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वृक्ष और जंगल ही असली ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट

सवाई माधोपुर। कोरोना ने हमें दिखा दिया है, कि ऑक्सीजन की हमारे जीवन में क्या उपयोगिता है। इस संकट ने ऑक्सीजन के सबसे बडे और सबसे सस्ते स्रोत वृक्ष, जंगल के महत्व को रेखांकित कर दिया है।

जिला कलेक्टर राजेन्द्र किशन ने शुक्रवार को कलेक्ट्रेट में आयोजित बैठक में बताया कि ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर और ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट मानव निर्मित हैं जिनकी सीमायें हैं, ये ऑक्सीजन पैदा नहीं करते, केवल उपलब्ध ऑक्सीजन को सेपरेट, संग्रहित या वितरित कर सकते हैं, वृक्ष ही असली ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट है। हमने अब इनकी उपयोगिता तो समझ ली है, अब इस समझ का उपयोग कर पर्यावरण संरक्षण में योगदान देना है।

कलेक्टर ने बताया कि आगामी मानसून में जिले में सार्वजनिक और निजी भूमि पर कुल 4 लाख पौधे लगाये जायेंगे ।

कलेक्टर ने निर्देश दिये कि चाहे पौधे कम संख्या में लगायें लेकिन वहीं लगायें जहॉं मानसून के बाद भी जरूरत पडने पर इन्हें पानी उपलब्ध करवाया जा सके, इनकी पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित हो। इसके लिये गत 3 साल में लगाये सभी पौधों की फिजिकल ऑडिट कर पता लगाया जाये कि आज कितने पौधे जीवित हैं। जो पौधे नष्ट हो गये, वे पानी की कमी से मरे या जानवर खा गये या किसी ने काट लिया, टोड दिया। स्थान विशेष की समस्या के आधार पर समाधान खोजकर ही नये पौधे लगायें। गांव विशेष की मिट्टी और पानी की उपलब्धता को भी पौधारोपण और पौधे की प्रजाति चयन में ध्यान रखें। अभी मानसून आने में लगभग 1 माह बाकी है, पहले लगे पौधे जो अभी जीवित हैं, भीषण गर्मी में झुलस न जायें, इसके लिये 1 माह विशेष ध्यान रखने की जरूरत है जिससे सालभर की मेहनत बेकार न चली जाये। 1 पौधे की उसके वृक्ष में तब्दील हो जाने तक देखभाल करना सैंकडों पौधे लगाने से अधिक महत्वपूर्ण है।


कलेक्टर ने वर्ष 2013 में अलवर शहर में पोस्टिंग के दौरान बंजर पहाड़ी पर सघन पौधारोपण कर सरकारी कार्मिकों, आमजन के सहयोग से इसे सघन जंगल में तब्दील करने के अपने अनुभव को साझा करते हुये बताया कि इसको सरकारी अभियान न समझें, इसमें पूर्ण जनभागीदारी सुनिश्चित करें तथा सरकारी कार्मिक भी पूरी गम्भीरता से इससे जुड़कर सामाजिक सरोकार निभायें। प्रत्येक पंचायत समिति में 5 चारागाह भूमि को वाटिका के रूप में विकसित कर इनका नामकरण करें। इसके लिये मनरेगा या अन्य योजना से डवटेल कर फेंसिंग, ट्रैंचिंग, ट्री गार्ड, मिट्टी या पत्थर की सुरक्षा दीवार बनायी जाये। पौधे विशेष के आधार पर वट वाटिका, पीपल वाटिका, खेजडी वाटिका, शीशम वाटिका आदि भी विकसित की जा सकती है। इन पौधों की रक्षा व पानी देने के लिये मनरेगा से मस्टर रोल भी जारी किये जा सकते हैं। कलेक्टर ने बताया कि फेंसिंग में ध्यान रखें कि निर्धारित मानक का उल्लंघन न हो जिससे नुकीले कांटों से जंगली और पालतू जानवर घायल न हों।

कलेक्टर ने बताया कि स्कूली विद्यार्थियों को पर्यावरण का महत्व किताब से ज्यादा सीधे पर्यावरण से जोड़कर बेहतर तरीके से समझाया जा सकता है। इसके लिये प्रत्येक विद्यालय में पर्यावरण समिति का गठन कर एक अध्यापक को समिति  का नोडल अधिकारी नियुक्त करें। कलेक्टर ने बताया कि केन्द्रीय विद्यालय और भगवतगढ उच्च माध्यमिक विद्यालय में हुये पौधारोपण को आदर्श मानते हुये सभी शिक्षण संस्थाओं में पौधारोपण करवायें। विद्यालय परिसर में पौधारोपण कर अध्यापकों और विद्यार्थियों को उनकी सुरक्षा, देखभाल की जिम्मेदारी दें।

कलेक्टर ने बताया कि अब तक वन विभाग ही नर्सरी में पौधे तैयार करता आया है। स्थानीय जलवायु और मिट्टी की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुये अब प्रत्येक ब्लॉक पर कम से कम 1 आदर्श नर्सरी ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा विकसित की जायेगी। इसमें मनरेगा को भी डवटेल किया जायेगा तथा इससे स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे।

कलेक्टर ने विभिन्न विभागों को पौधारोपण के लक्ष्य भी दिये। पंचायती राज 1 लाख 80 हजार, शिक्षा विभाग 25 हजार, कृषि 10 हजार, जल संसाधान, उद्यान,खान और पीडब्ल्यूडी 5 हजार, दोनों नगरपरिषद, चिकित्सा और जेवीवीएनएल 1-1 हजार पौधे लगायेंगे। कोई भी विभाग ऐसा नहीं है जिसे लक्ष्य नहीं दिये गये हैं। कलेक्टर ने सीएसआर, भामाशाहों  के माध्यम से अधिक से अधिक ट्री गार्ड या अन्य सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। स्थानीय परिस्थिति के अनुकूल कम कीमत का तथा बेहतर ट्री गार्ड बनाने के लिये लोगों को प्रेरित करने की भी बात कही।


जिला परिषद के सीईओ आर.एस. चौहान ने बताया कि ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा जिले में 1 लाख 80 हजार पौधे लगाये जायेंगे। आंगनबाडी, स्कूल, ग्राम पंचायत भवन, राजीव गांधी आईटी केन्द्र परिसर के अतिरिक्त चारगाह, सिवाय चक व सडक किनारे खाली पडी भूमि पर भी पौधारोपण होगा। जिला कलेक्टर के निर्देशानुसार पौधारोपण से अधिक महत्व पौधों की देखभाल को दिया जायेगा तथा हर माह इसका सर्वे कर रैंकिंग दी जायेगी तथा जिम्मेदारी तय की जायेगी।

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