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उत्तराखंड स्वतंत्रता सेनानी एवं उत्तराधिकारी संगठन की बैठक आयोजित

द्वारीखाल गढ़वाल संवाददाता कमल उनियाल

उत्तराधिकारियों को सरकारी सुविधाएं देने की मांग, नई कार्यकारिणी का गठन
कोटद्वार।
उत्तराखंड को देवभूमि के साथ-साथ वीरभूमि के रूप में भी जाना जाता है। देश की आज़ादी के लिए उत्तराखंड के स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेज़ी हुकूमत के विरुद्ध संघर्ष कर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अनेक वीर सेनानियों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, जिनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है।
इसके बावजूद वर्तमान समय में स्वतंत्रता सेनानियों के उत्तराधिकारी कई सरकारी सुविधाओं से वंचित हैं। इसी विषय को लेकर उत्तराखंड स्वतंत्रता सेनानी एवं उत्तराधिकारी संगठन द्वारा एक बैठक कोटद्वार स्थित गाड़ीघाट में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता संगठन अध्यक्ष यशपाल सिंह रावत ने की।
बैठक का शुभारंभ स्वतंत्रता संग्राम के महान नायकों के चित्रों पर माल्यार्पण कर किया गया। इसके पश्चात संगठन की वर्तमान स्थिति, समस्याओं एवं भविष्य की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की गई।
बैठक में उपस्थित सदस्यों ने सरकार से मांग की कि—
स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारियों के परिचय पत्र के आधार पर चयनित अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड धारकों को निशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
वीर सैनिकों एवं वीर नारियों को सम्मान राशि प्रदान की जाए।
सभी दिवंगत स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर प्रत्येक ब्लॉक मुख्यालय में शिलापट स्थापित किए जाएं।
स्वतंत्रता सेनानी परिवारों को दी जाने वाली कुटुंब पेंशन में वृद्धि की जाए, जिससे वे सम्मानजनक जीवन यापन कर सकें।
बैठक में संगठन की नई कार्यकारिणी का विस्तार एवं पुनर्गठन भी किया गया। जिसमें—
यशपाल सिंह रावत — अध्यक्ष
सुरेश चंद्र जोशी — वरिष्ठ उपाध्यक्ष
मदन सिंह रावत — संगठन सचिव
पूनम घिल्डियाल — आय-व्यय निरीक्षक
आनंद सिंह रावत — ब्लॉक अध्यक्ष (द्वारीखाल)
मलूक सिंह — महामंत्री
बृजमोहन जोशी एवं विजय प्रकाश सुंदियाल — प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य
के रूप में मनोनीत किए गए।
इस अवसर पर यशपाल रावत, सुरेश जोशी, रोशन सिंह रावत, प्रेम सिंह रावत, गोपाल सिंह नेगी, मदन सिंह रावत, शीशपाल रावत, यशवंत सिंह रावत सहित संगठन के कई पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित रहे।
बैठक के अंत में संगठन ने स्पष्ट किया कि स्वतंत्रता सेनानियों और उनके परिवारों को सम्मान दिलाने के लिए संघर्ष जारी रहेगा। यदि सरकार द्वारा शीघ्र सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया, तो संगठन आगे की रणनीति तय कर आंदोलनात्मक कदम उठाने को बाध्य होगा।

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