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अधीनम संतो से मिले पीएम मोदी, बोले - सेंगोल को बताया गया छड़ी, आज मिल रहा उचित सम्मान नई दिल्ली। नई संसद के उद्घाटन स

अधीनम संतो से मिले पीएम मोदी, बोले - सेंगोल को बताया गया छड़ी, आज मिल रहा उचित सम्मान

नई दिल्ली। नई संसद के उद्घाटन से पहले पीएम मोदी ने पीएम आवास में शनिवार को तमिलनाडु के अधीनम से मुलाकात की. इस दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौके पर मौजूद रहीं. पीएम मोदी से मदुरै अधीनम मंदिर के मुख्य महंत अधीनम हरिहरा दास स्वामीगल व अन्य अधीनम संत मिलने पहुंचे थे. उन्होंने इससे पहले कहा था कि सेंगोल तमिल संस्कृति की धरोहर रहा है।

पीएम मोदी ने कहा, अधीनम संतो का आशीर्वाद सौभाग्य का विषय

जानकारी के मुताबिक, रविवार को होने वाले नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह से पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर शनिवार को अधीनम महंत पहुंचे थे. पीएम मोदी ने इनसे मुलाकात की और उनका आशीर्वाद लिया. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. नए संसद भवन का उद्घाटन वैदिक विधि-विधान के साथ किया जाएगा. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि नया संसद भवन हर भारतीय को गौरवान्वित करेगा।

इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि 'आज मेरे निवास स्थान पर आप सभी के चरण पड़े हैं, ये मेरे लिए सौभाग्य का विषय है. मुझे इस बात की भी बहुत खुशी है कि कल नए संसद भवन के लोकार्पण के समय आप सभी वहां आकर आशीर्वाद देने वाले हैं।

पीएम मोदी ने कहा, तमिल लोगों के दिल में हमेशा से मां भारती की सेवा की, भारत के कल्याण की भावना रही है. राजाजी और अधीनम के मार्गदर्शन में हमें अपनी प्राचीन तमिल संस्कृति से एक पुण्य मार्ग मिला था. ये मार्ग था- सेंगोल के माध्यम से सत्ता हस्तांतरण का. सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर तब 1947 में पवित्र तिरुवावडुतुरै अधीनम द्वारा एक विशेष सेंगोल तैयार कराया गया था. अब भारत की महान परंपरा के प्रतीक उसी सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा. इस पवित्र सेंगोल को अब तक छड़ी बताया गया था, लेकिन आज उसे उसका उचित सम्मान मिल रहा है।

5 फीट लंबा है सेंगोल

इससे एक दिन पहले सेंगोल की एक्सक्लूजिव तस्वीरें भी सामने आई थीं. 5 फीट लंबे चांदी से बने इस सेंगोल पर सोने की परत चढ़ाई गई है. इसके ऊपरी हिस्से पर नंदी विराजमान हैं और इस पर झंडे बने हुए हैं. उनके नीचे तमिल भाषा में कुछ लिखा भी हुआ है. दरअसल, हाल ही में प्रायगराज से लाने के बाद इसे दिल्ली के म्यूजियम में रखा गया था. इस सेंगोल को 1947 में बनवाया गया था.

संसद में कहां स्थापित होगा सेंगोल ?

नई संसद में सेंगोल को स्थापित करने से पहले एक बार फिर इसको पवित्र जल से शुद्ध किया जाएगा. एक बार फिर वैदिक मंत्रों से संसद गूंजेगी. एक बार फिर संसद में शंख-ध्वनि होगी. इसके बाद इसे प्रधानमंत्री मोदी को थमाया जाएगा, जो इसे लोकतंत्र के नए मंदिर में स्थापित करेंगे. सेंगोल को लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के बगल में पोडियम पर स्थापित किया जाएगा।

1947 में क्यों बनवाया गया था सेंगोल ?

14 अगस्त 1947 में आजादी के समय जब लॉर्ड माउंट बेटन ने पंडित नेहरू से पूछा कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान क्या आयोजन होना चाहिए तो नेहरूजी ने अपने सहयोगियों से चर्चा की. तब स्वतंत्रता सेनानसी सी गोपालाचारी ने सेंगोल प्रक्रिया के बारे में उन्हें बताया था. इसके बाद इसे तमिलनाडु से मंगाया गया और आधी रात को पंडित नेहरु ने मांउंट बेटन से इसे स्वीकार किया. इसका अर्थ था पारंपरिक तरीके से भारत की सत्ता अंग्रेजों के हाथों से हमारे पास आई।

अधीनम कौन थे ?

अधीनम शैव परंपरा के गैर-ब्राह्मण अनुयायी थे और पांच सौ साल प्राचीन थे. चोल वंश में सत्ता के हस्तातंरण के वक्त सेंगोल को सौंपा जाता था. इससे पहले इसे धर्मगुरूओं द्वारा विशेष अनुष्ठान से पवित्र किया जाता था. आजादी के बाद राजगोपालाचारी ने तमिलनाडु स्थित थिरुवावदुथुरई आधीनम के प्रमुख से भारतीय हाथों में सत्ता के हस्तांतरण के लिए इसी अनुष्ठान को करने का अनुरोध किया था. अधीनम ने इस कार्य को संपन्न करने के लिए अगस्त 1947 में कुछ लोगों के एक विशिष्ट समूह को दिल्ली भेजा था।

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