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झालरापाटन में द्वारिकाधीश मंदिर की परिक्रमा यात्रा 11 जनवरी को:मंगला दर्शन के बाद शुरू होगी, झांकियां भी सजाई जाएगी

झालावाड़ तेह.झालरापाटन l द्वारकाधीश मंदिर की 26 वी.परिक्रमा एक वार्षिक, भव्य आयोजन है, जो 'पुष्टि भक्ति सत्संग समिति' द्वारा आयोजित की जाती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु बैंड-बाजे, भजन, झाँकी और रंग-गुलाल के साथ करीब 10 किमी का मार्ग तय करते हैं, जिसमें पीपली बाजार, दादाबाड़ी, सूरजपोल और सूर्य मंदिर जैसे प्रमुख स्थानों से होते हुए वापस मंदिर में महाआरती के साथ समापन होता है, और बाहर से आने वाले भक्तों के लिए भोजन व आवास की व्यवस्था भी होती है।
परिक्रमा की मुख्य बातें:
आयोजक: द्वारकाधीश पुष्टि भक्ति सत्संग समिति।
समय: आमतौर पर जनवरी या मार्च के महीनों में, मंगला दर्शन के बाद सुबह 7:30 बजे शुरू होती है।
मार्ग (लगभग 10 किमी):
द्वारकाधीश मंदिर से शुरू होकर पीपली बाजार, गिन्दोर दरवाजा, नेमी नगर लालबाग, दादाबाड़ी (चतुर्मुखी महादेव के दर्शन), सूरजपोल दरवाजा, सेठों का चौराहा, पुरानी सब्जी मंडी, सूर्य मंदिर (पद्मनाभ के दर्शन) होते हुए।
फिर इमली दरवाजा, 11.30 बजे, उम्मेदपुरा, वसुंधरा कॉलोनी, कृषि उपज मंडी के सामने, विवेकानंद सर्किल से वापस द्वारकाधीश मंदिर।
शामिल होने वाले: हर साल हजारों श्रद्धालु (महिलाएं, पुरुष, बच्चे) शामिल होते हैं।3 से साय:6 बजे तक मार्ग बंद रहेंगे
विशसताए:
बैंड-बाजे, डीजे, भजन मंडलियाँ और भगवान की झाँकी।
'खेलन फाग' जैसे होली के गीत गाते हुए गुलाल-अबीर उड़ाए जाते हैं।
परिक्रमा मार्ग में सेवादार गुलाब और गुलाल से स्वागत करते हैं।
बाहरी श्रद्धालुओं के लिए भोजन (पैकेट) और रहने की व्यवस्था की जाती है।
समापन: महाआरती के साथ।
कब होती है:
यह परिक्रमा हर साल जनवरी या मार्च (फाल्गुन मास) में होती है। तारीखें अलग-अलग हो सकती हैं, जैसे 11 जनवरी (63वीं परिक्रमा) या 8 मार्च (62वीं)।
यह एक विशाल धार्मिक उत्सव है जो दूर-दूर से भक्तों को आकर्षित करता है और भक्ति और उल्लास का माहौल होता है।
न्यूज़ मोहम्मद इमरान

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