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ऐसे अधिकारी ही सुशासन की असली पहचान होते हैं।

यदि किसी IAS अधिकारी की संवेदनशीलता देखनी हो, तो दमोह के कलेक्टर साहब इसका जीवंत उदाहरण हैं। उन्हें अपने जिले के गाँवों, गरीबों और उनकी समस्याओं की गहरी चिंता है। वे स्वयं गाँव-गाँव जाकर वहीं रुकते हैं, ग्रामीणों की समस्याएँ ध्यानपूर्वक सुनते हैं और उनके समाधान के लिए पूरी प्रशासनिक टीम को मौके पर उतार देते हैं। यदि प्रदेश के हर जिले में ऐसे अधिकारी हों, तो आम जनता को अपनी समस्याओं के लिए किसी नेता के दरवाज़े पर जाने की आवश्यकता ही न पड़े।”

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