
ब्रेकिंग न्यूज़ | कोरिया
पलारीडांड उप स्वास्थ्य केंद्र कागज़ों में जिंदा,? ज़मीन पर 20 साल से न भवन,? न व्यवस्था; ?ग्रामीण भगवान भरोसे ?
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पलारीडांड उप स्वास्थ्य केंद्र कागज़ों में जिंदा, ज़मीन पर मृत — 20 साल से न भवन, न व्यवस्था; ग्रामीण भगवान भरोसे
कोरिया जिले के पलारीडांड उप स्वास्थ्य केंद्र की हकीकत सरकारी दावों की पोल खोल रही है। ?
बीते 20 वर्षों से यह उप स्वास्थ्य केंद्र केवल फाइलों और रजिस्टरों में ही संचालित बताया जा रहा है,?
जबकि जमीनी सच्चाई यह है कि न तो इसकी अपनी शासकीय बिल्डिंग है और न ही कोई वैकल्पिक निजी भवन की व्यवस्था। ?
स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर यह केंद्र आज तक कागज़ी तमाशा बनकर रह गया है। ?
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि गर्भवती महिलाओं, बुज़ुर्गों और बीमार बच्चों को प्राथमिक इलाज तक के लिए मीलों दूर भटकना पड़ता है।?
आपात स्थिति में समय पर इलाज न मिलना अब आम बात हो चुकी है। ?
स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही के चलते ग्रामीणों की जान भगवान भरोसे छोड़ दी गई है।
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि 20 साल जैसे लंबे समय में न भवन निर्माण की पहल हुई, न अस्थायी समाधान। ?
विभागीय अधिकारी हर साल रिपोर्टों में उप स्वास्थ्य केंद्र को चालू दिखाकर सरकारी धन और योजनाओं का मखौल उड़ाते रहे।?
यह स्थिति न सिर्फ प्रशासनिक उदासीनता दर्शाती है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं पर भी करारा प्रहार है। ?
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उप स्वास्थ्य केंद्र के लिए स्थायी भवन, नियमित स्टाफ और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई गईं, तो वे आंदोलन और उच्चस्तरीय जांच की मांग करेंगे। ?
सवाल यह है कि स्वास्थ्य विभाग आखिर कब नींद से जागेगा और पलारीडांड के लोगों को उनका बुनियादी स्वास्थ्य अधिकार देगा?
> यह मामला तत्काल संज्ञान और कड़ी कार्रवाई की मांग करता है।
जिम्मेदारों की चुप्पी अब अपराध के बराबर मानी जानी चाहिए।
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