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**एक मां का जाना **अपूर्ण क्षति......

डाक विभाग के कर्मचारी सिद्धार्थ गौतम की माता श्रीमती मंजू झा के आकस्मिक निधन की खबर केवल एक परिवार का निजी दुःख नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज, विशेषकर सार्वजनिक सेवा तंत्र के लिए आत्ममंथन का विषय है। एक ऐसी माँ, जिन्होंने अपने जीवन को धर्मपरायणता, सरलता और मानवीय मूल्यों के साथ जिया, उनका असमय जाना न सिर्फ परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए गहरा आघात है।
माँ केवल जन्म देने वाली नहीं होती, वह संस्कारों की पहली पाठशाला होती है। सिद्धार्थ गौतम जैसे कर्मचारी, जो डाक विभाग जैसी जनसेवा संस्था में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं, उनके व्यक्तित्व के पीछे माँ के त्याग, परिश्रम और नैतिक शिक्षा की गहरी छाप होती है। ऐसी माताओं का जाना एक खालीपन छोड़ जाता है, जिसे कोई पद, कोई व्यवस्था और कोई औपचारिक संवेदना पूरी तरह भर नहीं सकती।
दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए, शोकाकुल परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की जाती है। साथ ही यह कामना भी कि यह दुःख हमें और अधिक मानवीय, जिम्मेदार और संवेदनशील समाज बनने की प्रेरणा दे।
**क्योंकि किसी माँ का जाना, केवल एक खबर नहीं—पूरे समाज की आत्मा को झकझोर देने वाला क्षण होता है।**

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