,"ग्रामीण जीवन ही भारत की मूल प्राण वायु" -मिथिलेशनन्दिनीशरण जी महराज
"सहकारिता है ग्राम्य संस्कृति तो संतोष है समृद्धि"
-आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण
"ग्राम्य संस्कृति,समृद्धि एवं जीवनबोध गोष्ठी को किया सम्बोधित"
-जिले में जगह जगह महाराज जी का हुआ स्वागत-....
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