
जालौन के 11 लोगों ने महोबा में लिया फसल बीमा का लाभ
उरई। खरीफ 2024 में सामने आए करीब 40 करोड़ रुपये के फसल बीमा घोटाले का जालौन जिले से भी सीधा कनेक्शन सामने आने लगा है। जांच में खुलासा हुआ है कि इस बहुचर्चित घोटाले में शामिल 11 लोग जनपद के विभिन्न क्षेत्रों के निवासी हैं। इससे जिले में भी खलबली मची हुई है। यही वजह है कि यहां का प्रशासन भी अलर्ट है। जिले में फसल बीमा की 42 करोड़ से ज्यादा की राशि बांटी की जांच के लिए हर तहसील में टीम बना दी है।
इस घोटाले का मुख्य आरोपी इफको टोकियो बीमा कंपनी का जिला प्रबंधक निखिल चतुर्वेदी भी जालौन का निवासी है। फिलहाल आरोपी जिला प्रबंधक जेल में बंद है, लेकिन उसके जालौन से संबंध सामने आने के बाद प्रशासन और जांच एजेंसियों की सक्रियता और बढ़ गई है। सूत्रों के मुताबिक, खरीफ 2024 के दौरान फसल क्षति के नाम पर फर्जी सर्वे, मनमाने आंकड़े और अपात्र किसानों के नाम पर बीमा क्लेम तैयार कर भारी धनराशि का भुगतान कराया गया। जांच में बीमा कंपनी के अधिकारियों, स्थानीय स्तर के कुछ कर्मचारियों और कथित लाभार्थियों की मिलीभगत सामने आई है।
जिले में खरीफ फसलों की बुवाई के बाद अधिक बारिश और बाढ़ के कारण फसलों को नुकसान पहुंचा था। इसके बाद राजस्व कर्मियों और लेखपालों के माध्यम से सर्वे कराया गया, जिसमें 46,465 किसानों को फसल क्षति का पात्र मानते हुए करीब 42 करोड़ 82 लाख रुपये से अधिक की बीमा धनराशि उनके खातों में भेजी गई।
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कृषि विभाग के अनुसार जिले में कुल 53,355 किसानों ने फसल बीमा कराया था। इनमें से 3,597 किसानों का प्रीमियम जमा न होने के कारण उनका बीमा नहीं हो सका। वहीं, कुछ किसानों के खातों में अभी भुगतान पहुंचना शेष है, जिनकी समीक्षा भी की जा रही है। वहीं, कई जिलों में आई गड़बड़ी के बाद शासन स्तर से सभी किसानों की जांच कराने के निर्देश दिए गए थे। इस पर जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय ने फसल बीमा भुगतान की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी तहसीलों में एसडीएम की अगुवाई में टीमों का गठन कर रैंडम सत्यापन कराने के निर्देश दिए हैं। हालांकि जिले में अब तक फसल बीमा को लेकर किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है, लेकिन इसके बाद डीएम ने सभी एसडीएम को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में बीमा भुगतान से जुड़े मामलों की जमीनी स्तर पर जांच करें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लाभ सिर्फ वास्तविक और पात्र किसानों को ही मिला है।
इन लोगों के नाम आए सामनेजिले के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने महोबा के तहसील कुलपहाड़ के इंदौरा में जमीन का बीमा दिखाकर रुपयों का घपला किया था। वास्तव में उनके नाम जमीन भी नहीं है। जांच में उनका नाम उजागर हुआ है। उरई की पार्वती ने भी इदौरा की जमीन पर बैनामा कराया और उनके खाते में दो लाख 67 हजार का भुगतान भी हो गया। वहीं उरई की रामसखी का डकोर में खाता था। उनको तीन लाख का भुगतान फसल बीमा का किया गया। इसी तरह जालौन, कोटरा, डकोर, सहित अन्य क्षेत्रों के लोगों ने भी बीमा कराकर व्यक्तिगत दावा के जरिए भुगतान करा लिया है।
जिले में बीमा फर्जी वाडा में कई किसान ऐसे हैं जो जिले के निवासी नहीं है। वह जनपद जालौन के निवासी हैं। उनको भी मिली भगत से भुगतान कर दिया गया है।
गुलाब सिंह, किसान नेता
वर्जन
कई जिलों में हुई गड़बड़ी के बाद तहसील स्तर पर जांच टीम बनाई गई है। जो रेंडम सत्यापन करेगी। फिलहाल फसल बीमा मामले में अभी तक जिले से कोई भी शिकायत नहीं मिली है।
राजेश कुमार पांडेय, जिलाधिकारी।