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युवा संकल्प सेवा समिति ने घर पर मनायी महाराणा प्रताप की जयंती

बदायूं। युवा संकल्प सेवा समिति के सचिव पुनीत कुमार कश्यप एडवोकेट ने लॉकडाउन का पालन करते हुए अपने घर पर ही महाराणा प्रताप जयंती पर उनके चित्र पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित कर उन्हें कोटि-कोटि नमन किया। समिति के सदस्यों के समक्ष उनके जीवन पर प्रकाश डालते उन्होंने कहा कि, ‘महाराणा प्रताप सिंह का जन्म 9 मई सन् 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ था। इनके पिता का नाम महाराणा उदय सिंह था एवं माता का नाम महारानी जयवंता बाई था, जो पाली के सोंग्स अखैराज की बेटी थी। महाराणा प्रताप के बचपन का नाम कीका था।’
 उन्होंने कहा कि, ‘महाराणा प्रताप का कवच 72 किलोग्राम और भाला 81 किलोग्राम का था। उनका भाला, कवच, ढाल और तलवार का वजन कुल मिलाकर 208 किलोग्राम का था। महाराणा उदयसिंह की मृत्यु के बाद में मेवाड़ के सभी सरदारों ने एकत्रित होकर महाराणा प्रताप सिंह को राजगद्दी पर बैठा दिया।’

उन्होंने कहा कि, ‘महाराणा प्रताप का सबसे बड़ा शत्रु अकबर था, परंतु इन दोनों की लड़ाई कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं थी, जबकि यह लड़ाई उनके अपने सिद्धांतों और मूल्यों की थी। अकबर अपने राज्य का विस्तार करना चाहता था, जबकि महाराणा प्रताप अपने मातृभूमि की स्वाधीनता के लिए संघर्ष कर रहे थे।’

श्री कश्यप ने कहा कि, ‘महाराणा प्रताप की मृत्यु पर अकबर बहुत दुःखी हुआ था, क्योंकि वह मन से महाराणा प्रताप के गुणों की प्रशंसा करता था। और वह यह भी य था कि महाराणा प्रताप जैसा वीर इस धरती पर दूसरा नहीं है। महाराणा प्रताप की मृत्यु का समाचार सुनकर अकबर महान हो गया था। और उसकी आंखों में आंसू भर आए थे।’

उन्होंने कहा कि, ‘आज देश एक विषम परिस्थिति से गुजर रहा है। सभी को चाहिए कि वह शासन व प्रशासन का सहयोग कर कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी से बचाव के सभी रास्तों को अपनाते हुए लाॅक डाउन का पालन कंरें। इसी में सबका कल्याण है।’

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