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कलेक्टर साहब , गुलशन कम्पनी में हो रहा मजदूरों का शोषण... रामाकोना/सौसर:(आकाश खंडाईत) औद्योगिक क्षेत्र ए के व्ही ए

कलेक्टर साहब , गुलशन कम्पनी में हो रहा मजदूरों का शोषण...

रामाकोना/सौसर:(आकाश खंडाईत)
औद्योगिक क्षेत्र ए के व्ही एन में छिंदवाड़ा के मजदूरी के बारे में बात की जाए तो यह भी एक बहुत बड़ी समस्या है। आज भी यहां कम मजदूरी पर मजदूरों से काम कराया जा रहा है। हम बात कर रहे है औद्योगिक क्षेत्र के गुलशन कंपनी की जो मजदूरों के साथ अन्याय कर रही है। कम्पनी संचालक द्वारा मजदूरों से पूरा काम लिया जाता है किंतु जब मजदूरी की बात आती है तो 250 रुपये दी जाती है। गुलशन कंपनी में मजदूर कई सालों से इस आस में काम करते आ रहे हैं कि आने वाला समय उनके लिए अच्छा हो लेकिन यह समय सिर्फ संचालक के लिए अच्छा नजर आ रहा है मजदूर की स्थिति जस की तस बनी हुई है कंपनी संचालक कभी मजदूरी के बारे में सोचते नहीं है सिर्फ उन्हें मजदूरों का शोषण करना दिखाई देता है कंपनी संचालक की मनमानी के कारण यहां काम करने वाले मजदूर बेबस और लाचार है।

श्रम आयुक्त का एक भी नियम नहीं लागू कंपनी में-                   
औद्योगिक क्षेत्र यह कि गुलशन कंपनी में श्रम आयुक्त का एक भी नियम लागू नहीं है कंपनी का संचालन नियम को ठेंगा दिखाकर कम्पनी 

का संचालन करते है। श्रम आयुक्त द्वारा कंपनी में काम करने वाले अकुशल अर्धकुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन दरें निर्धारित की गई है किंतु जिले के श्रम विभाग के अधिकारी की उदासीनता के चलते यहां कोई नियम लागू नहीं हो रहे हैं। कंपनी संचालक अपने खुद के नियम बनाकर यहां के मजदूरों के साथ शोषण कर रहा है। गुलशन कंपनी में सिर्फ ₹250 कि मजदूरों से काम करवाया जा रहा है। कंपनी में इतनी मनमानी चलने के बाद भी जिले का श्रम विभाग कंपनी संचालक पर मेहरबान है। ना ही कभी कोई जांच करते हैं और ना ही कोई कार्यवाही करते हैं जिससे कंपनी संचालक के हौसले दिनों दिन बुलंद होते जा रहे हैं। जिसका परिणाम  सिर्फ मजदूरों पर हो रहा है। कंपनी संचालक मजदूरों का शोषण करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। 

गुलशन परिवार मजदूरों का शोषण कर अपना कर रहे विकास

औद्योगिक क्षेत्र एकेवीएन की गुलशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी अपना विकास तेजी से कर रही है लेकिन मजदूरों का विनाश भी उतनी ही तेजी से कर रही है। पूरे औद्योगिक क्षेत्र की एकमात्र कंपनी है जिसे कोरोना काल मे आपदा का अवसर मिला जहां कोरोना काल के चलते हैं कई कंपनियां संकट में थी वही गुलशन कंपनी लॉकडाउन में भी सेनीटाइजर बनाकर शुरू रही जिसके बाद कुछ ही दिन में कंपनी को सरकारी शराब बनाने का मौका मिल गया और तेजी से कंपनी का चलना शुरू हो गया। लॉकडाउन में जिन मजदूरों ने कंपनी को साथ दिया वह मजदूर आज भी 250 की रोजी से काम करने को मजबूर है। जब से कम्पनी शुरू हुई तब से ही मजदूरों का शोषण कम्पनी में जारी है।  औद्योगिक क्षेत्र की गुलशन कंपनी सरकार के लिए शराब जरूर बना रही है। शराब बनाने के लिए सरकारी नियम है बाकी कोई भी नियम सरकार के कंपनी संचालक नहीं मानते कम्पनी संचालक के खुद के नियम हैं जो मजदूरों से ₹250 में मजदूरी करवाते हैं कंपनी द्वारा ना ही किसी प्रकार की मजदूरों को कोई सहायता दी जाती है और ना ही मजदूरों का पीएफ काटा जाता है। मतलब जो श्रम आयुक्त ने मजदूरों के लिए नियम बनाये हैं इनमें से एक भी नियम गुलशन कंपनी में नहीं माने जाते हैं। कंपनी को कई साल हो गए हैं अब एक प्लांट के दो प्लांट बन रहे हैं किंतु मजदूरों की मजदूरी वही के वही है। यह बड़ी दुख की बात है जो मजदूर कंपनी के लिए अपना खून पसीना बहा रहा है उसे ही अपने मेहनत का मेहनताना नहीं मिल रहा है। 

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