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उम्मीदवारी के लिए हंगामा, भावनाओं का सैलाब, लोकतंत्र की असली तस्वीर सामने.....एक रिपोर्ट

राईट हेडलाईन्स ब्युरो

चुनावी मौसम में एबी फॉर्म को लेकर राजनीतिक गलियारों में जबरदस्त उथल-पुथल देखने को मिल रही है। कहीं फार्म हाउस के दरवाजे तोड़े जा रहे हैं, तो कहीं टिकट न मिलने की वजह से आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। कुछ स्थानों पर दुख से घिरे लोग जमीन पर गिरते नजर आए, तो कहीं किसी ने खुद पर केरोसिन डालकर विरोध जताने की कोशिश की।
इन घटनाओं ने सियासत का एक भावुक और उग्र चेहरा उजागर कर दिया है। जनसेवा के नाम पर की जा रही यह तीव्र खींचतान, पद और पहचान की लड़ाई को साफ तौर पर सामने रखती है। हालांकि, इन्हीं हालातों में लोकतंत्र की जीवंतता भी दिखाई देती है, जहां हर कोई अपनी बात रखने और अपनी दावेदारी जताने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार नजर आता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसी घटनाएं लोकतंत्र की मजबूती और उसकी जटिलताओं दोनों को दर्शाती हैं। चुनावी प्रक्रिया के दौरान भावनाओं का उबाल यह साबित करता है कि सत्ता की दौड़ जितनी कठिन है, उतनी ही संवेदनशील भी। जनता की नजर अब इस पर टिकी है कि आगे हालात संभलते हैं या सियासी तनाव और बढ़ता है।

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