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सेवा, समर्पण और संस्कार की मिसाल बने श्री ओमनाथ जी, लाडपुरा जीएसएस में दिखा अभूतपूर्व बदलाव

लाडपुरा (नागौर)।
कभी-कभी किसी स्थान की पहचान केवल इमारतों से नहीं, बल्कि वहाँ कार्यरत व्यक्ति की सोच, अनुशासन और निष्ठा से बनती है। राजस्थान के जिला नागौर की उपतहसील भेरुंदा स्थित ग्राम लाडपुरा में अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, रियाँबड़ी का 33/11 केवी ग्रिड सब-स्टेशन (जीएसएस) आज इसी सच्चाई का जीवंत उदाहरण बन चुका है।

जीएसएस में बिजली विभाग के कर्मठ, अनुशासित एवं कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारी श्री ओमनाथ जी के कार्यभार संभालने के बाद से अब तक यहाँ अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिला है। उनके नेतृत्व में न केवल तकनीकी व्यवस्थाएँ सुदृढ़ हुई हैं, बल्कि परिसर का स्वरूप भी पूरी तरह बदल गया है।

श्री ओमनाथ जी ने अपने दायित्व को मात्र नौकरी तक सीमित न रखते हुए उसे सेवा और साधना के रूप में निभाया। समय-पालन, प्रत्येक फीडर पर सतत निगरानी और उत्कृष्ट तकनीकी दक्षता के परिणामस्वरूप आज क्षेत्र में सिटी लाइट से लेकर खेतों की सिंचाई तक निर्बाध विद्युत आपूर्ति संभव हो पाई है। उनका यह प्रयास साबित करता है कि मजबूत इच्छाशक्ति से व्यवस्था स्वतः सुदृढ़ हो जाती है।

आज लाडपुरा जीएसएस केवल एक तकनीकी केंद्र नहीं, बल्कि स्वच्छता, सौंदर्य और अनुशासन का आदर्श स्थल बन चुका है। परिसर में हरियाली, संरक्षित पेड़-पौधे, नियमित सफाई व्यवस्था, शुद्ध पेयजल सुविधा, आवारा पशुओं के लिए पानी की व्यवस्था, भगवान का मंदिर तथा सुरक्षा के लिए चारों ओर लगाए गए सीसीटीवी कैमरे उनकी दूरदर्शिता और मानवीय सोच को दर्शाते हैं।

इसके साथ ही जीएसएस में बिजली उपकरणों एवं स्क्रैप (इस्क्रैप) के सुरक्षित रख-रखाव हेतु अलग से व्यवस्थित यार्ड का निर्माण भी किया गया है, जिससे सुरक्षा, सुव्यवस्था और कार्यकुशलता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

ग्रामीणों में आज यह चर्चा आम है कि—
“लाडपुरा जीएसएस अब पूरे क्षेत्र के लिए एक मिसाल बन चुका है।”

स्थानीय लोगों का कहना है कि श्री ओमनाथ जी द्वारा किया गया कार्य न केवल प्रशंसनीय है, बल्कि पूरे बिजली विभाग के लिए प्रेरणास्रोत भी है। ऐसे कर्मयोगी कर्मचारी ही किसी भी विभाग की वास्तविक पहचान होते हैं।

इस अनुकरणीय कार्य में ठेकेदार कर्मचारी श्री रामेश्वर लाल गौड़ एवं श्री गोविंद लाल गौड़ का योगदान भी सराहनीय बताया जा रहा है, जिन्होंने पूरे मनोयोग और निष्ठा से सहयोग प्रदान किया।

निस्संदेह, श्री ओमनाथ जी जैसे कर्मठ, ईमानदार और निष्ठावान कर्मचारी ही किसी भी संस्था की असली पूँजी होते हैं, जो अपने कार्य और आचरण से बदलाव की नई कहानी लिखते हैं।

पत्रकार- सुरेश जांगिड

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