
सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती पर शत्-शत् नमन,अपनी भाषा में ऑनलाइन माध्यम से गुरु परम्परा से मुफ़्त गीता सीखें 18 दिन मे 👇
सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती पर शत्-शत् नमन।
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भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता व निर्माता सलमान खान जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।उर्दू व फारसी भाषा के सर्वकालिक प्रसिद्ध शायर
मिर्जा ग़ालिब जी की जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन।
"सवा लाख से एक लड़ाऊँ, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊँ, तब ही गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊँ।"
सरबंसदानी सिखों के दसवें गुरु, सिख खालसा पंथ के संस्थापक एवं प्रथम सेनापति गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती पर समस्त सिख परिवारों एवं सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।
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नेता का कार्य है कि वह सदैव उत्साही रहे और अन्यों को भी सदैव उत्साही रहने के लिए प्रेरित करे। तब वह सच्चा नेता है।
(श्रील प्रभुपाद,त्रै दास को पत्र, 27 दिसम्बर 1972 )
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मृत्यु के साथ ही आपका सर्वस्व कृष्ण में विलय हो जाता है अर्थात् कृष्ण उसका हरण कर लेते हैं। अतः आधुनिक सभ्यता के लोगों में, अगले जन्म / पुनर्जन्म से संबंधित कोई मान्यता नहीं है।
(श्रील प्रभुपाद,27 दिसंबर 1972, बॉम्बे)
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Bhagavad Gita Verse Of the Day:Chapter 3 Verse 15👇
कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि ब्रह्माक्षरसमुद्भवम् |
तस्मात्सर्वगतं ब्रह्म नित्यं यज्ञे प्रतिष्ठितम् || १५ ||
कर्म – कर्म; ब्रह्म – वेदों से; उद्भवम् – उत्पन्न; विद्धि – जानो; ब्रह्म – वेद; अक्षर – परब्रह्म से; समुद्भवम् – साक्षात् प्रकट हुआ; तस्मात् – अतः; सर्व-गतम् – सर्वव्यापी; ब्रह्म – ब्रह्म; नित्यम् – शाश्र्वत रूप से; यज्ञे – यज्ञ में; प्रतिष्ठितम् – स्थिर |
Translation👇
वेदों में नियमित कर्मों का विधान है और ये साक्षात् श्रीभगवान् (परब्रह्म) से प्रकट हुए हैं | फलतः सर्वव्यापी ब्रह्म यज्ञकर्मों में सदा स्थित रहता है |
Commentary👇
इस श्लोक में यज्ञार्थ-कर्म अर्थात् कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए कर्म की आवश्यकता को भलीभाँति विवेचित किया गया है | यदि हमें यज्ञ-पुरुष विष्णु के परितोष के लिए कर्म करने है तो हमें ब्रह्म या दिव्य वेदों से कर्म की दिशा प्राप्त करनी होगी | अतः सारे वेद कर्मादेशों की संहिताएँ हैं | वेदों के निर्देश के बिना किया गया कोई भी कर्म विकर्म या अवैध अथवा पापपूर्ण कर्म कहलाता है | अतः कर्मफल से बचने के लिए सदैव वेदों से निर्देश प्राप्त करना चाहिए | जिस प्रकार सामान्य जीवन में राज्य के निर्देश के अन्तर्गत कार्य करना होता है उसी प्रकार भगवान् के परम राज्य के निर्देशन में कार्य करना चाहिए | वेदों में ऐसे निर्देश भगवान् के श्र्वास से प्रत्यक्ष प्रकट होते हैं |
कहा गया है – अस्य महतो भूतस्य निश्र्वसितम् एतद् यद्ऋग्वेदो यजुर्वेदः सामवेदोSथर्वाङ्गिरसः “चारों वेद – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद – भगवान् के श्र्वास से अद्भुत हैं |” (बृहराण्य क उपनिषद् ४.५.११)
ब्रह्मसंहिता से प्रमाणित होता है कि सर्व शक्तिमान होने के कारण भगवान् अपने श्र्वास के द्वारा बोल सकते हैं, अपनी प्रत्येक इन्द्रिय के द्वारा अन्य समस्त इन्द्रियों के कार्य सम्पन्न कर सकते हैं, दुसरे शब्दों में, भगवान् अपनी निःश्र्वास के द्वारा बोल सकते हैं और वे अपने नेत्रों से गर्भधान कर सकते हैं | वस्तुतः यह कहा जा सकता है कि उन्होंने प्रकृति पर दृष्टिपात किया और समस्त जीवों को गर्भस्थ किया | इस तरह प्रकृति के गर्भ में बद्धजिवों को प्रविष्ट करने के पश्चात् उन्होंने उन्हें वैदिक ज्ञान के रूप में आदेश दिया, जिससे वे भगवद्धाम वापस जा सकें | हमें यह सदैव स्मरण रखना चाहिए कि प्रकृति में सारे बद्धजीव भौतिक भोग के लिए इच्छुक रहते हैं | किन्तु वैदिक आदेश इस प्रकार बानाये गए हैं कि मनुष्य अपनी विकृत इच्छाओं की पूर्ति कर सकता है एयर तथाकथित सुखभोग पुरा करके भगवान् के पास लौट सकता है | बद्धजीवों के लिए मुक्ति प्राप्त करने का सुनहरा अवसर होता है, अतः उन्हें चाहिए कि कृष्णभावनाभावित होकर यज्ञ-विधि का पालन करें | यहाँ तक कि वैदिक आदेशों का पालन नहीं करते वे भी कृष्णभावनामृत के सिद्धान्तों को ग्रहण कर सकते हैं जिससे वैदिक यज्ञों या कर्मों की पूर्ति हो जायेगी |
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पवित्रता ही दिव्यता की जननी है। ईश्वर सभी ऊर्जाओं में सबसे पवित्र है। ईश्वर के संपर्क में रहने के लिए हमें अपने स्पंदनों को बढ़ाना होगा और अंततः स्वच्छ और शुद्ध होना होगा। हमारी पवित्रता और सरलता का स्तर ही सर्वोच्च के साथ हमारी निकटता तय करता है।
कलि-काले नाम-रूपे कृष्ण-अवतार । नाम हैते हय सर्व-जगत्निस्तार ।।
इस कलियुग में भगवान् के पवित्र नाम अर्थात् हरे कृष्ण महामंत्र भगवान् कृष्ण का अवतार है। केवल पवित्र नाम के कीर्तन से मनुष्य भगवान् की प्रत्यक्ष संगति कर सकता है। जो कोई भी ऐसा करता है, उसका निश्चित रूप से उद्धार हो जाता है।
महामंत्र 💫👉हरे कृष्ण हरे कृष्ण , कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम , राम राम हरे हरे।।
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thanks & regards !
Jeetendra Sharan
(ICTRD Certified Digital Marketing Expert )
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