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बिना डोर के सुई नुकसान पहुंचाती है, परमात्मा से डोर जोड़ लो, बेड़ा पार हो जाएगा

कोटा, 18 सितम्बर। राष्ट्रीय कार्ष्णि संत ब्रह्मानंद बालयोगी महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन गुरुवार को विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से भक्तों को आल्हादित कर दिया।

गीता भवन पर व्यासपीठ से बालयोगी महाराज ने कहा कि सुई से डोर जुड़ी होती है तो वह जोड़ने का काम करती है, लेकिन बिना डोर की सुई नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए परमात्मा से डोर जोड़ लो तो बेड़ा पार हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि जब तक जीव माता के गर्भ में रहता है तब तक वह बाहर निकलने के लिये छटपटाता रहता है। उस समय वह जीव बाहर निकलने के लिए ईश्वर से अनेक प्रकार के वादे करता है। मगर जन्म लेने के पश्चात सांसारिक मोह माया में फंस कर वह भगवान से किए गए वादों को भूल जाता है। जिसके परिणामस्वरूप उसे चौरासी लाख योनी भोगनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति अपने जीवन में जिस प्रकार के कर्म करता है उसी के अनुरूप उसे मृत्यु मिलती है। भगवान ध्रुव के सत्कर्मों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ध्रुव की साधना, उनके सत्कर्म तथा ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा के परिणाम स्वरूप ही उन्हें वैकुंठ लोक प्राप्त हुआ।

महाराज ने कहा कि हमें हमेशा अच्छी चीजें व अच्छे साहित्य व धार्मिक ग्रंथ पढ़ना चाहिए, ताकि हमारा मन व बुद्धि स्वच्छ रहे। उन्होंने कहा कि बच्चों के नामांकरण से पूर्व अच्छी तरह सोच-विचार कर उनका नाम रखना चाहिए, क्योंकि हमारे जीवन में नाम का बहुत प्रभाव पड़ता है। जथा नाम तथा गुणा की कहावत हमेशा चरित्रार्थ होती है।

कथा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। अंत में आरती कर प्रसाद वितरण किया गया। विनय बाबा ने यजमान गीता देवी मूंदड़ा तथा कमल किशोर माहेश्वरी के साथ आरती की। प्रवक्ता लीलाधर मेहता ने बताया कि 21 सितम्बर तक कथाव्यास बालयोगी महाराज प्रतिदिन 2 से 6 बजे तक गीता सत्संग आश्रम भवन पर श्रीमद्भागवत कथा कर रहे हैं।

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