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खुशी नर्सिंग कॉलेज मामला

क्या इसी तरह बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा पूरा किया जाएगा?
खुशी नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं पर हुआ यह अत्याचार न सिर्फ़ अमानवीय है, बल्कि पूरे प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर करता है।
कॉलेज के चेयरमैन, उसके बेटे और पत्नी को बचाने के लिए प्रशासन ने छात्राओं पर दमनात्मक कार्रवाई करवाई—यह बेहद शर्मनाक है। जिन अधिकारियों ने छात्राओं पर लाठीचार्ज/दमन के आदेश दिए और जिन पुलिसकर्मियों ने यह हरकत की, उन सभी के खिलाफ सख़्त और निष्पक्ष कार्रवाई होनी चाहिए।
दोषियों को संरक्षण नहीं, सज़ा मिलनी चाहिए।
छात्राओं की सभी जायज़ मांगें तुरंत मानी जाएँ।
बेटियों की सुरक्षा और सम्मान से कोई समझौता नहीं होगा।
यह लड़ाई अन्याय के खिलाफ़ है—और जब तक न्याय नहीं मिलेगा, आवाज़ बुलंद रहेगी।

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