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ध्वजारोहण के साथ आज से श्री मल्लीनाथ पशु मेले का होगा आगाज। बाड़मेर। तिलवाड़ा में लूणी नदी की तट पर करीब 700 साल पहले र

ध्वजारोहण के साथ आज से श्री मल्लीनाथ पशु मेले का होगा आगाज।
बाड़मेर।
तिलवाड़ा में लूणी नदी की तट पर करीब 700 साल पहले रावल मल्लीनाथजी के संत समागम के साथ शुरु हुआ श्री रावल मल्लीनाथ पशु मेले का 28 मार्च को विधिवत् शुभारंभ होगा। साधु-संतों के पावन सानिध्य व रावल किशनसिंह के नेतृत्व में रावल मल्लीनाथ मंदिर शिखर पर ध्वजारोहण किया जाएगा। श्री राणी भटियाणी मन्दिर संस्थान ट्रस्ट प्रबंधन कमेटी सदस्य फतेहसिंह ने बताया कि कोविड के चलते दो साल बाद मेला शुरू होने पर रावल मल्लीनाथ पशु मेला इस बार अपने चरम पर होगा। उल्लेखनीय है कि रावल मल्लीनाथ एक वीर शासक योद्धा होने के साथ ही संत पुरुष थे। वहीं इनकी पत्नी राणी रुपादे भी भक्ति-भाव में लीन थे। उन्होंने बताया कि मेले का शुभारंभ रावल मल्लीनाथ जी मंदिर के निज मन्दिर में अष्ट प्रकृति महायज्ञ के साथ होगा। जिसमें प्रकृति संरक्षण को लेकर आहुति दी जाएगी। उसके बाद साधु-संतों के पावन सानिध्य व रावल किशनसिंह के नेतृत्व में रावल मल्लीनाथ मंदिर शिखर पर ध्वजारोहण किया जाएगा और राजस्थानी लोक कला लाल आंगी बांगी गैर नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी। उसके साथ वरिया महंत गणेशपुरी जी महाराज के सानिध्य में श्री राणी भटियाणी मन्दिर संस्थान जसोलधाम द्वारा निःशुल्क भोजन शाला का शुभारंभ किया जाएगा। वंही शाम को पहली बार मरु गंगा की पावन आरती उतारी जाएगी। मरु गंगा की पावन आरती श्री मठ कनाना महंत परशुरामगिरी महाराज के सानिध्य में मरू गंगा को प्रदूषित नही करने के संकल्प के साथ उतारी जाएगी। 31 मार्च को मेले में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन होगा जिसमें कालूसिंह गंगासरा द्वारा श्री रूपादे राणी व रावल मल्लीनाथ जी के जीवन का गुणगान किया जाएगा। इस दौरान शंकराचार्य श्री नरेन्द्रानन्द सरस्वती काशी सुमेरु पीठ व जूना अखाड़ा अध्यक्ष श्री प्रेम गिरी महाराज व जूना अखाड़ा अन्तराष्ट्रीय प्रवक्ता श्री नारायणगिरी महाराज गाजियाबाद, श्री तुलसाराम महाराज ब्रह्मा धाम आसोतरा का समरसता उद्बोधन होगा। 1 अप्रेल को सांस्कृतिक संध्या में क्षेत्र में प्रसिद्ध देशी भजन गायकों द्वारा गायकी में माध्यम से राजस्थानी संस्कृति से रूबरू कराया जाएगा। वंही 3 अप्रेल को सांस्कृतिक संध्या में मांगणियार व लंगा लोक कलाकारों द्वारा पुराने वाद्य यंत्रों के साथ लोक कला की प्रस्तुति दी जाएगी।

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