प्राइवेट स्कूल्स के शिक्षक तंगहाली में
कटरा, शाहजहांपुर! कटरा विधानसभा क्षेत्र में अनेक विद्यालय उपस्थित हैं । जिनमें से लगभग 80 परसेंट विद्यालय प्राइवेट हैं ।करोना काल में इन विद्यालयों की स्थिति काफी नाजुक है ।जिनमें से प्राइमरी क्लासेज एवं जूनियर क्लासेज की स्थिति तो बहुत नाजुक है । ऐसे में संबंधित विद्यालयों के अध्यापकों एवं कर्मचारियों की आर्थिक हालत बहुत ही दयनीय है। ऐसा पूरे उत्तर प्रदेश में है । इस पर योगी सरकार ने अभी तक कोई विचार नहीं किया है । लगभग 13 महीना होने जा रहे हैं इन प्राइवेट विद्यालयों के अध्यापकों की आर्थिक स्थिति बहुत ही चिंतनीय है ।ऐसे में ऊपर से क्षेत्र के अभिभावक एवं विद्यार्थी भी परेशान है ।जो अच्छे विद्यार्थी हैं और ज्ञान के प्रति लालायित हैं वे बड़े चिंतित हैं। उनके शिक्षण की व्यवस्था सुचारू ढंग से नहीं हो पा रही है हालांकि सभी विद्यालयों की ओर से ऑनलाइन टीचिंग व्यवस्था जैसे तैसे हो रही है लेकिन जो अच्छे विद्यार्थी हैं बे विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहे हैं । उन्हें पांच पांच घंटे ऑनलाइन अध्ययन करना पड़ता है ।जिसका असर उनकी आंखों और उनके दिमाग पर पड़ रहा है। अनेक विकृतियां पैदा हो रही हैं। ऐसे में ऊपर से प्राइवेट स्कूल के शिक्षक भी एकाग्र होकर स्वतंत्र ढंग से शिक्षण कार्य में व्यवधान पा रहे हैं । तेलंगना सरकार और कुछ राज्यों ने इन प्राइवेट अध्यापकों के प्रति भी नरमी का रुख अपनाया है और आर्थिक सहयोग राशन की भी व्यवस्था की है लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं देना चाहती । अनेक प्राइवेट अध्यापकों का कहना है विभिन्न राजनीतिक दल विभिन्न नेतागण हम लोगों के वोट मांगने तो आ जाते हैं, आगे भी चुनाव है वोट मांगने आएंगे लेकिन हमारी समस्याओं पर ध्यान नहीं देते । ऐसे में जनतंत्र के समक्ष अनेक विकार ही उत्पन्न होते हैं और फिर जनतंत्र का मतलब है जनता के लिए जनता के द्वारा जनता का शासन । जिस तंत्र में जनता शांति सुकून संतुष्टि और अपना सहज जीवन ना जी सके तो ऐसे में उस तंत्र का भविष्य खतरे में संभव है । इतिहास गवाह है असंतुष्टओं के सहयोग से असंतुष्ट शिक्षकों ने विभिन्न क्रांतियों विभिन्न बदलावों के माध्यम से इतिहास ही बदल दिया है । देश की सरकार को और उत्तर प्रदेश की सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है । जनतंत्र में जब तक जनता संतुष्ट नहीं तब तक जनतंत्र में अनेक विपत्तियां आती रही हैं और आती रहेंगी । एक प्राइवेट अध्यापक नेत्रपाल सिंह यादव ने बताया की हमें 13 महीने से अभी तक वेतन नहीं मिला है और हमें ऐसे में काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।