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हिंदुओं का धर्म_परिवर्तन क्यों होता है और कैसे कराया जाता है?

हिंदुओं का धर्म_परिवर्तन क्यों होता है और कैसे कराया जाता है? कभी इसके पीछे जाने की कोशिश की है।

जब आप नीची जाति के लोगों के साथ भेदभाव करते हो, और फिर कोई आकर उनसे कहता है कि हमारे पास आओ, हम तुम्हें बराबर का दर्जा देंगे। तब धर्म परिवर्तन होता है।

जब भ्रष्टाचार गरीबों का हक मारकर खा जाता है और उनके पास अपना पेट भरने या इलाज कराने तक का पैसा नहीं होता, तब कोई उनके हाथ में पैसे थमाकर कहता है कि हमारे धर्म में आ जाओ। तब धर्म परिवर्तन होता है।

इसमें दोष किसका ज़्यादा है:

१. धर्म परिवर्तन करने वाले का?
२. धर्म परिवर्तन कराने वाले का?
३. क्या उन लोगों का अधिक दोष है, जिनके बदौलत एक हिंदू सामाजिक और आर्थिक तौर पर इतना कमजोर हो जाता है कि थोड़े से पैसों के लालच में या समाज में बराबरी का दर्जा पाने के लिए दूसरे धर्म में चला जाता है?

बेझिझक कहता हूं कि तीसरे नंबर वाले लोगों का दोष ज्यादा है।

जाहिर सी बात है कि धर्म परिवर्तन करने वाला जरूरतमंद है और धर्म परिवर्तन कराने वाला उसकी जरूरत को पूरा करने वाला मददगार। मदद के बदले वह अपना फायदा देख रहा है, तो ऐसा तो सब करते हैं।

क़सम है आपको आपके ईष्ट देव की, दिल पर हाथ रखकर ख़ुद से पूछिये कि मंदिर में दान करते हुए क्या आप अपने या अपने परिवार के लिए कुछ पाने की इच्छा नहीं रखते?

आजकल बिना स्वार्थ कोई कुछ नहीं करता। धर्म परिवर्तन कराने वाले ने अगर किसी व्यक्ति को बराबरी का दर्जा दिया है तो इससे उस व्यक्ति को मानसिक स्थिरता मिली है। अगर पैसा दिया है तो उसका जीवन बचा है।

भले ही धर्म परिवर्तन कराने वाले के मकसद में स्वार्थ था, फिर भी उसके स्वार्थ ने एक जरूरतमंद को जीवन दे दिया।

पैसा लेकर धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को आप दोष नहीं दे सकते, क्योंकि आता पैसा किसी को बुरा नहीं लगता। मोटा वेतन पाने वाले भारतीय सेना के अधिकारी तक पैसे के लालच में देश की गुप्त सूचनाएं पाकिस्तान को बेच देते हैं, फिर इन गरीब लोगों से आप क्यों उम्मीद करते हैं!

मेरा सवाल बस ये है कि अगर गरीबी ना रहे और किसी के साथ जातिगत भेदभाव ना हो तो क्यों धर्म परिवर्तन होगा?

सरकार ने धर्म परिवर्तन रोकने के लिए उम्र क़ैद की सजा देने तक के क़ानून बना दिए हैं। आप कौन होते हैं धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए हिंसा करने वाले? जब सरकार आपकी है और क़ानून भी उसी सरकार का है, तो ये काम क़ानून करेगा। अगर आपको ही ये काम करना है तो मोदी जी को गद्दी से उतार दीजिए और क़ानून की किताबें फाड़ दीजिए।

आप चाहे कितना भी उत्पात मचा लें, धर्म परिवर्तन होना है तो होकर रहेगा। अगर हिंदुओं का #धर्मांतरण रोकना है तो सबसे पहले उनके साथ जातिगत भेदभाव बंद करो। और धर्म परिवर्तन के खिलाफ विरोध दर्ज कराना है तो चर्च में मत कराओ, संसद और विधानसभा के बाहर जाकर सरकार से कहो कि गरीबी मिटाये। वह भ्रष्टाचार ख़त्म करके गरीबों के हक का पैसा गरीबों तक पहुंचाए।

जिस दिन गरीबी मिटा दोगे, जिस दिन जाति के नाम पर हिंदू ऊंच-नीच का व्यवहार नहीं करेगा, उस दिन धर्मांतरण अपने आप रुक जाएगा।

अभी ये कट्टरपंथी हिंदू धर्मांतरण रोकने के लिए जो कर रहे हैं, वो यह है कि घर की छत रिसने से घर में पानी भर रहा है और वो दरवाजा लगा रहे हैं।

छत रिस रही है तो मरम्मत छत की कीजिए, पानी दरवाजे से नहीं आता है।

लेकिन हक़ीक़त यह है कि कोई भी हिंदूवादी संगठन नहीं चाहता कि धर्मांतरण रुके, क्योंकि ऐसा हो गया तो इनका धंधा बंद हो जाएगा।

अगर नीयत में खोट नहीं है और वास्तव में धर्मांतरण रोकना चाहते हो तो देश से जाति व्यवस्था खत्म करो। ब्राह्मण को वाल्मीकि के घर खाना खिलाओ। ठाकुर को जाटव के घर का पानी पिलाओ। गरीबों के लिए बन रही योजनाओं में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ नेताओं को घेरना शुरू करो।

जब भगवान राम शबरी के जूठे बेर खा सकते हैं तो तुम तो भगवान से ऊपर नहीं हुए। तुम भी वाल्मीकि या जाटव के यहां पानी पी सकते हो। ‘जय श्री राम’ कहने से कोई #हिंदू या सनातनी नहीं हो जाता। राम का होने के लिए राम को अपने आचरण में उतारना होता है।

कर पाओगे ये सब? अगर नहीं कर पाओगे तो याद रखो कि जब परिवार के अंदर भाई आपस में लड़ते हैं और एक-दूसरे का हिस्सा हड़पते हैं, तब पड़ोसी फायदा उठाता ही है।

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