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मारुळ ग्राम पंचायत का भ्रष्ट कारोबार **RTI कानून की खुलेआम धज्जियाँ! ग्राम पंचायत मारुळ में सूचना दबाने का खेल, GDO–सरपंच पर गंभीर आरोप**

यावल (जळगांव) | विशेष प्रतिनिधि : पत्रकार। J. V. Farooqui
*** सूचना अधिकार कानून 2005 को ग्राम पंचायत मारुळ, तहसील यावल में जानबूझकर कुचला जा रहा है। ग्राम विकास अधिकारी, सरपंच और ग्राम पंचायत के संबंधित सदस्यों द्वारा सूचना न देना, सूचना दबाना और RTI कानून का उल्लंघन किए जाने का गंभीर मामला सामने आया है।
*** दिनांक 03 अक्टूबर 2025 को RTI के तहत 14वें व 15वें वित्त आयोग से कराए गए विकास कार्यों की विस्तृत जानकारी तथा वर्ष 2020–21 से 2024–25 तक की ऑडिट रिपोर्ट की प्रमाणित प्रतियाँ मांगी गई थीं।
यह जानकारी पूर्णतः सार्वजनिक स्वरूप की होने के बावजूद ग्राम पंचायत प्रशासन ने आज तक उपलब्ध नहीं कराई।
सूचना न देना नहीं, सूचना दबाना है
** RTI कानून में स्पष्ट प्रावधान है कि निर्धारित समय-सीमा में सूचना देना अनिवार्य है। इसके बावजूद न तो कोई जानकारी दी गई और न ही कोई लिखित उत्तर।
यह स्थिति केवल लापरवाही नहीं, बल्कि जानबूझकर सूचना दबाने की मंशा को दर्शाती है।
वित्त आयोग के विकास कार्यों पर बड़ा सवाल
14वें और 15वें वित्त आयोग के तहत करोड़ों रुपये के विकास कार्य किए गए हैं। ऐसे में उनकी जानकारी छुपाया जाना गंभीर वित्तीय अनियमितताओं की आशंका को जन्म देता है।
अगर सब कुछ नियमों के अनुसार हुआ है, तो सूचना देने से डर क्यों?
RTI कानून को कमजोर करने की कोशिश
*** ग्राम पंचायत स्तर पर यदि चुने हुए प्रतिनिधि और अधिकारी ही सूचना अधिकार कानून का पालन नहीं करेंगे, तो आम नागरिकों के अधिकारों का क्या होगा?
यह मामला पूरे सिस्टम की जवाबदेही पर सवाल खड़ा करता है।
सूचना आयोग में शिकायत तय
** इस प्रकरण को लेकर महाराष्ट्र राज्य सूचना आयोग, औरंगाबाद खंडपीठ में शिकायत दाखिल की जा रही है। मांग की जाएगी कि—
1- दोषी अधिकारियों पर RTI Act की धारा 20 के तहत दंड लगाया जाए
2 - जानबूझकर सूचना दबाने वालों पर कार्रवाई हो
मांगी गई संपूर्ण जानकारी तुरंत उपलब्ध कराई जाए
ग्राम पंचायत में हड़कंप
*** खबर सामने आते ही ग्राम पंचायत मारुळ में भारी हलचल मच गई है। अधिकारी और जनप्रतिनिधि जवाब देने से बचते नजर आ रहे हैं।
अब यह देखना अहम होगा कि प्रशासन सूचना आयोग की कार्रवाई से पहले सुधरता है या कानून का सामना करता है।

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