logo

देश भर में मनाई जा रही बकरीद, जाने क्यों दी जाती हैं कुर्बानी

सभी भारत के मुस्लिम समुदाय के भाइयों एवं बहनों को  ईद _अल_ अजहा की  ऑल इण्डिया मीडिया एसोसिएशन ट्रस्ट की तरफ से बहुत बहुत दिली_ मुबारकवाद ।

(देश भर में आज ईद-अल-अजहा (Eid-Ul-Adha) यानि बकरीद का त्योहार मनाया जा रहा है. कोरोना महामारी की वजह से सामूहिक भीड़ से बचते हुए लोग बकरीद मना रहे है। इस दिन को कुर्बानी के रुप में भी जाना जाता है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार रमजान के दो महीने बाद कुर्बानी का पर्व बकरीद मनाया जाता है. आप भी जानें क्यों दी जाती है कुर्बानी।

फतेहपुर। ईद-अल-अजहा (Eid-Ul-Adha) के दिन आमतौर पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है. इसलिए देश में इसे बकरीद भी कहा जाता है। आज के दिन बकरे को अल्लाह के लिए कुर्बान कर दिया जाता हैं।  इस धार्मिक प्रक्रिया को फर्ज-ए-कुर्बान कहा जाता है।

कुर्बानी का महत्व

बकरीद को ईद-अल-अजहा या फिर ईद-उल-जुहा भी कहा जाता है. यह रमजान की ईद के 70 दिनों बाद मनाई जाती है. आज नमाज अदा करने के बाद बकरों की कुर्बानी दी जाती है. कुर्बानी के गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं. जिसका एक हिस्सा गरीबों को दिया जाता है, दूसरे हिस्से को दोस्तों, सगे संबंधियों में बांटा जाता है. वहीं तीसरे हिस्से को खुद के लिए रखा जाता है. यह सामाजिक समरसता का भी सूचक है
क्यों मनाई जाती है बकरीद
बकरीद मनाने के पीछे मुसलमानों का मानना है कि पैगंबर इब्राहिम की कठिन परीक्षा ली गई थी। इसके लिए अल्लाह ने उनको अपने बेटे पैगम्बर इस्माइल की कुर्बानी देने को कहा था। इसके बाद इब्राहिम आदेश का पालन करने को तैयार हुए। वहीं बेटे की कुर्बानी से पहले ही अल्लाह ने उनके हाथ को रोक दिया. इसके बाद उन्हें एक जानवर जैसे भेड़ या मेमना की कुर्बानी करने को कहा गया। इस प्रकार उस दिन से लोग बकरीद को मनाते आ रहे हैं। इस दिन अपने प्रिय बकरे की कुर्बानी देने का भी रिवाज है।


.
कोरॉना गाइड लाइन का पालन
कोरोना महामारी की वजह से इस वर्ष भी लोगों से घरों में ही बकरीद मनाने की अपील की गई है। घर से ही नमाज अदा किया जा रहा है।. बीते साल भी कोरोना की वजह से बकरीद में व्यवधान पड़ा था। सरकार और लोग कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए बकरीद का त्योहार मना रहे हैं।


1
14689 views