
पेड़ो की कटाई पर रोक लगाने की मांग
*कटते पेड़ वीरान होता दंतौर क्षेत्र व बॉर्डर क्षेत्र सांची कहवांगे जी लोगा नु बुरी लागे तो लागे जी* 22 अक्टूम्बर को दंतौर पंचायत में लगे प्रशासन गांव के संग में लगे केम्प में खाजूवाला SDM साहब को ग्रामीणों ने ज्ञापन देकर कहा कि रेंज प्रभारी की जांच की जाए और उसकी मिली भगत से नहर के किनारे पेड़ो की अवैध कटाई हो रही है । जो भी इस कृत्य में लिप्त है उनकी जांच करवाई जाए। वन विभाग के बाबू (रेंज प्रभारी ) व वनमित्र सब लगे है पेड़ो को कटवाने में वन माफिया कमीशन देते है इस कारण उन पर करवाई नही होती । लेकिन किसान अपने खेत से घरेलू जरूरत की लकड़ी काट लेता है और लाते हुए दिख जाता है तो उस पर कारवाई हाथों हाथ हो जाती है ।
पर्यावरण से पृथ्वी का गहरा नाता है। इस रिश्ते की डोर को सबसे मजबूती से जिसने बांधे रखा है वे पेड़ हैं। लेकिन दरख्तों की बेहिसाब कटाई और रेगिस्तान जंगलों के बीच आज अगर हम छांव को तरसते हैं तो हैरानी नहीं होनी चाहिए क्योंकि इन हालातों के जनक भी हम ही हैं। प्रदेश में पेड़ लगाने का अभियान छेड़ने वाली सरकार भी अब हरियाली को लेकर चिंतित दिखाई नही पड़ रही है। उनकी सरकार के विधायक अपने चहेते अधिकारी को लगवाते है जो उनके कमाऊ पूत से भी बढ़कर कमाई देते है । इस सरकार के वन विभाग के कर्मचारी मिलिभगत करके वन माफियाओ के द्वारा खेतो से, जंगलात से पेड़ पर पेड़ कटवा रहे है । इसलिए बीते दिनों में पेड़ कट कर जिप्सम की फेक्ट्रियो में पेड़ो के गुटखे बना बना कर वन माफियाओ ने लकड़ी के अंबार लगा दिए है । वन विभाग के कर्मचारी पेड़ काटने और कटवाने वालों पर सख्त कार्रवाई नही कर रहे है इस कारण वन माफिया दिन के बारह बजे ओर एक बजे धर्मकांटो पर लकड़ी तुलवाते मिल जाते है । सरकार लकड़ी बचाने के लिए वन विभाग कर कर्मचारी लगाती है पर वे कर्मचारी भृष्टाचार में लिप्त है और लकड़ियां कटवा रहे है सरकार के इस आदेश पर अमल करने वाले महकमे की पड़ताल करें तो साफ होता है कि उसके पास सरकारी आदेश को जमीन पर उतारने के लिए कोई नीति और नीयत नहीं है। यही वजह है कि जब वन महकमे के हुक्मरानों से पेड़-पौधे लगाने के बाबत बातचीत की जाती है तब उनके दावे इतने बढ़-चढ़कर होते हैं कि उस पर सहसा विश्वास कर पाना आसान नहीं होता। बीकानेर जिले की छतरगढ़ रेंज में पेड़ लगवा कम रही है और कटवा ज्यादा रही है स्वार्थ सिद्धि के लिए उजड़ते जंगल आंकड़े बताते हैं कि बीते तीन साल मे हरियाली कम हुई है। लोगो के मुताबिक तीन साल में वन विभाग की जमीनों में लाखों से ज्यादा पौधे लगाए गए लेकिन छांव कहीं भी मयस्सर नहीं है। पिछले पंद्रह वर्षों में एक बार भी सामान्य वर्षा नहीं हुई। नमी के असंतुलन की वजह से बीते 10 सालों के दौरान औसत न्यूनतम तापमान बढ़ ही रहा है। अधिकतम तापमान में भी हर दशक में तकरीबन एक डिग्री की बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। बीकानेर जिले के दंतौर क्षेत्र में हरे-भरे पेड़ों की कटान से हालत यह बन गई है कि दूर-दूर तक छायादार पेड़ नहीं दिखाई देते। चिड़ियों के बैठने के लिए छायादार पेड़ यहां नदारद हैं। पेड़ो के अभाव में बरसात होना बंद हो गयी है । चुनौतियों के मद्देनजर सार्थक कदम कब उठाएगी सरकार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर ‘हरित राजस्थान’ के तहत गांव, ढानी, शहर, कस्बे में पेड़ों की सघन श्रृंखलाएं बनाने के लिए ‘वन मित्र’ नाम की नई योजना प्रारंभ की गई थी। ग्रामीण क्षेत्रों में वन एवं वन्य जीव संरक्षण तथा पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता के लिए बड़ी संख्या में वन मित्र कार्य कर रहे हैं। वर्ष 2011-12 में एक हजार वन मित्रों को लगाए जाने के लिए 180 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई थी। ओर लगाए भी गए वन मित्र पर वो भी इस वन कटाई में लिप्त हो गए लाखो कमा रहे है । 2020 21 में भी वन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए बजट आवंटन हुआ नर्सरियां लगवाई गयी पर उस बजट में बंदरबांट हो गयी नर्सरियां लगी ही नही नरेगा के तहत भी वन विभाग के कर्मचारी आध में जॉबकार्ड चला कर सरकारी खजाने में सेंध लगाते रहे है। वनों की रक्षा बड़ी चुनौती है। इसे ध्यान में रखते हुए मनरेगा के तहत ‘इको रेस्टोरेशन मॉडल’ में वन सुरक्षा के लिए स्थान-स्थान पर पक्की दीवार का निर्माण किया गया है। राजस्थान के लिए यह भी महत्वपूर्ण रहा है कि इसे जापान सरकार से वित्त पोषित ‘राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता परियोजना’ के द्वितीय चरण को मंजूरी मिली है। इस परियोजना का क्रियान्वयन वन सुरक्षा एवं प्रबंध समितियों के माध्यम रेंजर व रेंज के बाबू सरकार को चुना लगाते देखे जा सकते है । भोले भाले लोगो को अध्य्क्ष बनाकर सरकारी फण्ड को डकार रहे है । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर वन क्षेत्रों को पुनः हरा-भरा करने के लिए एक ‘विजन बनाया है पर वन विभाग में भ्रष्टाचार के चलते दावे खोखले साबित हो रहे है। वन क्षेत्र तो हरेभरे नही हुए पर कर्मचारी हरेभरे जरूर हो गए सरकारी खजाने में सेंध लगाते लगाते हुए राम तेरी गंगा मैली हो गयी पापियों के पाप धोते धोते की तरह लकड़ी बेचते बेचते कटवाते कटवाते कर्मचारी अमीर हो गए ।