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लॉकडाउन में ग्रामीण इलाको में मनरेगा बन रहा मजदूरों की रोजी रोटी का सहारा

मीरगंज (बैरमनगर)। मनरेगा योजना ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों के लिए रोजी रोटी का सहारा बन गई है। केंद्र सरकार का कहना है कि,  ‘इससे लॉकडाउन में दो करोड़ से अधिक ग्रामीण मजदूरों को फायदा पहुंचा है। उन्हें रोजी रोटी के लिए कहीं बहर नहीं जाना पड़ेगा।   इसमे कई दूसरी राहतों के अलावा मनरेगा के तहत दैनिक मजदूरी 182 रुपये से बढ़ाकर 201 रुपये की गई है।  कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते लॉकडाउन का असर सबसे अधिक असर दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ा है उनका रोजगार पूरी तरह छिन चुका है, लेकिन मनरेगा ने मजदूरों के चेहरे पर एक बार फिर से मुस्कान लौटाने का काम किया है।’

सरकार के अनुूसार, ‘सरपंच ब मेट या रोजगार सेवक के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मजदूर कार्यस्थल पर शारीरिक दूरी का पालन करे। मुँह को मास्क या कपड़़ेे से ढककर रखे और अपने हाथ साबुन से धोए। इसके अलावा यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि  ‘मौके पर तम्बाकू बीड़ी या गुटखे का प्रयोग न हो। श्रमिकों को रोजगार देने के लिए पंचायतों ने गांवों में तालाब खुदाई व चक मार्ग कार्य शुरू करा दिया है। लॉक डाउन में मनरेगा में काम शुरू हो चुका है सरकार ने ऐसे संकट के समय में ग्रमीण भारत के मजदूरों को 20 अप्रैल से मनरेगा में काम देने की मंजूरी देकर इनकी जिंदगी पटरी पर लाने की कोशिश की है, मगर एक हफ्ते बाद भी बड़ी संख्या में मजदूर काम मिलने की आस लगाए बैठे हैं।’ 

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