में अपने दृढ़ मनोबल से अविस्मरणीय तपस्याओं के द्वारा तप के इतिहास को चरितार्थ कर रहे हैं।
*संयम, यात्रा और तपस्या:-*
तपस्वी मुनि 66 वर्ष की वयोवृद्ध अवस्था में मुमुक्षु नौरतन के रूप में विक्रम संवत 2073 आषाढ़ शुक्ला 9, दिनांक 13.07.2016 को असम गुवाहाटी की तपोभूमि पर युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी के कर कमलों द्वारा संयम रत्न प्राप्त किया। परम् पूज्य गुरुदेव की विशेष अनुकंपा से सिलीगुड़ी मर्यादा महोत्सव से तपोमूर्ति मुनिश्री की सेवा में नागालैंड, मेघालय, असम, बिहार, बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, गोवा, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान आदि प्रांतों के गांवों, शहरों और कस्बों में लंबे-लंबे पद विहार करते हुए मात्र 9 वर्ष के मुनि जीवन में तप के सुमेरु ने 62 और 51 दिनों की तपस्या, 31 व 28 दिनों की तपस्याएं दो दो बार और 27 दिनों की तपस्या तीन बार करने के साथ ही साथ मौन, ध्यान, स्वाध्याय में साधनारत रहते हुए स्वावलंबी जीवन के परिचायक 76 वर्षीय तपस्वी नमी मुनि 1 से 40 दिनों तक की तपलड़ी में गंगाशहर, भिक्षु शासन के नन्दन वन में लगभग इग्गाहरह महिनें के प्रवासकाल में 39, 22, 23, 24, 40,17 व 7 दिनों के तप के 7 थोकड़ो के बाद आज 8वें थोकड़े में 34 दिनों की तपस्या से आगे बढ़ते हुए ऐतिहासिक इतिहास बनाने की और प्रवर्धमान है।
*पावन प्रेरणा:-*
आप जैसे महान् तपस्वी साधकों की पावन प्रेरणा से साधु संत ही नहीं अपितु जन-मानस भी लंबी लंबी तपस्याओं के द्वारा तप की दरिया में डुबकी लगा रहे हैं।
*जन्म स्थल:-*
*श्रीमद् जयाचार्य प्रवर द्वारा (मुनि अवस्था) में सिंचित!* पंचमाचार्य श्री मघवा गणी और साध्वी प्रमुखा श्री गुलाबांजी की जन्मस्थली व साध्वीश्री छोगाजी, साध्वीश्री वन्दना जी एवं साध्वीश्री लाडाजी की निर्वाण स्थली! बीदासर थली प्रदेश की यह उर्वरा भूमि जो कि वीरों की राठौड़ी भूमि कही जाती है। वहां पर "वृद्ध साध्वी सेवा केन्द्र" जैसी अकल्पनीय सेवाएं आज भी प्रवाहिमान है।
ऐसे पवित्र तपोवन में आसोज सुदी 8 विक्रम संवत 2007 सन् 1950 को श्री श्रीचंद जी नाहटा के घर आंगन में मातुश्री हीरा बाई की कुक्षि से एक पुण्यवान शिशु ने जन्म लिया। जिसका नाम नौरतन रखा गया। संस्कारित माता पिता ने दो भाई और छ: बहनों के साथ-साथ बालक नौरतन में अच्छे संस्कारों का बीजारोपण किया।
*वैराग्य में सहभागी विरांगना:-*
आपकी असाधारण धर्मपत्नी विरांगना श्रीमती बिमला देवी ने धर्मपत्नी की भुमिका निभाते हुए आपकी वैराग्य की भावनाओं और संयम के स्वप्न को साकार करने में सहभागिता का अदम्य साहस दिखाया। जिसके फलस्वरूप कृकश सी सांवली काया का वीर योद्धा ढलती उम्र की सांझ में मातुश्री और तीन पुत्र व पुत्रवधुवें, पौत्र व पौत्रियों से श्री संपन्न परिवार के सुखमय जीवन को छोड़कर जीन शासन की प्रभावना में और कर्म निर्जरा की अभिलाषा में संत शिरोमणी महामनिषी परम श्रद्धेय गुरुदेव की विशेष कृपा से *श्रृद्धा, सेवा, समर्पण, तप और साधना* की पगडंडी पर उत्तरोत्तर विकासोन्मुख हुआ।
आपने गृहस्थ जीवन में भी 11 व 15 दिनों की तपस्याएं की।
*कीर्तिमान:-*
आपने अनुशासन प्रहरी, त्रिदेवों का ध्रुवतारा, उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री के मार्गदर्शन और देव, गुरु, धर्म के आशीर्वाद से अपने मुनि जीवन के 9 वर्ष के अल्पकाल में उपरोक्त तपस्याओं के साथ ही साथ 30 हजार किलोमीटर की अकल्पनीय पदयात्राओं में एक दिन में 58 किलोमीटर की लंबी पद यात्रा का कीर्तिमान स्थापित किया।
!!सादर समर्पित!!
आलेख:: रचनाकार 7734968551
मोहनलाल भन्साली "कलाकार"
गंगाशहर, बीकानेर! राजस्थान
दिनांक:: 22.12.2025